सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि रोटावायरस होता क्या है और उसके बाद जानेंगे की रोटावायरस वैक्सीन क्या है (Rotavirus Vaccine Kya Hai), रोटावायरस छोटे बच्चों में पेट खराब होने की समस्या पैदा कर देते हैं इसकी वजह से छोटे बच्चों को दस्त होने लगते हैं और यह दस्त इतने ज्यादा मात्रा में होने लगते हैं कि बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है।
रोटावायरस वैक्सीन क्या है

ये है रोटावायरस की वैक्सीन
रोटावायरस क्या है?
यह बच्चों में दस्त पैदा करने का सबसे बड़ा कारण है, रोटावायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है। जिसके कारण अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है अथवा बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।
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रोटावायरस दस्त के क्या लक्षण हैं?
इस संक्रमण की शुरूआत हल्के दस्त से होती हैं, जो आगे जाकर गंभीर रूप लेता है इलाजआ मिलने के कारण शरीर में पानी और कर की कमी हो सकती है तथा कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।
रोटावायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टिया भी होती है और कभी-कभी पेट में दर्द भी होता है। दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग 3 से 7 दिनों तक रहते हैं।
रोटावायरस कैसे फैलता है?
आमतौर पर रोटावायरस एक बच्चे से दूसरे बच्चे में दूषित पानी, दूषित खाने एवं गंदे हाथों के संपर्क में आने से फैलता है एवं यह वायरस कई घंटों तक बच्चे के हाथों में और अन्य सख्त सतहों पर लम्बे समय तक जीवित रह सकता है। रोटावायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है।
किस मौसम में रोटावायरस अधिक होता है?
रोटावायरस संक्रमण और दस्त, पूरे साल कभी भी हो सकता है परन्तु सर्दियों के मौसम में इसका संक्रमण सबसे अधिक देखा जाता है।
रोटावायरस दस्त का निदान (Diagnosis) कैसे किया जाता है?
इसमें होने वाले दस्त और अन्य दस्त के लक्षणों में कोई खास अंतर नहीं है, रोटावायरस दस्त का पूरा निदान (Diagnosis) करना तभी संभव है जब बच्चे के मल की जांच लैबोरेटरी परीक्षणों द्वारा करवाई जाए।
रोटावायरस दस्त का इलाज कैसे किया जाए?
इसका उपचार भी अन्य दस्त रोगों की तरह ही होता है, इससे से होने वाले दस्त का कोई सटीक उपचार नहीं है। इसके उपचार के लिए बच्चे को ओ.आर.एस. (ORS) एवं 14 दिनों तक जिंक टेबलेट देकर किया जाना चाहिए। गंभीर दस्त होने की स्थिति में बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता होती है।
रोटावायरस दस्त से कैसे बचाव किया जा सकता है?
रोटावायरस टीकाकरण ही रोटावायरस दस्त से रोकथाम के लिए एकमात्र सटीक विकल्प है। रोटावायरस वैक्सीन बच्चों में रोटावायरस दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती होने और इसकी वजह से होने वाली मृत्यु संबंधी मामलों में कमी लाने में प्रभावी है।
सामान्य उपाय जैसे अच्छी स्वच्छता, लगातार हाथ धोने, साफ एवं सुरक्षित पानी पीने एवं ताजा व सुरक्षित खान-पान, बच्चे को भरपूर स्तनपान करवाने तथा विटामिन ‘ए’ युक्त पूरक आहार देने से रोटावायरस संक्रमण से बचाव किया जा सकता है, परन्तु यह विकल्प रोटावायरस दस्त रोग को फैलने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
रोटावायरस वैक्सीन
दुनिया के 95 देशों के राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में रोटावायरस वैक्सीन इस्तेमाल होती है, जिसमें भारत भी शामिल हैं। भारत में कई वर्षों से रोटावायरस वैक्सीन निजी चिकित्सकों द्वारा इस्तेमाल की जा रही है।
गुलाबी रंग की होती है जो कभी कभी नारंगी अथवा हल्के पीले रंग में भी हो सकती है। परन्तु रंग से टीके की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
रोटावायरस वैक्सीन के दुष्प्रभाव
यह एक सुरक्षित वैक्सीन है। लेकिन, इसको दिए जाने के बाद हल्के एवं अस्थायी लक्षण जैसे उल्टी, दस्त, खांसी, नाक बहना, चिडचिड़ापन और दाने आदि हो सकते है। रोटावायरस वैक्सीन देने के बाद होने वाले दुर्लभतम प्रतिकूल प्रभाव जिसे इंदुसससेप्शन (आत का मुड जाना) के बारे में जाना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार रोटावायरस वैक्सीन पहली खुराक दिये जाने के कुछ ही देर बाद होने वाले इस प्रकार के दुर्लभतम प्रतिकूल प्रभाव एक लाख बच्चों में से किन्ही 1-2 बच्चों में ही पाए गए हैं।
इस प्रतिकूल प्रभाव से ग्रसित बच्चे को पेट में पीड़ा (अत्यधिक रोना) और बार-बार उल्टी के साथ मल में खून की शिकायत हो सकती है अतः इन कारणों से पीड़ित बच्चों को उपयुक्त निदान के लिए तुरन्त अस्पताल में भर्ती कराए जहां उन्हें पर्याप्त इलाज मिले।
इस तरह के मामलों के बारे में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (DIO) को अवश्य सूचित करें तथा इस AEFI केस को aefiindia@gmail.com पर CRF में भरकर सूचित करें। यह ध्यान रखना आवश्यक है की इंट्सससेप्शन की समस्या उन बच्चों को भी हो सकती है जिन्हें रोटावायरस वैक्सीन ना दी गयी हो।
बच्चों में रोटावायरस दस्त से बचाव में अत्यधिक लाभ प्रदान करती है। रोटावायरस वैक्सीन के बाद प्रतिकूल घटनाओं की संभावना बहुत कम है। इसीलिए बच्चों को रोटावायरस दस्त से बचाने के लिए रोटावायरस वैक्सीन दी जानी चाहिए।
Ans : भारत में जो बच्चे दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं, उनमें से 40 प्रतिशत बच्चे रोटावायरस संक्रमण से ग्रसित होते हैं। यही कारण है कि भारत में लगभग 32.7 लाख बच्चे अस्पताल की ओ.पी.डी. में आते हैं, लगभग 8.72 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती किए जाते हैं तथा प्रति वर्ष लगभग 78000 बच्चों की मृत्यु हो जाती है, जिनमें से 59000 मृत्यु बच्चों की प्रथम दो वर्ष की उम्र में होती है।
Ans : रोटावायरस दस्त का ख़तरा पूरी दुनिया में सभी बच्चों को होता है। रोटावायरस दस्त के कारण होने वाली मृत्यु में लगभग 50% मृत्यु बच्चे के प्रथम वर्ष में ही हो जाती है एवं लगभग 75% मृत्यु बच्चे के प्रथम दो वर्षों की आयु में हो जाती है। कुपोषित बच्चों में यदि इलाज तुरंत एवं पर्याप्त रूप से न कराया जाए तो दस्त गंभीर रूप ले सकता है, जिससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।
Ans : हाँ, बच्चे को रोटावायरस का संक्रमण बार-बार हो सकता है। हालांकि दोबारा होने वाला संक्रमण सामान्यतः गम्भीर नहीं होता।
Ans : नही, कृपया ध्यान रखें की दस्त कई तरह के जीवाणुओं से फैलता है। रोटावायरस वैक्सीन सिर्फ उस तरह के दस्त की रोकथाम करने में सक्षम है, जो रोटावायरस से हुआ है, जो की बच्चों में दस्त होने का सबसे बड़ा कारण है। रोटावायरस वैक्सीन पिलाए जाने के बाद भी अन्य कारणों से दस्त हो सकता है।
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