पोलियो वैक्सीन क्या है (Polio Vaccine) सन 1950 पहले बार पोलियो वैक्सीन का मनुष्यो पर इस्तेमाल किया गया था। भारत ने पोलियो से मुक्ति पाने में अहम सफलता हासिल की है। भारत में पोलियो का आखिरी केस जनवरी 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में पाया गया था। अभी भी हमारे आस-पास के पड़ोसी देश जैसे कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पोलियो के केस पाए जा रहे हैं। जब तक विश्व के किसी भी देश में पोलियो का संक्रमण है, तब तक पोलियो फिर से हमारे देश में लौट सकता है।
पोलियो वैक्सीन क्या है

क्यों लगाया जाता है पोलियो का इंजेक्शन
भारत नियमित टीकाकरण के अंतर्गत इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सिन (आई.पी.वी.) की शुरुआत कर रहा है, जिसमें आई.पी.वी. का एक इंजेक्शन ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ दिया जाएगा। आई.पी. वी. का इंजेक्शन बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उसे पोलियोवायरस से लड़ने की शक्ति देता है।
नियमित टीकाकरण के अंतर्गत आई.पी. वी. का इंजेक्शन और ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक देने के बाद भी बच्चे को पल्स पोलियो (पोलियो वैक्सीन क्या है) अभियान के तहत ओ.पी.वी. की खुराक देना अत्यंत आवश्यक है। पोलियो की खुराक और आई.पी.वी. का इंजेक्शन, बच्चे को पोलियो से डबल सुरक्षा देता हैं।
पोलियो की वैक्सीन दो प्रकार की है :-
- ओ.पी.वी.
- आई.पी.वी.
आई. पी. वी. क्या होता है?
आई.पी.वी. का मतलब है इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सिन। आई.पी.वी. में तीनों प्रकार के पोलियोवायरस होते हैं और यह बच्चे को एक इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है।
ओ. पी. वी. क्या होता है?
ओ.पी. वी. का मतलब है मुँह के द्वारा दिए जाने वाली (ओरल) पोलियो वैक्सिन इसकी दो बूँदें बच्चे को नियमित टीकाकरण और पोलियो अभियानों के दौरान पिलाई जाती हैं।
आई. पी. वी. और ओ. पी. वी. में क्या अंतर है?
आई.पी.वी. पोलियो वैक्सीन का एक टीका (इंजेक्शन) है जबकि ओ. पी. वी. पोलियो वैक्सीन की पीने वाली खुराक है।
ओ.पी.वी. | आई.पी.वी. |
दो बूंद मुँह के द्वारा नियमित टीकाकरण और पोलियो अभियानों में दी जाती है | केवल इंजेक्शन द्वारा नियमित टीकाकरण में एक बार ही दिया जाएगा |
ओ.पी.वी. टीकाकरण स्थल या घर पर आसानी से दी जा सकती है। | केवल टीकाकरण सत्र में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा ही दिया जा सकता है |
ओ.पी.वी. हीट सेंसिटिव वैक्सीन है और ज्यादा गर्मी से खराब हो जाती है | आई.पी.वी. हीट और फ्रीज़ सेंसिटिव वैक्सीन है। ठंड में जमने से और ज्यादा गर्मी से खराब हो जाती है। |
FAQ
Ans : नहीं आई.पी.वी. एक नई वैक्सीन नहीं है। आई.पी.वी. का प्रयोग वर्ष 1955 में ही बहुत सारे देशों में शुरू हो गया था। भारत में भी पिछले कई वर्षों से प्राइवेट डॉक्टर, इसका उपयोग कर रहे हैं।
Ans : हाँ. आई.पी.वी एक बहुत सुरक्षित वैक्सीन है। यह बच्चों को तीनों प्रकार के पोलियोवायरस से बचाता है।
Ans : नहीं, आई.पी.वी. के कोई साइड-इफेक्ट्स या दुष्प्रभाव नहीं हैं। आम इंजेक्शन (पोलियो वैक्सीन क्या है) की तरह सूई लगने के बाद इंजेक्शन के स्थान पर त्वचा थोड़ी लाल अथवा / और हल्का दर्द हो सकता है, जो एक-दो दिनों में सामान्य हो जाता है।
Ans : नहीं, आई.पी.वी. के टीकाकरण के बाद बच्चे को किसी खास देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती है। नियमित टीकाकरण के निर्देशानुसार, किसी भी टीकाकरण के पश्चात् स्वास्थ्यकर्ता की निगरानी में सत्र स्थान पर बच्चे को कम-से-कम आधा घंटा रखना अनिवार्य है। बुखार के स्थिति में पैरासिटामोल निर्धारित खुराकों में दिया जा सकता है।
Ans : हाँ, आई.पी.वी. सुरक्षित रूप से एक बीमार बच्चे को दिया जा सकता है। अगर बच्चा गंभीर रूप से बीमार है, तो ऐसे में माता-पिता को डॉक्टर से बच्चे को दिखाने का परामर्श दें एवं जब वह ठीक हो जाए, तब उसे लाने को कहें।
Ans : हाँ, आई.पी.वी. समय से पहले जन्मे हुए बच्चे को जन्म के 14 सप्ताह बाद दिया जा सकता है।
And: नहीं. आई.पी.वी. के आने के बाद भी ओ.पी.वी. पहले की तरह नियमित टीकाकरण और पोलियो अभियान में दी जाएगी। आई.पी.वी. का एक टीका ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ दिया जाएगा।
Ans : हालांकि, हमारे देश ने पोलियो से मुक्ति पा ली है परंतु पोलियो से ख़तरा अभी टला नहीं है। पोलियो अभी भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में मौजूद है। पोलियोवायरस (पोलियो वैक्सीन क्या है) का एक देश से दूसरे देशों में यात्रियों के द्वारा आदान-प्रदान हो सकता है। दुनिया के सभी देश जब तक पोलियोवायरस से मुक्त नहीं हो जाते हैं, तब तक पोलियो के लौटने की संभावना बनी हुई है। पूरे विश्व को पोलियो मुक्त बनाने के लिए आई.पी.वी. की शुरुआत एक महत्वपूर्ण कदम है।
Ans : हाँ. आई.पी.वी. दुनिया भर के कई देशों में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में इस्तेमाल किया जा रहा है। 30 देशों में पहले से ही उनके राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत आई.पी.वी. और ओ.पी. वी. का उपयोग किया जा रहा है। भारत सहित 126 देशों में भी शीघ्र ही राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत आई.पी.वी. का कम से कम एक टीका शुरू हो जाएगा।
Ans : बच्चे और समुदाय को दोगुनी सुरक्षा प्रदान करने के लिए ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ आई.पी.वी. का एक टीका देना अनिवार्य है। ओ. पी. वी. के साथ आई.पी.वी. बच्चे को अतिरिक्त सुरक्षा देता है और पोलियोवायरस को फिर से उभरने और संक्रमण फैलाने से रोकता है।
Ans : हाँ. आई.पी.वी. और ओ.पी. वी. एक साथ देना पूरी तरह से सुरक्षित है। कई देशों में ओ.पी. वी. और आई. पी. वी. पहले से ही नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत दिए जा रहे हैं।
Ans : हाँ, नियमित टीकाकरण के अंतर्गत आई.पी.वी. का एक टीका और ओ.पी.वी. की सभी खुराक प्राप्त करने के बाद भी बच्चों को पोलियो अभियान के दौरान ओ.पी. वी. की खुराक देना अनिवार्य है। इससे बच्चों और समुदाय की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और वे पोलियो से सुरक्षित रहेंगे।
Ans : हाँ, नियमित टीकाकरण के अंतर्गत आई.पी.वी. का एक टीका और ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक प्राप्त करने के बाद भी बच्चों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत ओ.पी.वी. की बूस्टर खुराक डेढ़ साल पर दी जानी चाहिए।
Ans : हाँ. आई.पी.वी. का एक टीका जब ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ दिया जाता है, तब वह बच्चे को पोलियो से डबल सुरक्षा देता है।
Ans : आई.पी.वी. सभी सरकारी अस्पतालों. पी. एच. सी. सी. एच.सी., उप केन्द्रों और नियमित टीकाकरण सत्र में उपलब्ध होगी। आई.पी.वी. एक इंजेक्शन (सूई) द्वारा टीका) है और इसका घर-घर जाकर देने का कोई अभियान नहीं होगा।
Ans : हाँ, आई.पी.वी. एक महँगा टीका है। सरकार आई.पी.वी. और अन्य टीके बच्चों को नियमित टीकाकरण के माध्यम से निःशुल्क प्रदान कर रही है। आई.पी.वी. की प्रत्येक डोज वायल का मूल्य लगभग 120 रुपये है। 5 डोज चायल का मूल्य लगभग 600 रुपये और 10 डोज़ वायल का मूल्य लगभग 1200 रुपये है।
Ans : आई.पी.वी. वैक्सीन 5 डोज और 10 डोज की वायल में उपलब्ध होगी। स्वास्थ्यकर्ता को वायल का उपयोग करने से पहले अच्छे तरीके से जाँच कर लेनी चाहिए कि यह वायल 5 डोज की है या 10 डोज की।
Ans : टीकाकरण निर्देशों के अनुसार, स्वास्थ्यकर्ता को टीकाकरण स्थल पर कुछ टीकों (हीट सेन्सिटिव वैक्सीन) को गर्मी से बचाने के लिए आईस-पैक का प्रयोग करना अनिवार्य है।
Ans : हाँ, 5 डोज और 10 डोज आई.पी.वी. की वायल के लेबल पर वी. वी. एम. उपलब्ध होगा। सभी स्वास्थ्यकर्ता साथ दर्शाए गए चित्र के अनुसार वी.वी.एम. को पढ़ें। बी.वी.एम. का रंग अगर त्याग बिंदु तक पहुँच जाए तो उसका उपयोग न करें।
Ans : आई.पी.वी. टीका ठण्ड और गर्मी दोनों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाता है। यदि आप एक जमी हुई आई. पी. वी. की शीशी पाते हैं, तो आप उसे टीकाकरण के लिए प्रयोग न करें और तुरंत अपने सुपरवाइजर को सूचित करें।
Ans : हाँ, ओपन वायल पॉलिसी आई. पी. वी. के लिए भी मान्य है। अगर मल्टी-डोज ओपन वायल पॉलिसी के मापदंड पूर्ण रूप से निभाए गए हैं तो आई.पी.वी. वायल खुलने के 28 दिनों तक प्रयोग किया जा सकता है।
Ans : ए. एन. एम. वायल खोलने से तुरंत पहले वायल खोलने की तारीख और समय वायल पर मार्कर पेन से अवश्य लिखें।
Ans : नियमित टीकाकरण के सत्र के दौरान वो बच्चे, जो 14 सप्ताह (साढ़े 3 महीने) से बड़े हों और एक वर्ष की आयु के अन्दर हो, उन बच्चों को ही आई.पी.वी. का टीका ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ दिया जाएगा।
Ans : राज्य, जहाँ पेन्टावैलेन्ट का टीका शुरू किया गया है: आई.पी. वी. का टीका. ओ.पी.वी. और पेन्टावैलेन्ट वैक्सीस को तीसरी डोज के साथ बच्चे को दिया जाएगा। राज्य, जहाँ पेन्टावैलेन्ट का टीका नहीं शुरू किया गया है: आई.पी.वी. का टीका. ओ.पी.वी. डी.पी.टी. और हेपेटाइटिस बी की तीसरी डोज के साथ एक ही सत्र में दिया जाऐगा।
Ans : ए.डी. सिरिंज का प्रयोग कर आई. पी. वी. का एक इंजेक्शन (0.5 मि.ली.) दाएँ जाँघ के मध्य में (बाहर की तरफ) मांसपेशी के अन्दर दिया जाना चाहिए।
Ans : टीकाकरण के 14 सप्ताह में आने वाले बच्चों को पहले ओ.पी.वी. की खुराक देनी चाहिए। फिर दाएँ जाँघ के मध्य भाग (बाहर की तरफ) के मांसपेशी में आई.पी.वी. का इंजेक्शन और आखिर में पेन्टावैलेन्ट या डी.पी.टी. और हेपेटाइटिस-बी के इंजेक्शन बाएँ जाँघ के मध्य भाग (बाहर की तरफ) के मांसपेशी में दिये जाने चाहिए।
Ans : नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत आई.पी.वी. इंजेक्शन और अन्य इंजेक्शन की जगह को निर्धारित किया गया है ताकि देश भर में बच्चों को टीके निर्धारित जगह (साइट) पर ही लगाए जाएँ। इससे ए.एन.एम. को भी एक से अधिक टीके लगाते समय आसानी होगी। अगर जच्चा बच्चा रक्षा कार्ड खो जाता है, तो पूर्व में दिए गए टीकाकरण (पोलियो वैक्सीन क्या है) का पता लगाने में भी यह ए. एन. एम. की सहायता करेगा। टीकाकरण की जगह निर्धारित करने से भविष्य में मूल्यांकन सर्वेक्षण और प्रतिकूल घटनाओं को समझने में आसानी होगी। बी.सी.जी. और जे.ई. (बाएँ बाँह के ऊपरी भाग), खसरा (दाएँ बाँह के ऊपरी भाग) पहले से ही निर्धारित जगह पर ही लगाए जाते हैं।
Ans : नहीं, क्योंकि आई.पी.वी. का टीका ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ देना है। इसलिए, 14 सप्ताह से छोटे बच्चों को आई.पी.वी. का टीका नहीं दिया जाएगा।
Ans : आई.पी.वी. टीके की रोग प्रतिरोधक क्षमता 14 सप्ताह की उम्र के बाद ज्यादा होती है। इसीलिए आई.पी.वी. 14 सप्ताह की उम्र में दी जाती है।
Ans : राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार बच्चे को आई.पी.वी. का टीका 14 सप्ताह पर ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक और पेन्टावैलेन्ट या डी.पी.टी. / हेपेटाइटिस-बी के तीसरे टीके के साथ दी जानी चाहिए। वो बच्चे, जिनका टीकाकरण देरी से हो रहा है. आई. पी. वी. का एक टीका एक साल की उम्र तक ओ.पी.वी. की तीसरी खुराक के साथ दिया जा सकता है।
Ans : हाँ. एक ही सत्र में बच्चे को एक से अधिक टीके देना सुरक्षित है। अगर 1 से अधिक इंजेक्शन एक ही जॉध में दिए जाने हैं, तो दो इंजेक्शन के बीच की दूरी कम-से-कम 2.5 से.मी. (1 इंच) होनी चाहिए। अगर कुछ टीके बच्चे को इस सत्र में किसी कारणवश नहीं लग पाते हैं.
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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।