राइट टू हेल्थ बिल क्या है? राजस्थान की जनता को मिलेंगे इस कानून से फायदे

Right To Health Bill:- राजस्थान की सरकार ने यहां की जनता को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है। राजस्थान सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill Kya Hai in hindi) को पास कर दिया है। आखिर यह राइट टू हेल्थ बिल क्या है के बारे में आपको पूरी जानकारी यहां पर दी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के डॉक्टर्स इस बिल का विरोध कर रहे हैं।

हमारे देश में राजस्थान ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां पर नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार मिल चुका है। राजस्थान में निजी और सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य के लिए कानूनी अधिकार बन गया है। इस बिल के आने से सरकारी और निजी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में जवाबदेही तय हो जाएगी। सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिलने से राजस्थान राज्य के नागरिकों को बड़ा फायदा मिलेगा।

राइट टू हेल्थ बिल क्या है

राइट टू हेल्थ बिल क्या है

राइट टू हेल्थ बिल से जुड़े मुख्यबिंदू

आर्टिकल का नामराजस्थान राइट टू हेल्थ बिल
बिल पास कब हुआ21 मार्च 2023
बिल पास किसने कियाराजस्थान सरकार अशोक गहलोत
विभाग का नामराजस्थान स्वास्थ्य विभाग
योजना का लाभराजस्थान राज्य के नागरिक
योजना का उद्देश्यनिजी अस्पतालों में भी मुफ्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना
प्रोत्साहन राशि₹5000

नियम का उल्लंघन करने पर कितना हो सकता है जुर्माना

राइट टू हेल्थ बिल के कड़े नियम बनाए गए हैं यदि कोई भी डॉक्टर या मरीज इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसको ₹25000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। यदि आप इन नियमों का पहली बार उल्लंघन करते हैं तो जुर्माने के रूप में आपको ₹10000 देना होगा और बाद में इन नियमों का उल्लंघन करने पर आपको ₹25000 तक का जुर्माने का प्रावधान बनाया गया है।

Right To Health Bill का आखिर क्यों हो रहा था विरोध

निजी अस्पतालों के द्वारा राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल का बहुत ज्यादा विरोध किया जा रहा है। 20 मार्च को निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करते हुए सड़क पर उतर आए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ भी बैठक की उन्होंने इस फिल्में कुछ बदलाव करने की सुझाव भी दिए। 5 सदस्यों का प्रतिनिधि दल भी विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री से भी मिलकर बिल को वापस लेने की मांग की थी।

इमरजेंसी एक्सीडेंट केस में नहीं होगी पहले से फीस भरने की जरूरत 

इस बिल के तहत प्राइवेट अस्पतालों को इमरजेंसी में आए मरीज को पहले से इलाज के लिए पेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। निजी अस्पतालों को बिना किसी पेमेंट के ही मरीज का इलाज शुरू करना होगा यदि अस्पताल ऐसा नहीं करेगा तो राइट टू हेल्थ बिल के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। जिससे अस्पताल और डॉक्टरों के ऊपर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

राइट टू हेल्थ बिल के फायदे

  • सरकारी व निजी अस्पतालों को आपातकालीन स्थिति में आए मरीजों का निशुल्क इलाज करना होगा। यह नियम उन अस्पतालों पर लागू होगा जिन अस्पतालों में 50 बेड से अधिक की क्षमता होगी।
  • इस बिल के तहत OPD, इनडोर भर्ती, डॉक्टर से परामर्श और दिखाना, डायग्नोसिस, दवाइयां लेना, एंबुलेंस की सुविधा लेना, अन्य प्रकार की सर्विसेज और इमरजेंसी ट्रीटमेंट लेना इस नियम में शामिल किया गया है।
  • राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस सरकार के द्वारा करवाया जाएगा।
  • इस कानून के मुताबिक डॉक्टरों के द्वारा मरीज के इलाज की सारी जानकारी उनके रिश्तेदारों और परिजनों को जब चाहे तब मिल सकती है।
  • यदि कोई व्यक्ति आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में आता है तो बिना किसी पिज़्ज़ा चार्ज के निजी अस्पतालों को उसका तुरंत इलाज शुरू करना होगा और यदि मरीज को प्राथमिक उपचार देने के बाद रेफर की स्थिति बनती है तो उसको एंबुलेंस की भी सुविधा प्रदान करना होगा।
  • यदि किसी मरीज का पुलिस लीगल मामला है तो अस्पताल को पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार किए बिना ही उस मरीज का इलाज करना होगा।
  • महामारी के दौरान मरीजों को होने वाले रोगों का भी इलाज करना इस कानून के अंतर्गत शामिल किया गया है।
  • यदि किसी मरीज की इलाज के दौरान अस्पताल में मृत्यु हो जाती है तो अस्पताल भुगतान के बहाने डेड बॉडी को अस्पताल में नहीं रोक सकते हैं।
  • किसी मरीज की स्थिति को देखते हुए एक अस्पताल दूसरे अस्पताल को रेफर कर सकता है लेकिन रेफर करने की जिम्मेदारी उस अस्पताल की होगी।
  • मरीज को कीमोथैरेपी और सर्जरी करने से पहले अस्पताल को मरीज के परिजनों की सलाह वाह सहमति लेनी होगी।
  • महिला पेशेंट की फिजिकल टेस्ट के दौरान यदि मिल वर्कर करता है तो उस स्थान पर एक महिला वर्कर का भी होना अनिवार्य है।
  • निजी अस्पतालो के द्वारा मरीज को हुई बीमारी को सार्वजनिक नहीं कर सकेंगे वे केवल मरीज के परिजनों या फिर उनके चाहने वालों को ही जानकारी प्रदान कर सकेंगे।
  • इस बिल के अनुसार मरीज और उनके परिजनों के लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं डॉक्टरों और चिकित्सक कर्मचारियों के साथ मरीज के परिजन दुर्व्यवहार नहीं कर सकते हैं मरीज की अप्राकृतिक मृत्यु होने पर पोस्टमार्टम करने की अनुमति देनी होगी।

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