राजा की दो बंदसूरत और मूर्ख बेटियों की कहानी

राजा की दो बंदसूरत और मूर्ख बेटियों की कहानी: एक था राजा। उसकी दो बेटियां थीं- चंद्रकांता और सूर्यकांता। दोनों ही बंदसूरत और मूर्ख थीं। दोनों विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उनके लिए वर ढूंढ़ने शुरू कर दिए। राजकुमारियों को मूर्खता के चर्चे दूर-दूर तक फैल चुके थे। जिससे भी राजा बात करता, वे रिश्ते के लिए मना कर देते। रात-दिन इसी चिंता में घुलकर राजा बीमार हो गया।

राजा की दो बंदसूरत और मूर्ख बेटियों की कहानी

राजा की दो बंदसूरत और मूर्ख बेटियों की कहानी

एक रात राजा अपने बिस्तर पर लेटा हुआ इसी विषय में सोच रहा था कि उसके पास एक बूढ़ा व्यक्ति आया बोला–” राजन किस सोच में डूबे हो?”

राजा उठकर बैठ गया। बोला-री दो बेटियां विवाह योग्य हो गई हैं, पर वे बड़ी हो मूर्ख और बदसूरत हैं। उनसे कोई विवाह करना ही नहीं चाहता। मुझे उन्हीं की चिंता है।

बूढा बोला- ”उनको मैं पलक झपकने ही बुद्धिमती एवं सुंदर बना सकता हूं पर इसके बदले तुम्हें एक वायदा करना होगा। “

राजा तो यही चाहता था। तुरंत तैयार हो गया। बूढ़ा बोला “सुनों, मैं आज ही अपना काम कर दूंगा। पर आज से ठीक दस दिन बाद जब तुम सुबह सोकर उठोगे और जिस चीज को सबसे पहले हाथ लगाओगे, वह मुझे देनी होगी। “

राजा ने सोचा- ‘ इसमें कौन-सी बड़ी बात है। मैं किसी भी छोटी-मोटी चीज को छूकर इसे दे दूंगा।’ बोला- “ठीक है, तुम अपना काम करो। “

राजा के “हां” कहते ही बूढ़ा वहां से गायब हो गया। कुछ देर बाद राजा को नींद आ गई।

सुबह जब राजा सोकर उठा तो उसने देखा ” दोनों राजकुमारियों का तो मानो रूप ही बदल गया था। वे दोनों ही अति सुंदर दिखाई दे रही थीं। जिस ढंग से वे आपस में बातचीत कर रही थी, उससे लगता था कि दोनों बुद्धिमती व सभ्य हो गई हैं।

राजा खुशी से झूम उठा। बातों ही बातों में दिन बीतते गए। दसवां दिन आया। राजा को अपना वायदा याद था। अगले दिन राजा सोकर उठा। अभी उसने अपनी आँखें मलो ही थी कि वही बूढ़ा आ टपका।

उसने राजा से कहा- “राजन, मैंने अपना वायदा पूरा कर दिया था। आज तुम अपना वायदा पूरा करो। अपनी आंखें मुझे दे दो। तुमने सबसे पहले इनको ही हुआ है। ” सुनकर राजा भौचक्का रह गया। “नहीं, नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता। हे भगवान, यह मैंने क्या किया!”

फिर उसने बूढ़े से गिड़गिड़ाकर कहा–“तुम मुझसे और कुछ भी मांग लो, पर अखि तो मैं नहीं दे सकता। आंखों के बिना तो दुनिया में कुछ भी नहीं है। “

बुढ़ा मुस्कराकर बोला- “राजन, चलो, मैं तुम्हें एक मौका और देता हूं। मैं इस कमरे में चारों ओर चक्कर लगाऊंगा। यदि तुम किसी तरह भी मुझे छू दोगे, तो मैं यहां से चुपचाप चला जाऊंगा।” यह कहकर वह बूढ़ा उड़न तश्तरी की भांति कमरे में घूमने लगा। राजा ने उसे पकड़ने की बहुत कोशिश की। कई नौकरों को भी इस काम में लगाया। पर कोई भी बूढ़े को पकड़ न सका।

दोनों राजकुमारियां भी तब तक वहां आ पहुंची थीं। जब उन्होंने देखा कि वह बूढ़ा किसी भी तरह पकड़ में नहीं आ रहा है, तो वे सोच-विचार करने लगीं। अचानक उन्हें एक उपाय सूझा। उन्होंने रस्सी के फंदे बनाए और बूढ़े की ओर उछालने शुरू कर दिए। एक-दो बार तो बूढ़ा इन फंदों से बच निकला, पर आखिर वह फंस ही गया। राजा ने उसे छू दिया। फिर बोला- “मैंने तुम्हारी शर्त पूरी कर दी। “

बूढ़ा हंसकर बोला–“राजन, यह सब नाटक तो मैंने इन राजकुमारियों की परीक्षा लेने के लिए किया था। ये दोनों इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई हैं। अब तुम इन दोनों का विवाह करके सुखी रहो, यही मेरी इच्छा है।” यह कहकर वह बूढ़ा वहां से चला गया।

राजा ने मन ही मन उस बूढ़े को धन्यवाद दिया।

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