ओणम पर निबंध: त्योहार हमें आनन्द प्रदान करते हैं। प्रत्येक त्योहार किसी न किसी दैवीय शक्ति की उपासना से जुड़ा हुआ है। कुछ त्योहार ‘महान व्यक्तित्व’ वाले व्यक्ति की यादगार में मनाये जाते हैं। ओणम भी ऐसा ही एक त्योहार है। हजारों वर्ष पहले महाबली नाम का एक राजा था। वह तीनों लोकों में शक्तिशाली था। उसने एक यज्ञ का आयोजन किया। उस यज्ञ में विष्णु भगवान् वामन अवतार धारण कर पधारे। उन्होंने महाबली से तीन पग भूमि का दान माँगा।
ओणम पर निबंध

मनाने का कारण
महाबली ने भूमि दान का संकल्प किया। वामन अवतार वेशधारी विष्णु भगवान् ने भूमि को नापना प्रारम्भ किया। एक पग में स्वर्गलोक, दूसरे पग में सम्पूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और तीसरे पग के लिए शेष स्थान पूछा। तब महाबली ने तीसरा पग रखने के लिए अपना सिर आगे कर दिया।
जब उन्होंने तीसरा पग महाबली के सिर पर रखा तो महाबली पाताल में धँस गया। भगवान् ने प्रसन्न होकर उसे पाताल का राज्य दे दिया। ऐसा विश्वास किया जाता है कि वर्ष में एक बार महाबली की आत्मा स्वर्ग देखने आती है। महाबली के स्वागत में यह त्योहार मनाया जाता है।
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मनाने का तरीका
ओणम त्योहार श्रावण महीने के प्रारम्भ में मनाया जाता है। यह त्योहार 15 दिन का होता है। लोग अपने घरों को सजाते हैं। नये वस्त्र पहनते हैं। लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं। बिजली के रंगीन प्रकाश से घर जगमगाने लगते हैं।
यह त्योहार नौका दौड़ प्रतियोगिता के लिए प्रसिद्ध है। यह नौका दौड़ केरल समुद्र क्षेत्र में होती है। हजारों दर्शक इस प्रतियोगिता को देखने के लिए एकत्रित के होते हैं। निर्णायक विजयी टीम की घोषणा करते हैं। तब सभी अपने-अपने घर जाते हैं। इस प्रकार हर्षोल्लास के साथ ओणम त्योहार सम्पन्न होता है।
उपसंहार
हिन्दू संस्कृति बहुत महान् है। इसमें अनेक देवी-देवताओं की उपासना की जाती है। हम सबको प्रत्येक त्योहार समभाव और सद्भावनापूर्वक मनाना चाहिए। ओणम हमें महावली के समान बलवान और दानी बनने की शिक्षा देता है।