प्लास्टिक युग पर निबंध, सृष्टि के प्रारम्भ में आदिमानव जंगलों में रहता था। उसने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पाषाण का प्रयोग किया, तो वह पाषाण युग कहलाया सभ्यता के विकास के साथ-साथ ताम्र युग, लौह युग का विकास हुआ। वैज्ञानिक प्रगति ने हमें प्लास्टिक युग तक पहुँचा दिया। वर्तमान समय में प्लास्टिक का प्रभाव बहुत बढ़ गया है। यह हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। यह सत्य है कि प्रकृति द्वारा बनाए गए अन्य अतुलनीय पदार्थों की अपेक्षा मानव निर्मित प्लास्टिक मानवीय उपयोग की दृष्टि से कहीं अधिक सक्षम सिद्ध हो रहा है, लेकिन यह भी असत्य नहीं है
प्लास्टिक युग पर निबंध (Plastic Yug Par Nibandh)

कि प्राकृतिक रूप से विघटित न होने की क्षमता से प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है और पर्यावरण प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण है।
प्लास्टिक का चलन कुछ ही वर्ष पूर्व दुकानों पर कागज के थैले थैलियों में सामान रखकर दिया जाता था। आज स्थिति कुछ भिन्न हो गई है। दूध की थैली से लेकर सब्जी तक के लिए प्लास्टिक का प्रयोग किया जा रहा है। बाजार से कोई भी सामान खरीदें, वह अब कागज के थैले के स्थान पर प्लास्टिक के थैलों में मिलता है।
पहले जहाँ घरों, दुकानों एवं कार्यालयों में जो बर्तन, डिब्बे एवं अन्य जरूरत की वस्तुएँ काम में लाई जाती थीं वे पीतल, ताँबे और लोहे की बनी होती थीं किन्तु वर्तमान समय में घरों, दुकानों एवं कार्यालयों में इनका स्थान काफी हद तक प्लास्टिक के सामानों ने ले लिया है।
प्लास्टिक की उपयोगिता
प्लास्टिक की तुलना में पीतल और ताँबे जैसी धातुओं के ऊँचे दाम एवं कठिन उपलब्धि ही प्लास्टिक संस्कृति का मुख्य कारण है। यह हर वर्ग की जरूरत पूरी कर रहा है। यही कारण है कि विश्व के सभी देशों में इसका उत्पादन बढ़ रहा है।
कुछ वर्षों में ही 25-30 लाख टन प्रति वर्ष तक उत्पादन हो जाने का अनुमान है। प्लास्टिक का उपयोग पिछले चार दशकों में बड़ी तेजी के साथ बढ़ा है।
प्रारम्भ में प्लास्टिक उतना लोकप्रिय नहीं था। उस समय प्लास्टिक से निर्मित घरेलू सामग्री का उपयोग करना अच्छा नहीं माना जाता था। कहा जाता था कि प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग निर्धन लोग ही करते हैं, परन्तु आजकल प्लास्टिक का प्रयोग अत्यन्त व्यापक हो गया है।
वर्तमान समय में प्लास्टिक एक बड़े तथा महत्वपूर्ण उद्योग-धन्धे के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। आज प्लास्टिक से बनने वाली वस्तुओं की गिनती करना असम्भव है। छोटी-छोटी वस्तुओं से लेकर बड़ी-बड़ी वस्तुओं तक न जाने कितनी चीजें इससे बनाई जा रही हैं।
आजकल कुछ उद्योग तो प्लास्टिक का दाना बनाते हैं। प्लास्टिक कई प्रकार का होता है-नाइलोन, पोलिएस्टर, थर्मोप्लास्टिक, पी. वी. सी. आदि। आजकल तो प्लास्टिक का उपयोग कृत्रिम वस्त्र बनाने, मशीनों के पुर्जे बनाने, पानी की टंकियाँ बनाने, प्लास्टिक के दरवाजे-खिड़कियाँ, चादरें, चप्पल, जूते, अनेक उपकरण, रस्सियाँ, पेन, पैकिंग मैटेरियल, थैलियाँ, बर्तन, खिलौने आदि अनगिनत चीजें बनाने में किया जा रहा है।
आजकल तो विद्युत उपकरणों में प्लास्टिक का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यही नहीं मोटर कारों, टेलीफोन, कम्प्यूटर, हवाई जहाजों, बिजली के तारों, रेडियो, टी. वी. वी. सी. आर. आदि में व्यापक रूप से इसका प्रयोग किया जा रहा है।
समाज में प्लास्टिक का प्रभाव
प्लास्टिक ने तो हमारी दुनिया ही बदल दी है। जिधर देखिए, प्लास्टिक की आकर्षक वस्तुओं की भरमार दिखाई देती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि आज सौन्दर्य प्रसाधन की सामग्री तथा सजावट की वस्तुएँ बनाने में भी प्लास्टिक का प्रयोग होने लगा है।
पोलिथिन की थैलियों, रस्सियों, वस्त्रों आदि ने हमारे जीवन को ही बदल दिया है। जरा सोचिए, आज यदि प्लास्टिक का पैकिंग मैटेरियल न हो तो हमें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
यदि पोलिएस्टर के वस्त्र न हों, तो संसार भर की वस्त्रों की आवश्यकता की पूर्ति किस प्रकार सम्भव होगी। यदि प्लास्टिक न हो तो आज इससे निर्मित अनेक वस्तुओं के बिना हमारा काम नहीं चल पायेगा।
प्रकृति प्रदत्त विभिन्न धातुओं का भण्डार सीमित होता है, जबकि मानव निर्मित प्लास्टिक के तो कहने ही क्या? जितना चाहो, जब चाहो बना लो, प्रयोग करो टूट-फूट जाने पर रिसाइकिल किया जा सकता है। इन्हें एकत्र करके, गलाकर पुनः नया प्लास्टिक बनाया जा सकता है।
उपसंहार
मानव ने प्लास्टिक का निर्माण करके अपने जीवन में एक ओर जहाँ क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया है, वहीं इसने पर्यावरण को भी प्रदूषित किया है। प्लास्टिक के कारखाने बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाते हैं। कुछ भी हो, प्लास्टिक की दुनिया है बहुत रंगीन और आकर्षक वह दिन दूर नहीं, जब वैज्ञानिक ऐसी प्लास्टिक का निर्माण करने में सफल हो जायेंगे, जो पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेगा।
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