रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय, Rambriksh Benipuri Biography
रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय:- हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार श्री रामवृक्ष बेनीपुरी (Rambriksh Benipuri Biography In Hindi) का जन्म सन् 1899 ई. में बिहार राज्य के मुजफ्फर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता का साया सिर से उठ गया। अतः इनका जीवन कष्टपूर्ण परिस्थितियों में बीता। इन्हीं विषम परिस्थितियों में जूझते हुए उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की।
रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय (Rambriksh Benipuri Ka jeevan Parichay)

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Table of Contents
रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय
मुख्य बिंदु | जानकारी |
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नाम | रामवृक्ष बेनीपुरी |
जन्म | 1899 ई. |
जन्म स्थान | बिहार राज्य के मुजफ्फर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में |
मृत्यु | 1968 ई, मुजफ्फरपुर |
आप गाँधी जी से बहुत प्रभावित हुए। सन् 1920 ई. में गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन चलाने पर आप अपना अध्ययन छोड़कर स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गए। स्वतन्त्रता आन्दोलन में आपको कई बार जेल यात्रा करनी पड़ी। सन् 1968 ई. में आपका देहान्त हो गया।
रचनाएँ
बहुमुखी प्रतिभा के धनी बेनीपुरी जी ने 15 वर्ष की अवस्था से ही पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखना प्रारंभ कर दिया था। आपने किसान मित्र. चालक तरूण भारत, जनवाणी. हिमालय. नई धारा योगी, जनता युवक आदि अनेक साप्ताहिक तथा मासिक पत्रिकाओं का सफल संपादन किया। वे एक योग्य तथा लोकप्रिय पत्रकार थे।
उपन्यास | पतितों के देश में। |
नाटक | अम्बपाली |
कहानी | चिता के फूल |
रेखाचित्र | नेत्रदान, माटी की मूरतें, मन और विजेता |
संस्मरण | जजीरें और दीवारें मील के पत्थर |
निबंध | गेहूँ और गुलाब |
यात्रा वृत्तांत | पैरों में पंख बाँधकर |
उनकी कुल पुस्तकें पचास के लगभग हैं। इनकी कुछ रचनाएँ ‘बेनीपुरी ग्रन्थावली’ नाम से दो भागों में प्रकाशित हैं। बिहार के हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में भी आपका उल्लेखनीय योगदान था। आपने ‘विद्यापति की पदावली’ तथा ‘बिहारी सतसई’ का संपादन भी किया।
साहित्यिक विशेषताएँ
बेनीपुरी जी ने हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं नाटक, उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रा, निबंध तथा रेखाचित्र आदि में अपनी लेखनी का चमत्कार दिखाया है। उनका अपना जीवन राजनीति, साहित्य तथा संस्कृति को त्रिवेणी था, जिसकी झलक उनके साहित्य में भी परिलक्षित होती है। अपनी गहन अनुभूतियों तथा उच्च कल्पनाओं से उन्होंने अपने साहित्य को संवारा है।
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