नीलम संजीव रेड्डी का जीवन परिचय (Neelam Sanjiva Reddy Ka Jeevan Parichay), छठे राष्ट्रपति संजीव रेड्डी उन राष्ट्रपतियों में से हैं जिनका निर्वाचन बिना विरोध के हुआ था। आपने यह सिद्ध कर दिया कि मनुष्य परिश्रम और त्याग तपस्या से ही लोकप्रियता प्राप्त करता है। अनुभवी राजनेता एवं कुशल प्रशासक श्री रेड्डी का जन्म 19 मई, सन् 1913 को आन्ध्र प्रदेश के अनन्तपुर जिले के इल्लुत गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। में प्रारम्भिक पढ़ाई समाप्त कर अदियार के थियोसोफिकल स्कूल से हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की।
नीलम संजीव रेड्डी का जीवन परिचय

Neelam Sanjiva Reddy Ka Jeevan Parichay
जन्म | 19 मई, सन् 1913 |
जन्म स्थान | अनंतपुर, आंध्रप्रदेश |
पिता का नाम | नीलम चिनप्पा रेड्डी |
पत्नी का नाम | नीलम नागरत्नम्मा |
राष्ट्रपति | सन् 1977 |
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स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के लिए आप पढ़ाई छोड़कर छात्र संगठन के काम में लग गये। आपने ‘यूथ लीग’ की स्थापना की। विद्यार्थी सत्याग्रह में बहुत अधिक परिश्रम किया। फलस्वरूप आप विद्यार्थी समाज में लोकप्रिय हो गये।
पच्चीस वर्ष की अवस्था में आप आन्ध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य चुने गये। दस वर्ष तक इस पद पर रहे। सन् 1940 से 1944 तक आप जेल में रहे।
सन् 1946 में आप मद्रास विधानसभा के लिए चुने गये। सन् 1947 में आप भारतीय संविधान परिषद् के सदस्य बने। सन् 1951 में आप मन्त्री बनाये गये। सन् 1952 में आप राज्यसभा के सदस्य चुने गये। आप वनमन्त्री बनाये गये।
वर्ष 1955 में फिर चुने गये और इस बार उप मुख्यमन्त्री बनाये गये। सन् 1956 में आप आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये गये और बाद में अध्यक्ष पद के लिए चुने गये। लालबहादुर शास्त्री मन्त्रिमण्डल में इस्पात और खान मन्त्री बनाये गये। इन्दिरा मंत्रिमण्डल में आप अनेक विभागों के मन्त्री रहे। सन् 1967 में आप लोकसभा के अध्यक्ष चुने गये।
सन् 1977 में आप जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गये। 26 मार्च, सन् 1977 को आप लोकसभा अध्यक्ष चुने गये। सन् 1977 में बिना किसी विरोध के राष्ट्रपति चुने गये। इनकी उन्नति का बहुत कुछ श्रेय इनकी तपस्विनी पत्नी को है। आपने पति के काम में कभी बाधा नहीं डाली। जब-जब जेल गये तब-तब हँसते-हँसते तिलक कर विदा किया।
उपसंहार
आपने युवकों को संगठित किया। विद्यार्थियों को राजनीति में सम्मिलित करने के लिए उन्होंने बहुत प्रयत्न किया। उन्हें आवश्यक शिक्षा दी। आप किसानों और मजदूरों की दशा सुधारने के लिए दिन-रात लगे रहे। इस प्रकार नीलम संजीव रेड्डी के जीवन का पूरा भाग देश-सेवा में ही बीता।