नशे की लत से छुटकारा, नशे के मुख्य कारण, दुष्प्रभाव और यौगिक उपचार

नशे की लत से छुटकारा, नशे के मुख्य कारण, दुष्प्रभाव और यौगिक उपचार के बारे में बिस्तार से जानकारी। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पहले हम एक आदत डालते हैं और फिर वही आदत हमें ले डूबती है। जिस आदत पर हमारा नियंत्रण न हो, जिसके हम गुलाम हो गये हों, उसी को लत कहते हैं। जब कोई नशीली दवाइयों या पदार्थों का सेवन बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के बिना कोई खास प्रयोजन के लेने लग जाना, फिर उसके बिना न रह पाना, ऐसी स्थिति को भी लत कहते हैं।

नशे की लत से छुटकारा, नशे के मुख्य कारण, दुष्प्रभाव और यौगिक उपचार

नशे की लत से छुटकारा

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नशे की लत से छुटकारा

आजकल व्यक्तिगत रूप से नशीले पदार्थों एवं दवाइयों का अकारण बढ़ते सेवन के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य, चरित्र तथा संस्कृति खतरे में पड़ गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था ‘इन्टरनेशनल नारकोटिक ड्रग कन्ट्रोल बोर्ड’ ने भी चेतावनी दी है कि ‘नशीली दवाइयों की तेजी से बढ़ रही खपत के कारण कुछ देशों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। देखते-देखते आज अमेरिका, इंग्लैण्ड, चीन, जापान, हिन्दुस्तान, पाकिस्तान अर्थात् अमीर-गरीब सभी देश नशे के चंगुल में फंसकर छटपटा रहे हैं।

अनुमानतः भारत में दस से पन्द्रह करोड़ लोग भाँग, गांजा, चरस, हेरोइन, एल.एसडी. आदि नशीली औषधियों से ग्रस्त हैं। शहरों में रहने वाले गरीब अपने बच्चों तथा परिवार का पेट काटकर अपने पसीने की गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा नशे पर फिजूल खर्च कर रहे हैं। पिछले कुछ ही वर्षों में नशे की लत विश्वविद्यालय और महाविद्यालय से प्रारम्भ होकर प्राथमिक शालाओं के विद्यार्थियों तक पहुँच गई है।

वस्तुतः सभी प्रकार की नशीली दवाइयों के निर्माण में अफीम का मुख्य स्थान है। विश्व में सर्वाधिक अफीम का उत्पादन भारत के उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, वाराणसी, मध्यप्रदेश के नीमच, मन्दसौर आदि कुख्यात क्षेत्रों में होता है। गाजीपुर तथा नीमच में अफीम के कारखाने हैं। ऐसे नशे के अनुकूल वातावरण में भारत के होनहारों को इन नशीली दवाइयों के प्रति सजग करना अत्यन्त आवश्यक हो गया है।

नशे की लत पड़ने के मुख्य कारण

  1. नशेड़ी लोगों की संगति।
  2. कौतूहलवश।
  3. पारिवारिक क्लेश अथवा निठल्लापन।
  4. अनीति से कमाये गये जरूरत से कहीं ज्यादा धन के मद में दिखावे के कारण।
  5. रोजी रोटी से सम्बन्धित कारण जैसे ठंडी जगहों पर रहने वाले अनपढ़ लोग मेहनत, मजदूरी करने वाले लोग जो थकान मिटाने के लिए नशे का सहारा लेते हैं।
  6. सामाजिक अथवा धार्मिक रीति-रिवाजों के निर्वहन के लिए।
  7. किसी नशीली दवा को लम्बे समय तक लेते रहने के कारण उसकी आदत पड़ जाना।

नशीले पदार्थ एवं उनका दुष्प्रभाव

अफीम से सोलह रसायन जिनमें मार्फिन, हेरोइन, नारकोटीन, कोडीनर्थामेन, पेपवेराईन, लार्डलाइन तथा नासीन मुख्य नशीले पदार्थ प्राप्त किये जाते हैं। इनका उपयोग औषधियों में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अफीम तथा मार्फिन का प्रभाव निद्राजनक शामक, मादक रक्त स्तम्भन, वात- रक्तकारक, रक्तादि धातुओं का शोषक तथा पुरुषत्व नाशक होता है । भाँग, गाँजा, चरस में अत्यन्त नशीला रसायन कन्नाविनोन होता है। इसमें मादक नारकोटिक तेल पाया जाता है। इसमें घातक रसासन केन्निविनोल होता है। भाँग उत्तेजक, प्रशान्तक, निरोधक, गर्भाशय संकोचक, मोह, मद, वाणी तथा जठराग्निवर्द्धक हैं।

गाँजा कामुकतावर्धक है। इसके प्रयोग से आँखें लाल हो जाती हैं। चेहरे पर सूजन, स्मृतिनाश, अनिद्रा कभी-कभी हृदय गति रुकना, शिरा, शूल आदि लक्षण दिखते हैं। शोध किया हुआ अफीम ही मार्फिन है। अफीम का थीमेन तीव्र विष है। यह रीढ़ के स्नायुआरों को उत्तेजित एवं विषाक्त बनाता है। इसके प्रयोग से हाथ-पैर की माँसपेशियों में ऐंठन तथा छटपटाहट महसूस होती है। नार्कोटिन तथा पपेवेराइन का सीधा प्रभाव साँस केन्द्र पर होता है। श्वसन उत्तेजित हो जाता है, साँस रुकने लगती है, यह आंत्रिक माँसपेशियों को शिथिल कर कब्ज पैदा करता है।

नशे का दुष्प्रभाव

नशे का दुष्प्रभाव वेगस नर्व, स्वेद ग्रन्थियों, गुर्दे (किडनी), पाचन संस्थान तथा केन्द्रीय स्नायु संस्थान पर होता है। इसके परिणामस्वरूप ज्ञान, सुख, दुःख पीड़ा की अनुभूति तथा रोग निरोधक क्षमता कम हो जाती है। बेहोशी, सिरदर्द, श्वसन में अवरोध, खूब पसीना आना, गले तथा चेहरे की ओर खून का प्रवाह तेज होना, कान में उष्णता तथा कब्ज के लक्षण परिलक्षित होते हैं।

प्रायः सभी प्रकार के नशे स्वाद में कड़वे होते हैं। सर्वप्रथम खाने से मिचली एवं उल्टी हो जाती है। हर प्रकार के नशे से चक्कर आना, सिर घूमना, सिर में भारीपन, बेहोशी तथा अचेतन नींद के कारण दर्द में राहत महसूस होती है। नाड़ी की गति धीमी हो जाती है, आँखों की पुतली छोटी एवं सिकुड़ जाती है, होंठ नीले पड़ जाते हैं, मुँह तथा होंठों पर पसीना छलकता है। नींद खुलने पर भूख मंद हो जाती है, मिचली तथा उल्टी होती है। शरीर बर्फ की तरह ठंडा होता चला जाता है। समय पर उपचार न होने पर व्यक्ति निरीह जानवर की तरह मर जाता है।

नशे के प्रभाव से अनेक शारीरिक, मानसिक तथा स्नायविक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। गर्भवती महिलाओं द्वारा कोकीन के सेवन से नवजात शिशु हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं। नशेबाज लोग एक-दूसरे की सीरिंज का उपयोग करते हैं जिसके कारण वे एड्स जैसे घातक रोग से भी ग्रस्त हो जाते हैं।

नशेड़ी की पहचान

वैसे तो नशेड़ी व्यक्ति को देखकर पहचान पाना कठिन है पर उसके पास बैठने तथा बातचीत करने से उसे पहचाना जा सकता है। पर, कुछ लक्षण ये हैं जो व्यक्त होते हैं-

  • नशेड़ी व्यक्ति काम करने से जी चुराता है, काम के प्रति लापरवाह रहता है।
  • वह अनुपयुक्त सामाजिक व्यवहार करता है। वह सबसे अलग अनमना सा रहता है।
  • वह फिजूल खर्ची हो जाता है।
  • वह शारीरिक स्वच्छता एवं देखभाल के प्रति लापरवाह हो जाता है।
  • खाने-पीने की इच्छा नहीं रहती है। उसकी बोली में हकलाहट आ जाती है तथा आँखें लाल रहती हैं।
  • वह नये मित्रों की तलाश में रहता है।

नशे की लत छुड़ाने के लिए नशेड़ियों के प्रति आपके कर्तव्य

मूलतः ऐसा व्यक्ति उद्दण्ड, शैतान, बुरा-सा अपराधी नहीं होता है। अतः स्वामी रामतीर्थ ने ठीक ही कहा है कि आदमी से नहीं, बल्कि उसके अपराध एवं पाप से घृणा करो। अतः समाज एवं परिवार के लोग निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान दें तो व्यक्ति को नशे की लत छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है-

  1. व्यसनी व्यक्ति को विश्वास में लेकर उसकी ओर प्यार एवं दोस्ती का हाथ बढ़ायें और उससे बातचीत कर नशा छोड़ने वेह लिए प्रेरित करें।
  2. जब नशे का लती व्यक्ति अपनी गलती मान ले तो उसे नशे से मुक्त होने के रास्ते सुझायें। विभिन्न प्रकार के उपचारों, नशा उन्मुक्ति कार्यक्रमों से अवगत करायें।
  3. उस व्यक्ति से निकट का सम्पर्क बनाये रखें। उसकी हर तरह से यथा संभव सहायता करें तथा समाज में पुनः उसकी प्रतिष्ठा स्थापित करें।
  4. पारिवारिक घनिष्ठता को भी पुष्ट करना चाहिये। उसकी अवहेलना न करें, उसे अपना प्यार, सहानुभूति, सहारा और शुभकामना देते रहें जिससे उसका मनोबल टूटने न पाये।
  5. नशे की लत छोड़ने का प्रयत्न करने पर एक, दो या अधिक से अधिक दस-पन्द्रह दिनों में नशे की हुड़क उठती है अतः सतर्क रहें। चिकित्सक से मिलकर इससे सम्बन्धित औषधियों का सेवन करायें।
  6. नशे के आदी व्यक्ति को नशे से वंचित होने पर शरीर में दर्द, दस्त, उबकाई, सिर चकराना, आँखों से पानी आना, नींद न आना, शरीर की टूटन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाथ-पैरों में कम्पन, बेचैनी, जल्दबाजी, भूख न लगना, सुस्ती आदि लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं। इसके निवारण के लिए उपचार करायें।
  7. यदि कोई अभागा व्यक्ति फिसलकर दुबारा व्यसन में पड़ जाता है, तब भी बिना हार माने उसकी मदद करने के अपने प्रयत्न जारी रखें। उसमें उपचार की सम्भावनाओं और सामर्थ्य के बारे में विश्वास पैदा करें।
  8. वस्तुत: सबसे जरूरी बात यह है कि व्यक्ति अपने व्यसन से छुटकारा पा गया हो अथवा नहीं, मनुष्य होने के नाते वह हमारे स्वागत, सम्मान का अधिकारी है। इससे उसे वंचित न करें।

यौगिक उपचार

नशीली औषधियों से मुक्ति में विशेष रूप से इनके घातक प्रभावों को उदासीन एवं निष्प्रभावी करने में योग चिकित्सा का विशेष महत्व है। योगाभ्यास से व्यक्ति में जीवंतता, आत्म-विश्वास और आत्म-संचय उत्पन्न होता है। योग की सहायता एवं आपके प्रोत्साहन से व्यक्ति धीरे-धीरे इतनी आसानी से व्यसन मुक्त हो सकता है कि उसे स्वयं पता ही नहीं चलता। योगासनों द्वारा नशा उन्मुक्ति के लिए व्यक्ति को सर्वप्रथम योगनिद्रा का निम्नवत अभ्यास करना चाहिये।

योगनिद्रा की विधि

  1. दोनों टाँगों को अलग-अलग फैलाकर कमरे के मध्य किसी चारपाई अथवा जमीन पर पीठ के बल लेट जायें।
  2. पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें तथा आँखें बन्द कर लें।
  3. अपनी आती-जाती साँस की गति पर ध्यान दें तथा अपने दिल की धड़कन की आवाज सुनने का भी प्रयास करें।
  4. अब आप भावना करें कि आपके शरीर का ऊपर से नीचे तक एक-एक अंग पूर्ण रूप से शान्त है, शिथिल है तथा निश्चल है।
  5. अब अपनी नाभि के नीचे एवं ऊपर की ओर का पेट तथा उसके अन्दर के सभी अंग, मूत्राशय, छोटी एवं बड़ी आँत सब पूर्ण रूप से शान्त हैं तथा शिथिल हैं। उनमें किसी प्रकार का तनाव नहीं है।
  6. लीवर, किडनी, अग्नाशय, तिल्ली, एडरीनॉल भी पूर्ण शान्त एवं शिथिल हैं।
  7. श्वास नली में किसी प्रकार का अवरोध नहीं है, फेफड़े पूरी तरह से फूल एवं पिचक रहे हैं, हृदय की धड़कन लयबद्ध एवं नियमित है। शुद्ध रक्त का प्रवाह पूरे शरीर में सुचारु एवं नियमित रूप से हो रहा है।
  8. नींद सुव्यवस्थित है, कोई खाँसी, जुकाम नहीं है, भूख भी सामान्य रूप से लगती है। श्वसन-प्रणाली बाधा रहित है और सुचारु रूप से चल रही है। आपका तन-मन पूर्ण रूप से शान्त एवं सहज है। इस स्थिति का अनुभव करें।
  9. अब आप अपनी दाहिनी टाँग को धीरे से जमीन से 5-6 फुट तक ऊपर उठायें । पूरी दाय टाँग को तान लें, फिर धीरे-धीरे उसे नीचे पूर्ववत् स्थिति में ले आयें। इसी प्रकार आप अब अपनी बाँयी टाँग को जमीन से ऊपर उठाकर तानें फिर पुनः धीरे-धीरे टाँग को जमीन पर ले आयें।
  10. इसी तरह क्रमश: अपनी दाहिनी एवं बाँयी भुजा को 4-6 इंच ऊपर उठायें तथा धीरे-धीरे जमीन पर पूर्ववत् रख लें। इस पूर्ण प्रक्रिया में हथेलियाँ खुली रहें।
  11. अब क्रमशः एक-एक करके दाहिनी एवं बाँयी भुजा को ऊपर उठाकर मुट्ठी भींचकर तानें फिर खोलते हुए पृथ्वी पर ले आयें।
  12. इसी प्रकार नितम्बों को तानें एवं ढीला छोड़ दें। गहरी साँस लेकर छाती को फुलायें और साँस छोड़ते हुए पूर्णत: प्रकृतिस्थ महसूस करें।
  13. मुँह को जरा-सा खोलकर होठों आदि में शिथिलता का अनुभव करें। अब अपने शरीर को बगैर हिलाये-डुलाये पूरी तरह से शिथिल कर लें।
  14. अब आप अनुभव करने का प्रयास करें कि आपकी श्वसन प्रक्रिया निर्विघ्न, सहज एवं सहज रूप से चल रही है तथा शुद्ध, पुष्टिकारक वायु आपके फेफड़े में प्रवेश कर रही है। इस पूरी प्रक्रिया को आप साक्षी बने रहकर अनुभव करें।
  15. अब आप दृढ़ भावना करें कि आप पूर्ण रूप से स्वस्थ्य एवं प्रसन्न मन हैं। आपकी चेतना एक नई शक्ति, स्फूर्ति, उत्साह और उमंग से सराबोर है। आप सुख एवं शान्ति की साक्षात मूर्ति हैं। नशे की लत से पूर्ण मुक्त हो गये हैं। चाहकर भी मादक पदार्थों की इच्छा बिल्कुल नहीं हो रही है। अपने मन को पूर्ण रूप से तनाव रहित, हल्का महसूस कर रहे हैं।
  16. अब आप उक्त अनुभूति के साथ पूर्णतः स्वस्थ एवं प्रफुल्लित मन से धीरे-धीरे उठकर बैठें।

आप इस प्रकार योग निद्रा का अभ्यास अपनी सुविधा एवं समय अनुसार दिन में दो-तीन बार तक कर सकते हैं। उक्त भावना को दिन-रात सतत् बनाये रखें।

जप साधना

शान्त एवं निर्मल चित्त से चलते-फिरते, उठते-बैठते ईश्वर का स्मरण करते रहें वस्तुतः ईश्वर का अर्थ है शान्ति, सौन्दर्य, सौम्यता और सुख आप स्वयं साक्षात् शान्ति स्वरूप हैं, उल्लास एवं सुख का मूर्तिमय रूप हैं। सुख, शान्ति तो आपके चित्त में ही है, उसे कहीं बाहर खोजने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में, आप ईश्वर की प्रतिकृति हैं। वह आपके अन्दर ही सर्वदा विराजमान हैं। ईश्वर सत्य है, नित्य है। आप भी शुद्ध चेतन हैं। ऐसी अनुभूति निरन्तर करते रहें तथा अपने को विकार रहित, नशा मुक्त जीवन में प्रसन्नता का अनुभव निरन्तर करते रहें।

आसन

  1. धनुरासन
  2. चक्रासन
  3. पश्चिमोत्तानासन
  4. गोमुखासन
  5. उत्तानपादासन
  6. शलभासन
  7. भुजंगासन
  8. पवन मुक्तासन

प्राणायाम

  1. उज्जायी प्राणायाम
  2. शीतली प्राणायाम
  3. सीत्कारी प्राणायाम
  4. भ्रामरी प्राणायाम
  5. नाड़ीशोधन प्राणायाम
  6. भस्त्रिका प्राणायाम – यह हृदय एवं मन के स्वास्थ्य के लिए एक प्रकार का वरदान है।

आहार चिकित्सा

पीड़ित व्यक्ति यदि निम्नलिखित पदार्थों का सेवन, उक्त बताई गई क्रियाओं के साथ करता रहे तो निश्चय ही उसका जीवन नशामुक्त हो सकता है। इन सबके साथ दृढ़ संकल्प भी आवश्यक है-

  1. सोयाबीन का छाछ -इसमें लेसिथिन द्रव्य होता है जो नशीली औषधियों का एण्टीडोट्स होता है।
  2. फलों के रस में संतरा, मौसम्मी, अंगूर, अनार, जामुन, अनन्नास तथा तरबूजे का रस, नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव को कम करता है, शरीर के कोषों में जमे नशीले रसायनों को निकालकर उन्हें पुनः जीवन प्रदान करता है।
  3. सब्जियों में पालक, टमाटर, लौकी तथा पेठे का रस अत्यन्त उपयोगी होता है।
  4. गाजर में स्थित कैरोटीन तथा टमाटर में स्थित लाईकोपिन, कारिटिनोयड पिगमेन्ट होता है जो नशे के घातक प्रभाव को दूर करते हैं। ये उक्त आहार नशीली औषधियों को लेने की इच्छा को भी समाप्त करते हैं।

सामान्य स्थिति में नशे के लती लोगों का आहारक्रम निम्नवत् रखें प्रातःकाल उठते ही 3-4 गिलास पानी पिलाना। प्रातः काल खाली पेट जल पीने से शरीर के विषाक्त एवं नशीले पदार्थों की धुलाई सफाई हो जाती है। पानी पीने के बाद 24 घंटे पूर्व भीगे गेहूँ तथा चने का एन्जाइमेटिक रेजुबेलक पेय का एक गिलास, एक नीबू अथवा 10 ग्राम आँवले का पानी तथा तीन चम्मच शहद मिलाकर दें। रेजुवेलक इन्जाइमेटिक पेय में डाक्सिन्स सैकराइन्स, लैक्टोबैसिली, सैकराइमाइसेस, एसपेरिगिल्लस ओराइज, एमाइलेसेस, प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट पाये जाते हैं जो शक्ति देने के साथ नशे की लत से भी छुटकारा दिलाते हैं।

नाश्ते में अंकुरित अनाज तथा सोयाबीन की छाछ अथवा सब्जियों का रस एक गिलास दें। दोपहर के भोजन में 4 घण्टे पूर्व पालक के रस में गूंथी हुई मोटे आटे की 2-3 रोटी, सब्जी, सलाद, दही, अंकुरित अनाज दिया जाय। मध्याहन काल में फलों का रस या फल मौसमानुसार दें । सायंकालीन भोजन दोपहर की तरह ही दें।

उक्त आहारों से कुपोषण से ग्रस्त नशाखोरों की हालत भी सुधरती है रात्रि में सोते समय 8-10 खजूर, 3-4 केले, 20-25 मुनक्के या किशमिश अथवा कोई मीठे फल अवश्य खिलायें। मीठे फलों से मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर्स का रिसाव बढ़ जाता है जिससे नशे की लत से छुटकारा मिलता है।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।