प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना :- मत्स्यपालन क्षेत्र की असीम संभावनाओं को देखते हुए 20 मई, 2020 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana)’ (PMMSY) को स्वीकृति प्रदान कर दी। इस योजना के द्वारा किसानो की आय को बढ़ाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस योजना को ‘नीली क्रांति’ का भी नाम दिया है। इस योजना को जलीय कृषि करने वाले किसानों को सुविधा प्रदान करने के लिए शुरू की गई है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

मत्स्य संपदा योजना की व्यापक गतिविधियों से यह मत्स्य उत्पादन, जलीय कृषि की उत्पादकता, निर्यात को दोगुना करने, बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित करने, मछुआरों तथा मत्स्य किसानों की आय को दोगुना करने तथा मजबूत मत्स्यपालन प्रबंधन ढांचे और किसान कल्याण की स्थापना करते हुए, महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए मत्स्य किसानों को समृद्ध बनाएगी और मत्स्यपालन क्षेत्र को नई बुलंदियों तक पहुंचाएगी।
यह भी पढ़े – प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना क्या है, 6000 करोड़ से प्रारंभ हुई किसान संपदा योजना!
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज
- आधार कार्ड
- मछली पालन कार्ड
- निवास प्रमाण पत्र
- मोबाइल नंबर
- बैंक खता
- जाति प्रमाण पत्र
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में ऑनलाइन आवेदन
- ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको प्रधानमंत्री मातृ संपदा योजना की ऑफिशियल वेबसाइट https://www.dof.gov.in/ पर जाना होगा।
- आपको होमपेज में मेन्यू सेक्शन में Scheme में मेन्यू दिखाई देगा आपको उस पर क्लिक करके PMMSY का विकल्प चुना है।
- अब आपको बुकलेट ऑफ पीएम मत्स्य संपदा योजना के विकल्प पर क्लिक करना है।
- प्रधानमंत्री मातृ संपदा योजना के लिए आवेदन फॉर्म खुल जाएगा इसमें पूछी गई सभी जानकारियों को सही से दर्ज करें और सभी आवश्यक दस्तावेजों को सॉफ्ट कॉपी के साथ अपलोड कर दें।
- सभी दस्तावेजों को अपलोड करने के बाद आपको सबमिट बटन पर क्लिक करना है इस प्रकार प्रधानमंत्री मातृ संपदा योजना में आपका फॉर्म भर जाएगा।
मत्स्य संपदा योजना विजन
पारिस्थितिकी रूप से स्वस्थ, आर्थिक रूप से व्यावहारिक और सामाजिक रूप से समावेशी मात्स्यिकी क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जो संधारणीय और दायित्वपूर्ण तरीके से देश के मछुआरों, मत्स्य किसानों और अन्य हितधारकों की आर्थिक समृद्धि तथा उनकी खुशहाली और देश के खाद्य और पोषण सुरक्षा में योगदान करती है।
मत्स्य संपदा योजना लक्ष्य
- मत्स्य उत्पादन को मौजूदा (2018-19) 137.58 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर वर्ष 2024-25 तक 220 लाख मीट्रिक टन करना।
- मत्स्य उत्पादन में लगभग 9 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखना।
- कृषि GVA में मत्स्य क्षेत्र की GVA के योगदान को 7.28 प्रतिशत (2018-19) से बढ़ाकर वर्ष 2024-25 तक 9 प्रतिशत करना।
- मत्स्य उत्पादों के निर्यात से होने वाली मौजूदा 46589 करोड़ रुपये (2018-19) आय को वर्ष 2024-25 तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना।
- मौजूदा समय में मत्स्यपालन क्षेत्र की उत्पादकता 3 टन प्रति हेक्टेयर है। इसे वर्ष 2024-25 तक बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करना है।
- उत्पादन के दौरान तथा उसके पश्चात (Post Harvest) 20-25 प्रतिशत के क्षय को कम कर वर्ष 2024-25 तक 10 प्रतिशत के स्तर पर लाना।
- घरेलू मत्स्य उपभोग को वर्तमान के 5-6 किग्रा. प्रति व्यक्ति से बढ़ाकर वर्ष 2024-25 तक 12 किग्रा. प्रति व्यक्ति करना।
- वर्ष 2024-25 तक 55 लाख प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार मत्स्य क्षेत्र में सृजित करना।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना उद्देश्य
- देश की मत्स्यपालन क्षमता का समतापूर्ण, न्यायसंगत, स्थायी, उत्तरदायित्वपूर्ण एवं समावेशीपूर्ण तरीके से दोहन करना।
- जल एवं भूमि के विस्तार, गहनता, विविधीकरण तथा लाभकारी उपयोग के माध्यम से मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाना।
- उत्पादन के पश्चात प्रबंधन तथा मत्स्य उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार की आधुनिक एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप स्वीकृत व्यवस्था को अपनाया जाना।
- उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक विस्तृत मूल्य शृंखला का आधुनिकीकरण करना तथा मजबूत बनाना।
- मछुआरों एवं मत्स्य किसानों की आय को दोगुना करना तथा रोजगार सृजन करना।
- कृषि क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन तथा निर्यात में वृद्धि करना।
- सशक्त मत्स्य प्रबंधन एवं नियामक ढांचा तैयार करना।
- मछुआरों और मत्स्य उत्पादक किसानों को शारीरिक, भौतिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना कार्यान्वयन
- PMMSY के कार्यान्वयन के दो प्रमुख घटक होंगे (a) केंद्रीय क्षेत्र की योजना (Central Sector Scheme; CS), (b) केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme; CSS)
- योजना में कुल 20050 करोड़ रुपये निवेश हेतु अनुमोदित है, जिसमें में 9407 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा, 4880 करोड़ रुपये का राज्य का हिस्सा और 5763 करोड़ रुपये का लाभार्थियों का हिस्सा शामिल है।
- केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत 1,720 करोड़ रुपये का परिव्यय केंद्र सरकार करेगी। इसके तहत संपूर्ण परियोजना खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
- जबकि केंद्र प्रायोजित योजना का परिव्यय 18,330 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
- केंद्र प्रायोजित योजना को पुनः दो भागों में विभक्त किया गया है (i) लाभार्थी उन्मुख; तथा (ii) गैर-लाभार्थी उन्मुख
- लाभार्थी तथा गैर-लाभार्थी घटकों की अनलिखित तीन गतिविधियों (Activities) के अंतर्गत हितबद्ध किया गया है उत्पादकता तथा उत्पादन में वृद्धि, आधारभूत ढांचा और उत्पादित फसल का प्रबंधन तथा मत्स्य प्रबंधन और नियमन के लिए एक तंत्र (Framework) का निर्माण। नवीन एवं उभरती हुई तकनीकी जैसे-पुनर्परिसंचरणीय मत्स्यपालन पद्धति (RAS: Recirculatory Aquaculture Systems) जहां घर में ही मत्स्य उत्पादन किया जाता है, बॉयोफ्लॉक (टैंक में मछली पालना), एक्वापोनिक्स, केज कल्टिवेशन आदि का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाना।
- ठंडे जल में तथा लवणीय जल में मत्स्यपालन के विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
- रोजगार बढ़ाने में सक्षम कुछ व्यावसायिक एवं सजावटी मत्स्यपालन गतिविधियों जैसे-समुद्री घास की खेती, सजावटी मछलियों तथा समुद्री कृषि को प्रोत्साहन देना।
मत्स्य संपदा योजना प्रगति
- 25 जून, 2021 तक की अद्यतन स्थिति के अनुसार, यह योजना देश के 34 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में प्रभावी है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ हेतु 1000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है।
- 25 जून, 2021 तक इस योजना से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से मत्स्य क्षेत्र में लगभग 8 लाख रोजगार का सृजन किया जा चुका है।
यह भी पढ़े – प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन, सरकार हर महीने 3000 रुपये पेंशन लेने के लिए ऐसे करें आवेदन