पायरिया क्यों होता है, कारण, दुष्प्रभाव, लक्षण और यौगिक उपचार के बारे में पूरी जानकारी। दाँत पाचन-क्रिया का मुख्य अंग हैं। दाँतों का पोषण शुद्ध रक्त से होता है। जब किन्हीं कारणों से रक्त दोषपूर्ण हो जाता है तो दाँत खराब होने लगते हैं। मसूढ़ों में जमा भोजन का अंश सड़कर पीब पैदा (Payriya) करता है, जो पेट में जाकर रक्त को दूषित कर देता है। मसूढ़ों में पीव उत्पन्न होने को पायरिया कहते हैं जो एक भयंकर रोग माना जाता है।
पायरिया क्यों होता है

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पायरिया का दुष्प्रभाव
इस रोग के उत्पन्न होने से अपच, दाँत का गिरना, आँतों के रोग, गिल्टी, गर्दन के भीतर की ग्रन्थियों में सूजन आ जाना, रक्त विकार जोड़ों एवं स्नायुओं में दर्द, सामान्य कमजोरी आदि दुष्परिणाम हो सकते हैं।
पायरिया के कारण
- सफेद चीनी, गुड़, मिठाई, मैदे की बनी चीजों व पान, तम्बाकू के अधिक सेवन से।
- भोजन में विटामिन ‘सी’ कैल्शियम व फॉस्फोरस की कमी होने के कारण।
- बहुत अधिक गर्म व बहुत अधिक ठण्डे पदार्थों का सेवन करते रहने से।
- दाँतों की सफाई न करना, जिससे कीटाणु उपजते हैं। रक्त की श्वेत कणिकाऐं इन कीटाणुओं से लड़ नहीं पातीं तथा मृत प्रायः होकर वहीं जम जाती हैं।
- लीवर खराब होने से पित्त की कमी हो जाती है जिससे रक्त दूषित हो जाता है।
- पुराना कब्ज रहने से भी पायरिया रोग उत्पन्न हो जाता है।
लक्षण
पायरिया के रोग में मसूढ़े कमजोर पड़कर नरम हो जाते हैं । उनमें लाली आ जाती है, वे सूज जाते हैं तथा उनमें घाव हो जाता है जिसके कारण खून बहता है। दाँत पीले, गन्दे या हरे रंग के हो जाते हैं तथा उनकी चमक नष्ट हो जाती है। दाँतों की जड़ें कट जाती हैं, दाँतों से पीब निकलने लगती है तथा उनमें बदबू आती है ठण्डा या गर्म पदार्थ पीने से दाँतों में लगने लगता है। अर्थात् उनमें दर्द महसूस होने लगता है। दाँत हिलने लगते हैं तथा समय से पहले ही गिरने लगते हैं और अन्य रोग उत्पन्न होने लगते हैं।
यौगिक उपचार
आसन
- सिंह मुद्रा
- सर्वांगासन
- मत्स्यासन
प्राणायाम
- शीतली प्राणायाम
- शीतकारी प्राणायाम
- नाड़ी शोधन प्राणायाम
अन्य क्रियाऐं
- कुंजल
- नेति
इन सबका नित्य नियमित रूप से अभ्यास करने से रोग का निवारण किया जा सकता है।
अन्य उपचार
- दाँतों का व्यायाम करने के लिए कच्चे नारियल या सलाद को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिये।
- प्रातः काल के अतिरिक्त सोने से पहले दाँतों में मंजन करना चाहिये।
- मसूढ़ों पर नीबू के रस को मलने से दाँतों से रक्त एवं पीब निकलना बन्द हो जाता है।
- सरसों के तेल में हल्दी एवं सेंधा नमक मिलाकर नियमित रूप से धीरे-धीरे मसूढ़ों की मालिश करने से भी रोग ठीक हो सकता है।
- सरसों के तेल में पानी मिला कुल्ला करने से तथा एक मुट्ठी तिल चबाकर खाने से भी रोग ठीक होता है।
- खाना खाने के बाद भुनी हुई फिटकरी से कुल्ला करने से, मसूढ़ों का ढीलापन, उनके घाव ठीक हो जाते हैं तथा ठंडा-गर्म खाद्य पदार्थ दाँतों में नहीं लगता है।
- फल, सलाद, उबली सब्जी आदि के सेवन से भी कुछ ही दिनों में पायरिया नष्ट हो जाता है।
- पान, तम्बाकू, उत्तेजक पदार्थ, अति गर्म या ठंडे पदार्थ, मिठाई, मसाले आदि का परहेज करना चाहिये।
- विटामिन सी तथा विटामिन बी वाले आहार, अंकुरित अनाज, मूँग, मोंठ, गेहूँ, चना, सोयाबीन, मूँगफली, नीबू, संतरा या मौसम्मी, आँवला, सेब, आलू, शकरकन्द, लौकी, गाजर, टिण्डा, तोरई आदि ताजे फल एवं ताजी सब्जियों का खूब प्रयोग करें।
- एक बात ध्यान में रखनी चाहिये कि सभी प्रकार के खट्टे फल, संतरा, आँवला, नीबू आदि में स्थित विटामिन सी दाँतों को सशक्त तो बनाते हैं पर उनका अम्ल दाँतों के एनामिल को नष्ट करते हैं, अतः उनके खाने के बाद पानी से दाँतों को उँगलियों से मसलकर कुल्ला करके साफ कर लेना आवश्यक है।
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