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पोंगल पर निबंध? पोंगल मनाने का कारण क्या है?

पोंगल पर निबंध (Pongal Par Nibandh), उत्तर भारत में 14 जनवरी को प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति का त्योहार मनाया जाता है। इसी प्रकार का एक त्योहार इसी समय दक्षिण भारत तमिलनाडु में मनाया जाता है, जिसे पोंगल कहते हैं। हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जो अन्यत्र दुर्लभ है। इस अद्भुत स्वरूप में आनन्द और उल्लास की छटा दिखाई देती है। हमारे हैं देश में जो त्योहार मनाये जाते हैं, उनमें एकरूपता दिखाई देती है।

पोंगल पर निबंध (Pongal Par Nibandh)

पोंगल-पर-निबंध

पोंगल मनाने का कारण

पोंगल त्योहार फसल उत्पादन से सम्बन्धित त्योहार है। किसान अपनी फसल काटकर घर लाता है। सर्वत्र उल्लास और प्रसन्नता का वातावरण रहता है। अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद स्वरूप यह त्योहार मनाया जाता है। पोंगल तमिलनाडु का प्रमुख त्योहार है।

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पोंगल मनाने का तरीका

तमिलनाडु में यह त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह त्योहार तीन दिन का होता है। पहला दिन ‘भोगी’ का है। इस दिन प्रातः जल्दी उठकर घर के पुराने सामान को एकत्रित करते हैं। एकत्रित किये हुए सामान में आग लगाकर शरद ऋतु का स्वागत किया जाता है। महिलाएँ अपने घरों और गाय-बछड़ों को सजाकर धन की देवी का स्वागत करती हैं।

शाम के समय सभी लोग एकत्रित होकर ईश्वर से मंगलकामना के लिए प्रार्थना करते हैं। कुछ स्थानों पर लड़कियाँ सामूहिक रूप से धार्मिक नृत्य-गान करती हैं।

दूसरे दिन पोंगल का मुख्य त्योहार होता है। इस दिन चावल से ‘पोंगल’ नाम का व्यंजन बनाया जाता है और सूर्य भगवान् को इसका भोग लगाया जाता है। यह दिन आनन्द का होता है, इसलिए सभी नये वस्त्र पहनते हैं। शाम को मुर्गों की लड़ाई का आनन्द लेते हैं। कुछ लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य भगवान् की प्रार्थना की जाती है।

तीसरा दिन ‘कनुम्’ का होता है। यह त्योहार पालतू पशुओं का है। पशुओं को नहलाया जाता है और उन्हें सजाया जाता है। उसके पश्चात् उन्हें मीठे चावल खिलाये जाते हैं। शाम को बैलगाड़ियों की दौड़ होती है। विजेता को पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

उपसंहार

त्योहार हमें धार्मिक बनाते हैं। धार्मिक व्यक्ति में ही मानवीयता निवास करती है। अतः हमें अपने त्योहारों को प्रेम और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।

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