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पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप कौन कौन से हैं? पर्वत कितने प्रकार के होते हैं?

पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप कौन कौन से हैं :- पृथ्वी के धरातल पर हमें विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ (Landforms) देखने को मिलती हैं। इन स्थालाकृतियों से ही प्राकृतिक भूदृश्यों का निर्माण होता है। चट्टानों की पर्वत, पहाड़ियों एवं पठारों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके विपरीत कम दृढता वाली चट्टानों जैसे चिकनी मिट्टी, बालू आदि से मैदान, टीले, छोटी एवं नीची पहाड़ियों का निर्माण होता है। निर्माण के आधार पर स्थलाकृतियों के तीन मुख्य प्रकार होते हैं। ये हैं पर्वत, पठार एवं मैदान। इन्हें धरातल पर द्वितीय श्रेणी के स्थलरूप कहते हैं।

पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप कौन कौन से हैं (Prithvi Ke Pramukh Sthal Roop Kaun Kaun Se Hain)

पृथ्वी के प्रमुख स्थल कौन कौन से हैं
Prithvi Ke Pramukh Sthal Roop Kaun Kaun Se Hain

स्थलाकृतियों को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है

धरातल पर उच्चावच के आधार पर इन स्थलाकृतियों को तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है-

  1. प्रथम श्रेणी के उच्चावच महाद्वीप एवं महासागर
  2. द्वितीय श्रेणी के उच्चावच पर्वत, पठार एवं मैदान
  3. तृतीय श्रेणी के उच्चादन टीले नदी घाटियाँ, डेल्टा

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पर्वत एवं पहाड़ी (Mountains and Hills)

सामान्यतः आस-पास के धरातल से ऊँची स्थलाकृतियों को पर्वत तथा उससे कम ऊँची स्थलाकृतियों को पहाड़ी कहते हैं। पर्वत साधारणतया समूह में होते हैं। इसे पर्वत श्रेणी (Mountain range) कहते है। पहाड़ दूर से ही स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं एवं उनका शिखर क्षेत्र अपेक्षाकृत संकुचित होता है। उत्पत्ति के अनुसार पर्वत मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं

1.वलित या मोडदार पर्वत (Folded Mountain)

जब चट्टानों में पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों के कारण मोड़ या वलन पड़ जाता है तो उसे मोड़दार पर्वत कहते हैं। वर्तमान युग में सभी बड़े पर्वत मोड़दार या वलित हैं। ये लगभग सभी महाद्वीपों में पाए जाते हैं। कुछ प्रमुख वलित पर्वत हिमालय एलबुर्ज आल्पस, एटलस, ड्रेकेन्सबर्ग, राकीज, एण्डीज ग्रेट डिवाइडिंग रेंज आदि हैं। इनका विश्व के मानचित्र पर अवलोकन करें।

2.खण्ड या भ्रंश पर्वत (Block Mountain)

विशालकाय चट्टानी खण्डों में भ्रंश या दरार पड़ने से इनका निर्माण होता है। चट्टानों के भ्रंशित होकर ऊपर उठने या नीचे धँसने से भ्रंश पर्वत अस्तित्व में आते हैं। भ्रंश पर्वत के निकट बनी घाटी भ्रंश घाटी कहलाती है। भारत में नर्मदा नदी, विन्ध्य एवं सतपुडा पर्वतों के मध्य भ्रंश घाटी में बहती है। विश्व के प्रमुख भ्रंश पर्वत वास्जेस, ब्लैक फारेस्ट सिएरा नेवादा, आदि हैं। हमारे देश में पश्चिमी घाट भ्रश पर्वत का प्रमुख उदाहरण हैं।

3.ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic Mountain)

ज्वालामुखी भूपर्पटी पर एक मुख या खुला द्वार होता है। इस रास्ते से मैग्मा या लावा पृथ्वी के धरातल पर आता है। द्वार या मुख से गर्म लावा बाहर आने के कारण इसे ज्वालामुखी कहते है। इस द्वार के चारों ओर लावा एकत्र होने से शंकु के आकार की आकृति बनती है। इसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी पर्वत मोना लोवा, चिम्बोराजो, क्राकतोआ, विसूवियस पिलियन आदि हैं। अपने शिक्षक की सहायता से इनका मानचित्र पर अवलोकन करें। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर है।

पठार (Platau)

पृथ्वी पर अपेक्षाकृत ऊँचे एवं चौरस स्थलरूप पठार कहलाते हैं। ये पर्वतों की अपेक्षा कम ऊँचे होते हैं परन्तु इनका शिखर छोटे-छोटे उच्चावच को छोड़कर समतल एवं सपाट होता है। पठार के किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं। अफ्रीका महाद्वीप का अधिकांश भाग पठार है। भारत का प्रायद्वीपीय भाग पठार का प्रमुख उदाहरण है। विश्व के कुछ अन्य प्रमुख पठारों का मानचित्र पर अवलोकन करें- पश्चिम आस्ट्रेलिया का पठार, ब्राजील का पठार, कोलम्बिया का पठार, कनाडा शील्ड आदि।

मैदान (Plain)

प्रायः भूपटल पर समतल किन्तु निचले स्थलरूपों को मैदान कहते हैं। इनका ढाल मन्द होता है तथा छोटे-छोटे उच्चावच को छोड़कर ये समतल एवं सपाट होते हैं। उत्तर भारत का मैदान विश्व के प्रमुख मैदानों में से एक है। विश्व के कुछ अन्य प्रमुख मैदान यूरोप का मैदान, साइबेरिया का मैदान, हवांगहो का मैदान, उत्तरी अमेरिका का मैदान, मध्य एशिया का मैदान आदि हैं।

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