राजीव गांधी का जीवन परिचय, राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था। उनके पिता का नाम फिरोज गांधी था। एवं उनकी माता का नाम इन्दिरा गांधी था। राजीव गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म एक देशभक्त परिवार में हुआ था। देशभक्ति उन्हें विरासत में मिली थी। इनके पिता का नाम श्री फिरोज गांधी तथा माता का नाम श्रीमती इन्दिरा गांधी था। इनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू, माता श्रीमती इन्दिरा गांधी, भाई संजय गांधी तथा पिता फिरोज गांधी-सभी सच्चे देशभक्त रहे हैं। ये ही संस्कार आपको विरासत में मिले।
राजीव गांधी का जीवन परिचय

Rajiv Gandhi Ka Jeevan Parichay
जन्म | 20 अगस्त, 1944 |
जन्म स्थान | बम्बई |
पिता का नाम | फिरोज गांधी |
माता का नाम | इन्दिरा गांधी |
मृत्यु | 21 मई, 1991 |
जन्म और शिक्षा
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा देहली में हुई। इसके बाद आपने देहरादून में शिक्षा प्राप्त की। आप उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गये। वहीं आपने हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
आपको पायलेट बनने की बहुत इच्छा थी। आपने हवाई जहाज की कम्पनी में पायलेट की नौकरी प्राप्त कर ली। आपने इटली निवासी ‘सोनिया’ से विवाह किया। आपकी दो सन्तान- प्रियंका और राहुल हैं।
राजनीति में प्रवेश
प्रारम्भ में आपकी रुचि राजनीति में नहीं थी। सन् 1980 में एकमात्र भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर इन्हें भारतीय राजनीति में भाग लेना पड़ा। सन् 1981 में आप लोकसभा के उप-चुनाव में विजय प्राप्त कर संसद सदस्य बने। राजनीति में सक्रिय भाग लेने के कारण आपको कांग्रेस का महासचिव बनाया गया।
सन् 1984 में श्रीमती इन्दिरा गांधी के आकस्मिक निधन के उपरान्त कांग्रेस ने इन्हें सर्वसम्मति से अपना नेता चुना और प्रधानमंत्री बनाया। आपने शीघ्र ही लोकसभा चुनाव की घोषणा कर दी। आपको आशा के अनुकूल तीन चौथाई से अधिक बहुमत प्राप्त हुआ।
राजीव गांधी में कोमलता, मधुर स्वभाव, ईमानदारी ऐसे गुण थे, जिनसे ऐसा लगता था कि वे राजनीति और कूटनीति के कर्तव्यों को अच्छी तरह नहीं निभा सकेंगे। उन्होंने एक के बाद एक जो उचित निर्णय लिए, उन पर सम्पूर्ण विश्व आश्चर्यचकित रह गया। सबसे पहले उन्होंने पंजाब की समस्या को निर्भीकता तथा शान्तिपूर्ण ढंग से हल किया।
इसके पश्चात् असम की समस्या को, जिसे वर्षों से कोई हल नहीं कर सका था, उन्होंने अत्यन्त धैर्यपूर्वक वार्ताओं के द्वारा हल कर दिया। इसके अतिरिक्त वे देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सदैव जागरूक रहे।
एशियाई राष्ट्रों के सम्मेलन की अध्यक्षता करने में उन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक का परिचय दिया। उन्होंने लौह पुरुष की तरह निर्भीकतापूर्वक सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया। वे जहाँ भी गये, उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ।
उपसंहार
राजीव गांधी ने केवल 45 वर्ष की अवस्था में ही विश्व के कुछ गिने-चुने लोगों में बैठकर अपनी सूझ-बूझ का परिचय दिया। परन्तु ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। 21 मई, 1991 को आप एक आत्मघाती महिला के क्रूर हाथों के शिकार हो गये।
वे लोकसभा के चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडु के पैराम्बूर स्थान पर भाषण देने के लिए गये थे। वहाँ मानव बम से अचानक उनकी हत्या कर दी। उस दिन की तिथि 21 मई, 1991 भारत में ‘अन्धकार दिवस’ के रूप में याद की जाती है। 24 मई, 1991 को सायं 5.25 बजे उनके प्रिय पुत्र राहुल ने उनकी चिता को अग्नि प्रदान की। भाग्य क्या नहीं करा लेता?
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