भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने पेट्रोल के दाम कम नहीं होने की वजह ऑयल बॉण्ड को बताया है। यह ऑयल बॉण्ड क्या है जानेंगे क्या है यह ऑयल बॉण्ड। उन्होंने यह बताया है कि ऑयल बॉण्ड की वजह से पेट्रोल के दाम कम नहीं किए जा सकते हैं।
ऑयल बॉण्ड क्या है

इसकी वजह कांग्रेस सरकार को बताया जा रहा है क्योंकि कांग्रेस सरकार ने अपने समय में ऑयल बॉण्ड जारी किए थे जिस वजह से आज के समय में पेट्रोल, डीजल और LPG गैस के दाम कम नहीं हो रहे हैं।
पेट्रोल, डीजल और एलपीजी गैस के दामों में लगातार बढ़ोतरी के कारण आम जनता बहुत ही ज्यादा परेशान हैं इनके दामों में बहुत ज्यादा इजाफा होने की वजह से आम जनता को पेट्रोल, डीजल और एलपीजी गैस अधिक दामों में खरीदना पड़ रहे हैं।
और दूसरी तरफ कोरोना वायरस की वजह से बहुत से लोगों की नौकरियां छूट गई उनके धंधे बंद हो गए जिस वजह से उनको अपने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल पड़ रहा है ऐसे में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम इतने ज्यादा होने की वजह से उनको अपने घर का खर्च चलाने में बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार प्राइस
बीजेपी सरकार ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी गैस के दामों में कमी ना हो पानी की वजह कांग्रेस सरकार को बताया है उन्होंने यह बताया है कि उन्होंने डीजल, पेट्रोल और एलपीजी गैस के लिए एक ऑयल बॉण्ड जारी किया था अब क्या है यह बांड आपको हम विस्तार से बताते हैं। इसके लिए आपको ऑयल बॉण्ड का इतिहास जानना बहुत ही जरूरी है।
आज के समय में पेट्रोल डीजल और एलपीजी गैस के दाम मार्केट के ऊपर छोड़ दिए गए हैं पेट्रोल डीजल के दाम क्या होंगे यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार तय करेगा। वर्ष 2002 में हवाई जहाजों में भरने वाला ऑयल इसकी प्राइस को मार्केट के ऊपर छोड़ दिया गया इनके प्राइस पर मार्केट तय करेगा उनके बिकने का मूल्य।
वर्ष 2010 में यह नियम पेट्रोल के ऊपर लगाया गया अंतरराष्ट्रीय मार्केट में पेट्रोल के दाम जो भी होंगे वह तय किए जाएंगे। 2014 में डीजल के ऊपर यह नियम लगाया गया कि जो भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राइस होंगे वही उनके प्राइस तय किए जाएंगे।
इन सभी चीजों के प्राइस अंतर्राष्ट्रीय बाजार के ऊपर छोड़ दिए गए कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन चीजों के ऊपर प्राइस की बढ़ोतरी होगी तब इनके प्राइस बढ़ा दिए जाएंगे। अब हम जानेंगे की ऑयल बॉण्ड क्या है।
पेट्रोल कंपनियों के अनुसार उन्होंने भारत सरकार को यह बताया था कि हम जो बाजार में पेट्रोल बेच रहे हैं उसको पीसने में हम को नुकसान हो रहा है हम इतने कम दामों में पेट्रोल नहीं भेज सकते हैं।
सब्सिडी क्या है
कंपनी को बहुत ज्यादा नुकसान होगा तब भारत सरकार में उन कंपनियों को बोला कि आप को जितना भी नुकसान हो रहा है हम आपको सब्सिडी के रूप में इतना रुपया आपको दे देंगे अब आपको हम एक एग्जांपल के रूप में समझाएंगे की सब्सिडी क्या है।
मान लीजिए की वर्ष 2008 में पेट्रोल कंपनियों ने भारत सरकार को बोला कि हमारी लागत मूल्य बेचने से अधिक हो रही है इसलिए हम इतने कम दामों पर इसको नहीं भेज सकते जैसे मान लीजिए उस समय पेट्रोल के दाम ₹80 थे और पेट्रोल कंपनियों की लागत ₹85 आ रही थी।
जिसमें तेल कंपनियों को ₹5 का नुकसान हो रहा था तब भारत सरकार ने तेल कंपनियों को ₹5 सब्सिडी के रूप में देने का निर्णय लिया। इसी तरह से जब से देश आजाद हुआ और वर्ष 2010 तक ऐसा ही चलता रहा। 2010 में पेट्रोल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार पर आधारित कर दिए गए थे।
क्या है ऑयल बॉण्ड
इसी तरह से करते करते भारत सरकार के ऊपर सब्सिडी का पैसा लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्जा हो गया। वर्ष 2012 में भारत सरकार को तेल कंपनियों को यह पैसा चुकाना था जो कि भारत सरकार के पास नहीं था।
तब भारत सरकार ने इन तेल कंपनियों के साथ एक बॉण्ड साइन किया जिसमें यह बताया गया की जो पैसा आपको देना था वह भारत सरकार के ऊपर कर्ज है और इस कर्ज के ऊपर हम आपको ब्याज देंगे अब आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह ब्याज की रकम सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपए है। भारत सरकार हर वर्ष 10,000 करोड़ों रुपए इन तेल कंपनियों को ब्याज चौक आती है। यही है ऑयल बॉण्ड।
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