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परोपकार का फल – वीर व चतुर राजकुमार की कहानी

परोपकार का फल: एक एक था राजकुमार बहुत ही वीर व चतुर। जब वह विवाह योग्य हो गया तो राजा को बड़ी चिंता हुई क्योंकि राजकुमार को कोई लड़की पसंद ही नहीं आती थी। हारकर राजा ने कहा- “जाओ, खुद जाकर देखो अपनी पसंद की लड़की।”

परोपकार का फल

परोपकार का फल

यह सुनकर राजकुमार घोड़े पर सवार होकर अपने नगर से बाहर निकल पड़ा। चलते-चलते वह एक जंगल में जा पहुंचा। जंगल के मध्य में पहुंचकर उसे जोरों से कराहने की आवाज सुनाई दी। वह उस दिशा में बढ़ा, जिधर से आवाज आ रही थी।

उसने देखा कि किसी ने एक पेड़ के पास एक बूढ़े आदमी को रस्सियों से बांध रखा था। राजकुमार ने उस आदमी से पूछा- ” आप कौन हैं तथा आपको इस तरह से किसने बांध रखा है?” यह सुनकर वह बूढ़ा आदमी आंखों में आंसू भर कर बोला- “बेटा, मैं एक राजा हूं। मेरी बेटी को एक जादूगर उठाकर ले गया है। उसी ने मुझे पेड़ से बांधा है।’

यह सुनकर राजकुमार को दया आई। उसने तुरंत बूढ़े आदमी को खोला तथा पूछा- “बाबा, क्या आप बता सकते हैं, वह जादूगर किस दिशा में गया है?

बूढ़े आदमी ने उत्तर दिया- “हां बेटा, वह दुष्ट मेरी बेटी को लेकर पूर्व दिशा की ओर गया है। उधर ही उसका किला भी है।”

यह सुनकर राजकुमार पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा। काफी देर तक चलने के बाद उसको एक किला दिखाई दिया, जब वह किले के दरवाजे के पास पहुंचा तो उसने देखा कि वहां पर एक खूंखार कुत्ता पहरा दे रहा था।

उसने राजकुमार से पूछा “तुम कौन हो? कहां जा रहे हो?”

राजकुमार पशु-पक्षियों की बोली समझता था। उसने कहा- “मैं एक राजकुमार हूं तथा मुझे अंदर एक जरूरी काम है। कृपया मुझे जाने दो।”

यह सुनकर कुले ने कहा- “मैं कई दिनों से भूखा हूँ, मेरा मालिक मुझे भरपेट खाना नहीं देता है। तुम पहले मुझे कुछ खाने को दो, तब मैं तुम्हे अंदर जाने दूंगा। “

यह सुनकर राजकुमार ने घोड़े पर से अपना थैला उतारा और उसमें जो कुछ खाने को था, कुत्ते को दे दिया।

जब कुत्ते की भूख मिट गई तो उसने राजकुमार को अंदर जाने दिया। अंदर जाने पर राजकुमार ने देखा कि वहां एक और दरवाजा था। उस दरवाजे पर एक बूढ़ा आदमी पहरा दे रहा था। उस बूढ़े ने राजकुमार को रोककर पूछा- “तुम कौन हो? कहाँ जा रहे हो।”

राजकुमार ने उत्तर दिया- “मैं एक राजकुमार हूं तथा अंदर एक भले काम के लिए जा रहा हूँ कृपया मुझे जाने दो।”

यह सुनकर बूढ़े आदमी ने कहा- “मुझे बहुत ठंड लग रही है। पहले मुझे कुछ ओढ़ने को दो। फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा।

यह सुनकर राजकुमार ने अपनी रेशमी अचकन उतार कर दे दो और कहा “बाबा इसे ओड़ लो। “

तब बूढ़े आदमी ने राजकुमार को अंदर जाने दिया।

भीतर जाकर राजकुमार ने राजकुमारी को चारों ओर ढूंढा परंतु राजकुमारी उसे कहीं नहीं मिली। अभी वह चारों ओर देख ही रहा था कि उसे एक पिंजरे में तोता दिखाई दिया।

राजकुमार ने तोते से पूछा- “क्या तुमने यहां किसी राजकुमारी को देखा है, जिसे जादूगर पकड़ लाया है?” यह सुनकर तोता वोला “पहले मेरा पिंजरा खोलकर मुझे आजाद करो। फिर मैं तुम्हें राजकुमारी का पता बताऊंगा।’

राजकुमार ने झट से पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। तोता उड़कर पिंजरे से बाहर निकल आया तथा बोला- “राजकुमारी को बगीचे में तलाश करो जो फूल सबसे सुंदर है, वही राजकुमारी है।”

राजकुमार बगीचे में गया। वहां तरह-तरह के फूल खिले हुए थे। सभी फूल सुंदर थे, फिर भी राजकुमार को सूरजमुखी का एक फूल सबसे सुंदर लगा। राजकुमार ने वह फूल तोड़ लिया। फूल टूटते ही जमीन पर गिर पड़ा और पलक झपकते ही एक सुंदर-सी राजकुमारी बन गया। इतनी सुंदर लड़की उसने पहले कभी नहीं देखी थी। राजकुमार बहुत खुश हुआ। वह राजकुमारी को लेकर किले से बाहर निकल पड़ा।

तभी वहां पर जादूगर आ गया। जब उसने राजकुमार को राजकुमारी के साथ देखा तो वह आग बबूला हो उनका पीछा करने लगा। जब वह उनको न पकड़ सका तो उसने तोते से कहा- “जाओ, उन दोनों का पीछा करो। “

तोते ने कहा- “राजकुमार ने मुझे पिंजरे की कैद से मुक्ति दिलाई है। मैं क्यों पकड़ उसे।’

तब जादूगर ने बूढ़े चौकीदार को कहा- “जाओ, तुम दरवाजा बंद कर दो ताकि दोनों भागने न पाएं। “

बूढ़े चौकीदार ने कहा- “मैं क्यों करूं दरवाजा बंद राजकुमार ने मुझे ठंड से बचने के लिए कपड़ा दिया था। “

यह सनुकर जादूगर को बड़ा गुस्सा आया। वह आगे बढ़ा और कुत्ते से बोला- “जाओ, जाकर दोनों को पकड़ लो और काट लो। “

यह सुनकर कुत्ते ने कहा- “मैं उनको नहीं काट सकता। राजकुमार ने मुझे खाने को दिया था, मेरी भूख मिटाई थी। “

यह सब सुनकर जादूगर खुद राजकुमार व राजकुमारी का पीछा करने लगा, परंतु इतनी देर में तो वे दोनों बहुत दूर जादूगर की पहुंच से बाहर निकल गए थे। जब राजकुमार राजकुमारी को लेकर उसके पिता के पास पहुंचा तो वह बहुत खुश हुए। उन्होंने राजकुमारी का हाथ राजकुमार के हाथ में दे दिया। राजकुमार को परोपकार के बदले में अपनी पसंद की राजकुमारी मिल गई थी।

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