पुरुषों और महिलाओं के बाल झड़ने का क्या कारण है, जाने इसके बारे में

पुरुषों और महिलाओं के बाल झड़ने का क्या कारण है:- वर्तमान में बाल न केवल महिला की सुन्दरता का प्रतीक हैं बल्कि पुरूषों के लिए भी ये उतने ही महत्वपूर्ण हैं! हालांकि आजकल बढ़ते हुए तनाव, असंतुलित आहार, अनुचित देखभाल और बीमारियों के कारण बाल अनियंत्रित रूप से गिरने लगे हैं। बाल गिरने पर पीड़ित व्यक्ति अपमानजनक महसूस करता है और उसे लोगों से शर्म महसूस होती है। हालांकि यह काफी चिन्ता का विषय है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप निराश हो जायें।

पुरुषों और महिलाओं के बाल झड़ने का क्या कारण है

पुरुषों और महिलाओं के बाल झड़ने का क्या कारण है

हर व्यक्ति चाहता है आकर्षक लगना, उसके बाल काले, घने और चमकदार हों। लेकिन वास्तविकता यह है कि हर तीन में से दो व्यक्ति एलोपेशिया से पीड़ित हैं, इसे सामान्य भागो में बाल गिरना या गंजापन के नाम से जाना जाता है। जब बाल बहुत ज्यादा गिरने लगते हैं, तब न केवल व्यक्ति कॉस्मेटिक रुप से चिंतित होता है, बल्कि वह अपने आप को लेकर अधिक संवेदनशील हो जाता है, उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है, अपनी छवि को लेकर उसके विचार बदल जाते हैं, और सम्भवतया कभी कभी वह महसूस करने लगता है कि उसकी पहचान खो रही है।

बाल-मूल अवधारणा

बाल जो मृत कोशिकाओं से बना होता है, इसके भीतर किरेटिन भरा ब रहता है, यह डर्मिस में छोटे से गर्त से विकसित होता है। ये गर्त रोम पुटक या हेयर फोलिकल कहलाते हैं। ये शरीर के अधिकांश भागों को ढकता है, कुछ क्षेत्रों में अन्य स्थानों की तुलना में बालों की सान्द्रता अधिक होती है। उदाहरण के लिए, सिर की त्वचा पर काफी अधिक संख्या में रोम पुटक होते है, जबकि पैरों के तलवों में इनकी संख्या शून्य होती है।

मनुष्य में बाल के विकास का चक्र- हर व्यक्ति में रोम पुटक में रोम या बाल का विकास एक चक्र में होता है। इस विकास चक्र की तीन प्रमुख प्रावस्थाएं है।

एनाजन

यह एक सक्रिय विकास प्रावस्था है जिसमें बाल के फाईबर अर्थात रेशे का निर्माण होता है। किसी भी दिये गये समय पर एक सामान्य मनुष्य के सिर की त्वचा पर 85 से 90 प्रतिशत रोम पुटक सक्रिय प्रावस्था में होते हैं और इस प्रावस्था की लम्बाई 2 से 6 साल तक की होती है।

कैटाजन

ये दूसरी प्रावस्था है। इस प्रावस्था में रोम पुटक में रासायनिक और सरंचनात्मक परिवर्तन होते हैं और बाल का विकास रूक जाता है। यह प्रावस्था 2-3 सप्ताह तक चलती है।

टेलोजन

अन्त में रोम पुटक इस प्रावस्था में प्रवेश कर जाता है। इस प्रावस्था में पुटक तथाकथित विश्राम प्रावस्था में होता है, यह प्रावस्था 30-90 दिनों में समाप्त हो जाती है। इसके बाद, यह बाल गिर जाता है और इसके स्थान पर अगले बाल का विकास शुरू होता है।

बालों के प्रकार

मनुष्य के शरीर पर तीन प्रकार के बालों का विकास होता है।

  • जन्म के बाद उगने वाले पहले बाल वेलस बाल होते हैं, जो कोमल होते हैं, आमतौर पर इनमें वर्णक नहीं होता और शरीर के बाल रहित स्थानों पर होते हैं जैसे माथा।
  • यौन परिपक्वता पर कुछ स्थानों पर वेलस बालों का स्थान टर्मिनल बाल ले लेते हैं. ये बाल लम्बे होते हैं जो सिर पर और बहुत से लोगों में शरीर, भुजाओं और टांगों पर भी उगते हैं। शरीर पर पाये जाने वाले ये बाल यौन परिपक्वता के बाद भी लम्बे समय तक विकसित होते रहते हैं। इनके विकास के लिए प्रेरण नर हॉर्मोनों के द्वारा प्राप्त होता है। विडम्बनापूर्ण स्थिति तब होती है जब ये टर्मिनल बालों का स्थान फिर से वेलस बाल लेने लगते हैं और गंजेपन की शुरूआत होती है।
  • लानुगो बाल- ये वे बाल है जो एक अजन्मे बच्चे के शरीर पर विकसित होते हैं।

पुरूषों और महिलाओं में बालों का गिरना

बालों के गिरने की प्रक्रिया आमतौर पर धीमी होती है। बाल पैच में यानि किसी किसी स्थान पर गिर ब सकते हैं या पूरी खोपड़ी के बाल भी गिर सकते हैं। मोटे तौर पर प्रतिदिन सिर से 100 बाल रोज गिरते हैं। औसतन सिर की त्वचा पर लगभग 100,000 बाल होते हैं। हर बाल की आयु औसतन साढ़े चार साल होती है. इस अवधि के दौरान यह एक महीने में लगभग आधा इंच बढ़ता है। आमतौर पर पाचवे साल में यह बाल गिर जाता है और 6 महीने के अन्दर इसके स्थान पर नया बाल आ जाता है। आनुवंशिक गंजेपन का कारण होता है, शरीर का नये बालों के उत्पादन में असफल रहना, नाकि बहुत अधिक मात्रा में बालों का गिरना।

अधिकतर हमारे जीनों और हॉर्मोनों पर निर्भर करता है बालों का गिरना। साथ ही इसे एन्ड्रोजन आधारित. एन्ड्रोजेनिक या आनुवंशिक रूप से बाल गिरना कहा जाता है। यह एलोपेशिया का एकमात्र और सबसे बड़ा प्रकार है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है।

बालों की समस्या और कुछ नहीं बल्कि एलर्जी की अभिव्यक्ति

कॉस्मेटिक कारणों से बालों की समस्या हो सकती है जैसे कठोर शैम्पू या ब ब्लो ड्राई का उपयोग या कभी कभी यह किसी तरह की बीमारी जैसे टॉयफाईड के कारण भी हो सकती है परन्तु आनुवंशिक कारण एलर्जी है।

एलर्जी की अवधारणा

एलर्जी (ग्रीक एलोस, अन्य + एरगोन, कार्य = परिवर्तित प्रतिक्रिया) किसी ऐसे पदार्थ के लिए किसी व्यक्ति की एक आसामान्य और अतिसंवेदनशीलता है जो आमतौर पर हानिरहित होते हैं और इनके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती हैं। उदाहरण के लिए पराग, आमतौर पर हानिरहित होता है. फिर भी कई लोग इसके लिए संवेदनशील होते हैं और इनकी उपस्थिति में एलर्जिक हो जाते हैं।

एक व्यक्ति में एलर्जी क्यों विकसित होती है

आमतौर पर एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली हानिकर और हानिरहित बाहरी पदार्थों के बीच में स्पष्ट रूप से विभेदन कर लेती है और यह केवल हानिकर पदार्थों जैसे विभिन्न रोगजनक जीवाणुओं और वायरसों के प्रति प्रतिक्रिया करती है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली हानिरहित पदार्थों को नहीं पहचान पाती कि यह “हानिरहित है, तो तब वह एलर्जी संम्बधी प्रत्यक्षीकरण के रूप में सामने आती है।

एलर्जिक प्रतिक्रिया की कार्यप्रणाली

जब एक एलर्जन हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तो आईजीई और एलर्जन एक समूह का निर्माण करते हैं। यह समूह अब मास्ट कोशिकाओं के साथ बंधित हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप मास्ट कोशिकाएं फट जाती हैं और इनसे हिस्टामाईन मुक्त होता है। यह हिस्टामाईन एलर्जी के लक्षण उत्पन्न करता है जैसे लालगी, सूजन, उष्मा और खुजली इत्यादि ।

एलर्जी के प्रकार

एक्सोजेनिक या बर्हिजनिक एलर्जी विभिन्न बाहरी एलर्जनों के कारण होती ए है जैसे औद्योगिक व्यर्थ, रासायन, कीटनाशक, जीवाणुनाशक आदि। अन्त में सभी एलर्जन शरीर में धीरे धीरे परिवर्तन लाते हुए आनुवंशिक बन जाते हैं। परिणामस्वरूप एलर्जी अर्न्तजनिक बन जाती है। शरीर के ऊतक भिन्न एलर्जनों के लिए ‘संवेदनशील हो जाते हैं और इसके कारण अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रिया होने लगती है। ये संवेदनशील’ प्रतिक्रिया के लाक्षणिक गुण । आने वाली पीढ़ियों में स्थानान्तरित हो जाते हैं।

इसलिए सभी एलर्जियों का मूल कारण अर्न्तजनिक या एण्डोजेनिक ही होता है और अधिकांश मामलों में यह रोगी के पारिवारिक वृक्ष में चलती है।अक्सर एलर्जी रोगी की शरीर प्रणाली में सुप्त अवस्था में रहती है जब तक एक ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो जाती कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली अल्प रक्षित हो जाये और उसकी प्रतिरोधी क्षमता अत्यधिक कम हो जाये। शारीरिक तनाव की अवस्थाएं जैसे शल्य क्रिया, संक्रमण, गम्भीर रोग, गर्भावस्था, वृद्ध आयु आदि ऐसी कुछ परिस्थितियां है जिनके कारण शरीर पर एलर्जनों का हमला हो सकता है।

कुछ आम एलर्जिक रोग रोगी के जीवन में परिवर्तित हो सकते हैं। एक रोगी जो बचपन में दाद से पीड़ित है, वह व्यस्क जीवन में बोंकियल अस्थमा से पीड़ित हो सकता है। आमतौर पर ऐसे परिवारों में हे बुखार, छपाकी, दाद, दमा, संधिशोथ आदि का इतिहास होता है। इसी प्रकार से बालों की समस्या त्वचा की एक एलर्जिक अभिव्यक्ति है और इसका आनुवंशिक आधार भी होता है और इसके साथ सूजन जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं, जिसका स्पष्टीकरण नीचे दिया गया है।

बालों के गिरने में प्रमुख रोग विज्ञान- सूजन यौन परिपक्वता के बाद अधिकांश पुरुषों के रक्त में टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा बढ़ जाती है। जब डीएचटी (डाईहाईड्रोटेस्टरॉन) और एन्ड्रोजन ग्राही सामान्य मात्रा में होते हैं, इनके बन्धन की दर सामान्य होती है, तब बालों के विकास की दर भी सामान्य होती है। बाल अपनी सामान्य गति से विकसित होते हैं और गिरते हैं। इनकी सामान्य से अधिक मात्रा में उपस्थिति से पूरी प्रक्रिया बिगड़ जाती है।

मनुष्य और उसका पर्यावरण

  • धूल और प्रदूषण
  • सौन्दर्यवर्धक पदार्थ और इत्र
  • विशेष खाद्य जैसे अण्डा, नट्स, कोको आदि।
  • पराग, पौधे
  • औद्योगिक व्यर्थ और वाहनों से उत्सर्जित पदार्थ
  • सूर्य का प्रकाश, विशेष रूप से पराबैगनी किरणें।
  • मानव निर्मित फाईबर
  • दवाए और टीका
  • कीटनाशक और जीवाणुनाशक
  • विशेष जानवरों के बाल, रोऑ, माईटस आदि।
  • भोजन के साथ अर्न्तग्रहित किये गये परिरक्षक पदार्थ।

उपरोक्त वर्णित प्रक्रिया एक स्व प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को जन्म देती है। इसका अनुभव करने वाले पुटक अचानक शरीर में बाहरी वस्तु माने जाने लगते हैं और इसका प्रत्यक्ष परिणाम यह होता है कि शरीर इन पुटकों को अपनी प्रणाली से अस्वीकृत करने लगता है। वास्तव में यह पुरुषों के गंजेपन का प्रतिरूप है।

स्वप्रतिरक्षी प्रतिक्रिया के प्रमुख लक्षण होते हैं. सिर की त्वचा में झुनझुनाहट, खुजली, लालगी और सूजन। पुरुष जिनके बाल गिर रहे हैं, उनमें से सभी इन लक्षणों का अनुभव नहीं करते लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे पुरुषों में इसी प्रकार के लक्षण पाये जाते हैं। सूजन को एक अन्य प्रमुख कारक माना जाता है, जिसके कारण बालों के गिरने की प्रक्रिया और तेज हो जाती है। इसमें एलर्जी की अवधारणा समेकित हो जाती है।

बालों के गिरने के अन्य प्रमुख कारण

  • हार्मोनल परिवर्तन, उदाहरण के लिए थॉयराईड रोग, बच्चे का जन्म या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
  • एक गम्भीर बीमारी (जैसे अण्डाश्य या एड्रिनल ग्रन्थियों का ट्यूमर) या बुखार
  • कोई चिकित्सा जैसे कैन्सर के उपचार के लिए दी जाने वाली कीमोथेरेपी
  • भावनात्मक और शारीरिक दबाव
  • जलना या रेडिएशन थेरेपी
  • एलोपेसिया एरेटा- गंजेपन के पैच जो सिर की त्वचा, दाढ़ी और सम्भवतया भौंहों पर विकसित हो सकते हैं। पलकों के बाल गिर सकते हैं।
  • टीनिया केपिटिस (सिर की त्वचा का रिंगवर्म)

पोषण की कमी भी बालों के गिरने की प्रक्रिया में योगदान देती है और कुपोषण के कारण बालों के शाफ्ट कमजोर हो जाते हैं, जो उचित आहार से संशोधित किया जा सकता है। विटामिन ए, विशेष विटामिन बी, विटामिन बायोटिन, विटामिन सी, कॉपर, आयरल, जिंक, प्रोटीन और पानी प्रमुख पोषक पदार्थ है जिनकी कमी के कारण बाल गिरने लगते हैं।

बालों के गिरने के प्रकार

एलोपेशिया एरेटा को बालों का स्व प्रतिरक्षा रोग माना जाता है, प्रारम्भ में यह लगभग एक इंच के गोलाकार, खाली पैच के रूप में प्रकट होता है। एलोपेसिया एरेटा पुरूषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है और कई बार यह बचपन में भी हो सकता है। एलोपेशिया एरेटा के तीन प्रकार हैं, जिनके नाम इनकी गम्भीरता के अनुसार दिये गये हैं। एलोपेशिया एरेटा में सिर की त्वचा पर हल्के हल्के पैचों में बाल गिर जाते हैं एलोपेशिया टोटेलिस में पूरे सिर की त्वचा के बाल गिर जाते हैं।

एलोपेशिया यूनिवर्सेलिस में पूरे शरीर की त्वचा के बाल गिर जाते हैं। एण्ड्रोजेनिक एलोपेशिया बाल गिरने के 95 प्रतिशत मामलों में देखा जाता है। यह पुरूषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है हालांकि पुरुषों में यह समस्या अधिक देखी जाती है और तुलनात्मक रूप से अधिक गम्भीर होती है।

पुरूष प्रतिरूप गंजापन (एम.पी.बी.)

  • बालों की बीच की लाईन से बाल घटते चले जाते हैं।
  • बालों की मध्यम या अत्यधिक क्षति, विशेष रूप से खोपड़ी के बीच में।

महिला प्रतिरूप गंजापन (एफ.पी.बी.)

  • पूरे सिर में बाल कम घने या हल्के हो जाते हैं।
  • बालों की बीच की लाईन पर या खोपड़ी के बीच में मध्यम क्षति होती है।

गंजेपन की क्रिया प्रणाली

एण्ड्रोजेनिक एलोपेशिया में बालों के गिरने की दर तीन कारकों के द्वारा तीव्र हो जाती है: आयु का बढ़ना, जल्दी गंजा होने की आनुवंशिक प्रवृति और रोम पुटक में पुरूष हॉर्मोन डाईहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन या डीएचटी का अधिक मात्रा में पाया जाना। महिलाओं में आमतौर पर विस्तृत विरलन है (सब जगह कम बाल) और वह अक्सर ललाट हेयरलाईन का निर्वाह करती है। महिलाओं में बालों के गिरने की दर काफी धीमी होती है, अक्सर यह मौसमी परिवर्तनों पर भी निर्भर करती है।

गर्भावस्था के दौरान उनमें बालों के गिरने की दर तीव्र हो जाती है। मीनोपॉज के कारण भी उनके शरीर में हॉर्मोनल परिवर्तन होते हैं जो बालों के गिरने की दर को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा चिकित्सकीय परिस्थितियां और कई अन्य बाहरी कारक भी बालों के गिरने की दर को प्रभावित करते हैं। इसके विपरीत पुरूषों में अक्सर एक प्रतिरूप में बाल गिरते हैं। (सिर के पिछले हिस्से और किनारों में बालों की क्षति होती है). लाक्षणिक रूप से बिल्कुल शुरूआत में ही उनकी खोपड़ी के सामने वाले हिस्से से पर्याप्त मात्रा में बाल गिर जाते हैं।

बालों की अन्य समस्याएं

रूसी की समस्या

कोशिकाओं की विकास प्रक्रिया में सिर की त्वचा से मृत कोशिकाओं का झड़ कर गिरना एक सामान्य प्रक्रिया है। शेष शरीर की त्वचा की तरह सिर की त्वचा में भी निरन्तर नवीनीकरण होता है। जब इस प्रक्रिया की दर सामान्य से अधिक हो जाती है तो हम इसे रूसी या डेन्ड्रफ कहते हैं। यह किसी भी उम्र में हो सकती है। कंधों पर गिरने वाली रूसी वास्तव में एक समस्या है और काफी लोग इससे (कई अध्ययनों के अनुसार 50 प्रतिशत व्यस्क) ग्रस्त होते हैं।

रूसी के कई सम्भव कारण हैं:- तनाव, कुपोषण, आराम की कमी, बालों में जैल और हेयर स्प्रे का काफी उपयोग, बालों में गर्म कर्लिंग आयरन का अत्यधिक मात्रा में उपयोग। कई बार रूसी सोरिएसिस की शुरूआत की सूचक होती है। रूसी सर्दी में और बदतर स्थिति धारण कर लेती है और गर्मी में कम गम्भीर होती है।

बालों का समय से पहले सफेद होना

बाल हमारी उम्र बढ़ने पर सफेद होने लगते है क्योंकि रोम के शाफ्ट के आधार पर पुटक मिलेनिन का उत्पादन बन्द कर देता है। प्रत्येक पुटक में सीमित वर्णक कोशिकाएं होती है। ये वर्णक कोशिकाएं एक रसायन, मिलेनिन का उत्पादन कमें करती है जो बाल के शाफ्ट (प्रत्यक्ष रोम) को इसका रंग देता है, यह रंग काला, भूरा, सुनहरा या लाल हो सकता है। बालों का गहरे या हल्के रंग का होना इस बात पर निर्भर करता है कि हर रोम में कितनी मात्रा में मिलेनिन का स्रवण होता है। मिलेनिन वही वर्णक है जो धूप के सम्पर्क में आने पर त्वचा को टैन कर देता है।

आयु बढ़ने के साथ, पुटक में उपस्थित वर्णक कोशिकाएं मरने लगती हैं। इसके कारण धीरे धीर रोम का रंग खोने लगता है, जिससे वह सिल्वर, ग्रे या सफेद होने लगता है। अन्त में सभी वर्णक कोशिकाए मर जाती है और बाल पूरी तरह से सफेद हो जाते है। जीन उस आयु को निर्धारित करते हैं, जब व्यक्ति के बाल सफेद होने लगते हैं। कुछ लोगों के बाल युवा अवस्था में ही सफेद होने लगते है-यहां तक कि कभी कभी जब वे हाई स्कूल में ही होते हैं जबकि कुछ लोगों के बाल चालीस या पचास वर्ष की आयु से पहले सफेद नहीं होते हैं।

समय से पहले बालों के सफेद होने का सबसे प्रमुख कारण आनुवंशिकता ही है, परन्तु कई अन्य कारक भी इसमें योगदान देते हैं। विटामिन की कमी, विशेष रूप से पैन्टोथेनिक एसिड की कमी, कुपोषण, अनीमिया (अर्थात् रक्त में आयरन की कमी) थॉयराईड की समस्याएं विशेष रोगों जैसे कैन्सर के उपचार या एड्स, और यहां तक कि धूम्रपान भी बालों के सफेद होने का कारण हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के बाल उम्र से पहले सफेद हो जाते है क्योंकि धूम्रपान से उनके शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी होती है।

बालों की देखभाल

बालों के स्वस्थ विकास और उचित रख रखाव के लिए उनकी देखभाल बहुत जरूरी है। पोने के ब बाद, बालों को तौलिये से हल्के हाथों से सुखायें। कलिंग आयरन और ब्लो ड्रायर की उष्मा बालों को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए नुकसान से बचाने के लिए इन्हें प्राकृतिक रूप से सूखने दे। अंगुलियों के छोरों से सिर की त्वचा पर मालिश करने से रक्त प्रवाह की दर बढ़ जाती है। कृत्रिम के बजाय प्राकृतिक दांतों वाले ब्रश से कधी करें। कधी करने से भी सिर की त्वचा में रक्त प्रवाह बढ़ता है और इससे वालों के विकास की दर तीव्र हो जाती है।

ऐसा शैम्पू और कन्डीशनर चुनें जो आपके बालों के लिए उपयुक्त हो। एक अच्छा शैम्पू वो है जो आपके बालों को चिकना बनाये। जिसे करने के बाद आपके बाल उलझे न रहे, आसानी से कधी किये जा सके। यह गलत अवधारणा है शैम्पू करने से बाल ज्यादा गिरने लगते हैं। अधिकांश विशेषज्ञों का सुझाव है कि सप्ताह में कम से कम एक बार बाल धोने से रूसी से बचाव होता है और सिर की त्वचा ठीक रहती है। बालों के रंग और अन्य रसायन कभी कभी एक जरूरी बुराई बन जाते हैं। ये बालों की नमी को चुरा लेते हैं। बालों की नमी को बनाये रखने वाली उस पर्त को नुकसान पहुंचाते हैं जो बालों के कॉर्टिकल परत में नमी और पानी को बनाये रखती है।

बालों की प्रभावी देखभाल के लिए सामान्य टिप्स

  • अधिकांश लोगों में बाल आनुवंशिक रूप से इस तरह से प्रोग्राम किये जाते हैं कि वे औसतन एक साल में 6 इंच तक बढ़ जाते हैं। ” धूल” 8-10 हफ्ते में बाल के छोर को चीर देती है।
  • बालों को कसकर बांध कर या चोटी बना कर कभी न सोयें। इससे बाल टूट सकते हैं और इनमें क्षति हो सकती है।
  • हमेशा ब्रश की सहायता से ध्यान से उलझे बालों को सुलझायें।
  • शैम्पू करने से पहले ब्रश करें, हेयर क्रीम, लोशन, स्टाईलिंग जेल और स्प्रे को सीधे सिर की त्वचा पर ना लगायें। क्योंकि इससे बालों के पुटक काम करना बन्द कर देते है।
  • पूल में तैरने के बाद, जितना जल्दी हो सके बालों को शैम्पू करें, ताकि बालों में क्लोरीन निकल जाये।
  • बालों और सिर की त्वचा को हवा और धूप से बचाने की कोशिश करें।
  • ऐसे आहार से बचें जो जंक फूड है और जिसमें पोषण की कमी है। विटामिन और लवणों से युक्त उचित पोषण युक्त आहार लें। ऐसा आहार आपके बालों और त्वचा को स्वस्थ बनाने के लिए जरूरी है।

ये है पुरुषों और महिलाओं के बाल झड़ने का क्या कारण

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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