फुटबॉल के नियम:- एक गेंद से ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमें यह खेल खेलती हैं। इसमें एक टीम दूसरी टीम के गोल में गेंद डालने की कोशिश करती है। अधिक गोल करने वाली टीम जीती समझी जाती है। फुटबॉल खेल (Rules of Football Game in Hindi) दो टीमों के बीच में खेला जाता है और इन दोनों टीमों में 11-11 खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं जिसमें से दोनों टीमों के 1-1 गोलकीपर होते हैं।
फुटबॉल के नियम इन हिंदी (Rules of Football Game in Hindi)

फुटबॉल मैदान का आकार
आयताकार और 50-100 गज चौड़ा तथा 100-130 गज लम्बा होता है। इसके दोनों किनारों पर गोल बने होते हैं और गोल-क्षेत्र पेनल्टी क्षेत्र से घिरा होता है। गोल खम्भे और उन पर रखा आड़ा छड़ सभी एक चौड़ाई के होते है। यह चौड़ाई गोल-रेखा की चौड़ाई के बराबर होती है। गोल खम्भे सफेद रंग से पुते होने चाहिए। स्पर्श रेखा (टच लाइन) और गोल-रेखा मैदान का हिस्सा होती है। मैदान के हर कोने पर लकड़ी की एक छड़ी पर पताका होती है, पताकाएँ हल्के रंग की होनी चाहिए। यह छूड़ी कम से कम 5 फुट ऊँची होनी चाहिए। इसका सिरा नुकीला नहीं। होना चाहिए। सेंटर लाइन के दोनों ओर पताकाएँ लगानी ऐच्छिक होती हैं: परन्तु यदि वे लगाई जाएँ। तो स्पर्श रेखा से कम से कम एक गज दूर लगाई जानी चाहिए।
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गेंद
यह चमड़े अथवा अन्य मान्यता प्राप्त सामग्री से बना होता है। खेल शुरू होने के समय गेट का वजन 14 से 16 औस के बीच हो सकता है। यह इस प्रकार से फुलाया गया होता है कि इसकी सतह पर 9 से 105 पौड़ तक प्रति इंच दाव होता है। रैफरी की इजाजत के बिना खेल के दौरान फुटबॉल (फुटबॉल के नियम) नहीं बदला जा सकता।
खेल की पोशाक
रैफरी तथा अन्य खिलाड़ियों से अलग दिखाई देने के लिए गोलरक्षकों को भिन्न रंगों की पोशाक पहननी चाहिए टीमों के शेष खिलाड़ियों को निश्चित पोशाक-कमीजे अथवा जरसी, 1 निकर और जुराबे पहननी होती हैं। लेकिन दोनों टीमो की पोशाक अलग-अलग रंग की होनी चाहिए जिससे कि दोनों टीमों के खिलाड़ियों की पहचान बहुत सरलता से हो सके। शिन पैड पहनने ऐच्छिक होते है। जूतों के तलों पर स्टड या चमड़े अथवा रबर के छोटे-छोटे छड़ लगे हो सकते हैं।
स्टड ठोस चमड़े के होते हैं। ये रबर, प्लास्टिक, एल्युमिनियम या और किसी सामग्री के भी हो सकते है। ये गोल होने चाहिए और इनका व्यास आधा इंच से कम नहीं होना चाहिए। इनकी लम्बाई भी पौन इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। जो स्टड तलवे के साथ ही बनाए गये होते हैं वे नरम सामग्री के होने चाहिए। हर तलवे पर कम से कम दस स्टड और हर स्टड का न्यूनतम व्यास 3/8 इंच हो सकता है। गोलकीपर आम तौर पर दस्ताने पहनते है। खिलाड़ियों की जरसी की पीठ पर नम्बर लिखे रहते हैं।
खिलाड़ी कोई ऐसी चीज नहीं पहन सकते जिससे दूसरे खिलाड़ियों को चोट लगे। विशेष रूप से उन्हें खराब स्टड तो पहनने ही नहीं देने चाहिए। यदि किसी खिलाड़ी ने कोई खतरनाक उपकरण- पहना हो तो जब तक वह इसे बदल नहीं लेता उसे खेल से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि खिलाड़ी इस बारे में कोई नियम भंग करता है तो उसे अपने उपकरण ठीक करने के लिए मैदान के बाहर भेजा जाएगा। वह ऐसा कर रैफरी को सूचना देकर खेल रुकने पर पुनः मैदान में प्रवेश करेगा।
अधिकारी / रैफरी
खेल पर नियंत्रण रैफरी रखता है और उसकी सहायता के लिए दो लाइनमैन होते हैं। रैफरी टाइमकीपर का काम भी करता है और गेम का रिकार्ड रखता है, (फुटबॉल के नियम) नियम लागू करता है, चोट लग जाने पर या नियम तोड़े जाने पर खेल रोकता है और फिर उचित तरीके से खेल शुरू करवाता है। वह नियम तोड़ने वालों को चेतावनी (काशन) देता है और ठीक समझने पर उन्हें मैदान से बाहर निकाल देता है।
मौसम खराब हो तो वह खेल खतम घोषित कर सकता है। दर्शकों द्वारा रुकावट पहुँचाए जाने पर भी ऐसा ही फैसला वह ले सकता है। लाइनमैन दो होते है और एक-एक स्पर्श रेखा के साथ रहते हैं। वे यह संकेत झण्डी उठाकर करते है कि गेंद कब खेल से बाहर गई है और किस टीम को धो-इन कारनर किक और गोल किक लेनी है। परन्तु यह रैफरी का अपना फैसला होता है कि इन संकेतों पर वह क्या कार्रवाई करे । उन्हें माने या न माने।
रैफरी लाइन्समैन से प्राप्त तथ्यों के आधार पर स्कोर हुए (फुटबॉल के नियम) गोल को भी रद्द कर सकता है। रेफरी अपने निर्णय को पुनः खेल शुरू होने से पहले ही बदल सकता है। यदि रेफरी ने ‘एडवेटेज’ नियम लागू करने का फैसला किया हो तो इसके इस्तेमाल न किये जाने पर यह फैसला बदल नहीं सकता। हाँ यह इसके बावजूद गलती करने वाले खिलाड़ी को दण्डित कर सकता है।
टीमें
दोनों टीमों में ग्यारह ग्यारह खिलाड़ी होते है। इनमें से एक गोलकीपर होता है।
एवजी खिलाड़ी
आम तौर पर एक या दो स्थानापन्न खिलाड़ियों की अनुमति होती है। यह संख्या प्रतियोगिता विशेष और अन्य किसी बात पर निर्भर कर सकती है। परन्तु हर हालत में खेल से पहले ही एवजी खिलाड़ियों के नाम बतला दिये जाने चाहिए। इनकी संख्या 5 से अधिक न होगी। एक बार एवजी को स्थान देने के बाद खिलाड़ी दुबारा खेल में शामिल नहीं किया जा सकता। स्थानापन्न खिलाड़ी के शामिल किए जाने की खबर रैफरी को दी जानी चाहिए।
चोट लगने पर कोई भी खिलाड़ी गोलकीपर की जगह खेल सकता है। परन्तु उसे ऐसा करने से पहले रैफरी को अनुमति लेनी होगी और ऐसी जरसी पहननी होगी जिससे वह गोली के रूप में पहचान में आ जाए । स्थानापन्न खिलाड़ी उस समय प्रवेश करेगा जब खेल रहा खिलाड़ी मैदान छोड़ चुका होगा और रैफरी उसे संकेत दे चुका होगा। खेल रुकने (फुटबॉल के नियम) पर अथवा मध्याकाश के समय ही वह प्रविष्ट होगा।
खेल अवधि
खेल दो सत्रों में होता है और प्रत्येक में 45 मिनट का समय होता है आधा समय गुजरने के बाद टीमें साइडे बदल लेती हैं। रैफरी चाहे तो अलग बात है; नहीं तो दोनों सत्रों के बीच विश्राम काल की अवधि पाँच मिनट से अधिक नहीं हो सकती। दूसरी टीम ने जो समय जाया किया होता है अथवा जो समय चोट के कारण जाया होता है रैफरी उस समय के लिए खेल अवधि बढ़ा देता है। दोने सों की समाप्ति पर यदि पेनल्टी किक ली जानी हो तो भी इसे लेने के लिए समय बढ़ा दिया जाता है।
खेलना
थ्रो का मौका छोड़कर गोलकीपर ही एकमात्र खिलाड़ी होता है जिसे अपने हाथों अथव बाजू से गेंद खेलने की इजाजत होती है और ऐसा भी वह अपने गोल क्षेत्र के अन्दर ही कर सकता है।खिलाड़ी गेंद रोकने, इसे काबू करने, पास देने, उसके साथ आगे बढ़ने अथवा गोल करने में हाथों के सिवा शरीर के किसी भी हिस्से को इस्तेमाल कर सकता है। अर्थात् खिलाड़ी पाँव, सिर जाँघ अथवा छाती का इस्तेमाल कर सकता है।
स्कोर
आड़े रखे छड़ के नीचे की गोल रेखा पूरी तरह से गेंद द्वारा पार करने पर हो गोल माना जाता है उस समय दोनों गोल खम्भों के बीच मे से गेंद (फुटबॉल के नियम) गुजरती है। पर गोल होगा तभी यदि आक्रामक टीम ने बिना कोई नियम तोई ऐसा किया हो।
परिणाम
अधिक गोल करने वाली टीम जीत जाती है। यदि दोनों टीमें बराबर संख्या में गोल करे तो मैच अनिर्णीत (फुटबॉल के नियम) माना जाता है। कुछ प्रतियोगिताओं में पुनः मैच खेलकर फैसला करवाया जाता है। कई बार 15-15 मिनट के दो अतिरिक्त खेल सा दिये जाते है ऐसा 90 मिनट के खेल के तत्काल बाद ही किया जाता है। कई बार कुछ पेनल्टी किक दोनों टीमों को दिये जाते हैं। उनसे अधिक गोल करने वाली टीम को जीता माना जाता है और कई बार हार-जीत का फैसला सिक्का उछाल कर किया जाता है।
टिप्पणी / पेनल्टी मार्क
मैच का फैसला करवाने के लिए पेनल्टी मार्क से किक ली जाती है। उस हालत में जब फैसला अतिरिक्त समय में भी न हो और फैसला करना जरूरी हो तो इस बारे में नियम निम्नलिखित है-
- रैफरी ही यह चुनाव करेगा कि किस गोल में किक ली जानी है।
- वह टास करेगा और इसे जीतने वाले कप्तान की टीम पहली किक लेगी ।
- दोनों ही टीमें पाँच-पाँच किक लेगी।
- दोनों टीमें बारी-बारी से एक-एक करके किक लेंगी ।
- यदि पाँच किक पूरी न हुई हों और एक टीम ने इतने गोल स्कोर कर लिए हों कि दूसरी टीम अपनी सारी किक लेने के बाद भी यदि स्कोर उतने तक नहीं पहुँच सके तो और किक नहीं लगवाई जाती ।
यदि पाँच-पाँच किक लेने के बाद भी दोनों टीमों ने बराबर की संख्या में गोल किये हों अथवा कोई भी गोल न किया हो तो किक लेना जारी रहेगा। दोनों टीमें बारी-बारी से किक लगाती रहेंगी और यदि दोनों ने बराबर किक लगा ली हो और एक टीम का एक गोल ज्यादा हो जाए तो इन्हें लगाना बन्द कर दिया जाएगा।
खेल आरम्भ
साइड को चुनने अथवा किक पहले लगाने का हक पाने के लिए दोनों कप्तान शुरू में सिक्का उछालते है। रैफरी की सीटी बजते ही किक लगाने का हक प्राप्त टीम खड़ी स्थिति में गेंद को खेलना शुरू करेगी और इसे मध्य बिन्दु (सेंटर) से विरोधी टीम की तरफ वाले मैदान के आधे भाग में कहीं पर फेंकेगी। उस क्षण हर खिलाड़ी मैदान के अपने अभे भाग में होगा। गेंद खेले जाने तक कोई अन्य खिलाड़ी सेंटर सर्कल में प्रवेश नहीं कर सकेगा। एक बार खेले जाने के बाद गेंद को पूरी परिधि जितनी दूरी घूमनी होगी और किक से खेल शुरू करने वाले खिलाड़ी को पुन: किक लगाने से उस समय तक रुके रहना होगा जब तक किसी दूसरे खिलाड़ी ने इसे छू न लिया हो।
गोल हो जाने के बाद खेल पुनः इसी तरीके से शुरू किया जाता है। जिस टीम पर गोल हुआ होता है वही पुनः खेल शुरू करती है। खेल का दूसरा सत्र शुरू करने के समय वह टीम गेंद किक करती है जिसने पहले सत्र में ऐसा नहीं किया होता। खेल के दौरान यदि रेफरी खेल बन्द करे और फिर यह समझे कि दोनों टीमों में से किसी को भी किक देना ठीक नहीं तो वह दुबारा खेल शुरू करवाने के लिए गेंद को वहाँ टपकाता है जहाँ पर खेल बन्द होने के समय गेंद थी। जमीन से छूने तक दोनों टीमों में से किसी के खिलाड़ी को गेंद खेलने की इजाजत नहीं होती।
फुटबॉल के नियम इन हिंदी
खेल से बाहर
सीमा रेखाओं को पूरी तरह से पार कर जाने पर अथवा रैफरी द्वारा खेल रोके जाने पर ही गेंद खेल से बाहर मानी जाती है। यदि गेंद टच लाइन (स्पर्श रेखा) को पार कर चुकी हो तो थो-इन से खेल दुबारा शुरू होता है। यदि गोल रेखा को पार कर गई हो तो गोल किक से पुनः खेल शुरू किया जाता है। टच लाइन व गोल लाइन मैदान का हिस्सा होती है।
थ्रो इन
टच लाइन के जिस स्थान से गेंद बाहर गई हो वहीं से थो-इन ली जाती है। गेंद जिस टीम के खिलाड़ी को छूकर बाहर गई हो उससे विरोधी टीम को थो-इन का अवसर दिया जाता है। यो-इन करते समय दोनों हाथ इस्तेमाल किये जाने चाहिए इन्हें पीछे से लाते हुए सिर के ऊपर से गुजारना चाहिए। गेंद धो करने वाले का चेहरा मैदान की तरफ होना चाहिए। गेंद छोड़ने के वक्त उसके दोनों पाँव या तो टच लाइन के पीछे अथवा उसके ऊपर जमीन पर होने चाहिए । यदि इनमें से कोई नियम तोड़ा जाता है तो दूसरी टीम को थो-इन को कहा जाता है। थ्रो इन से गोल नहीं किया जा सकता और गेंद थ्रो करने वाला दुबारा उसे छू तक नहीं सकता जब तक कि किसी दूसरे खिलाड़ी ने इसे छू न लिया हो।
टिप्पणी
थ्रो इन के समय यदि विरोधी रक्षक टीम का कोई खिलाड़ी इस तरह से मुख बनाता है कि फेंकने वाले का ध्यान बँट जाए अथवा इसमें किसी तरह बाधा पहुँचे तो इसे अभद्र व्यवहार माना जाएगा। इस पर नियम भंग करने वाले को चेतावनी दी जाएगी।
गोल किक
रक्षक टीम को गोल किक तब मिलती है यदि गेंद आक्रामक टीम के खिलाड़ी को छूने के बाद बाहर चली गई हो। गोलकीपर या रक्षक टीम का कोई और खिलाड़ी गोल किक से सकता है। गेंद ने जहाँ से गोल रेखा पार की होती है, गोल-क्षेत्र का जो आधा भाग उस स्थान के निकट होता है, उसी में गेंद रखकर किक लगाई जाती है। गोल किंक से गेंद को गोल-क्षेत्र से बाहर जरूर जाना चाहिए किक करने वाला इसे तब तक दुबारा नहीं छू सकता जब तक किसी और खिलाड़ी ने इसे छू न लिया हो। गोल किक के समय सभी विरोधी टीम के खिलाड़ी पेनल्टी क्षेत्र से बाहर रहते हैं गोल किक से सीधे गोल नहीं किया जा सकता।
कारनर किक
आक्रामक टीम को कारनर किक उस हालत में मिलती है जबकि गेंद गोल-रेखा से बाहर जाने से पहले रक्षक टीम के किसी खिलाड़ी से छू गई हो। मैदान के कोने वाली पताका पर बने वृत्त खंड से यह किक ली जाती है। जिधर से गेंद निकली हो उधर से वृत्त खंड से ही कोरनर किक ली जाती है किक लगाने वाले की सुविधा के लिए पताका को अपने स्थान से हटाया। नहीं जाता। आक्रामक टीम के खिलाड़ियों को किक लगने से पहले अर्थात् जब तक गेंद अपनी परिधि के बराबर दूरी चल नहीं लेती दस गज दूर रहना होता है। कारनर किक से सीधे गोल किया जा सकता है परन्तु किक करने वाला दुबारा गेंद तब तक छू नहीं सकता जब तक कि अन्य खिलाड़ी इसे छू न चुका हो।
फ्री किक
यह डायरेक्ट या इनडायरेक्ट दोनों में से कोई भी हो सकती है। यह उस स्थान से ली जाती है जहाँ पर नियम भंग किया गया हो डायरेक्ट फ्री किक तब होती है यदि किक लगाने वाले खिलाड़ी को सीधे किक लगाकर गोल करने की अनुमति हो इन-डायरेक्ट फ्री किक वह होती है जिसमें किक लगाने वाला तब तक गोल नहीं कर सकता जब तक कि गेंद किसी दूसरे खिलाड़ी नेनली हो।
किसी भी फ्री किक के समय विरोधी टीम के खिलाड़ी गेट से दस गज दूर होने चाहिए। हाँ, यदि इन-डायरेक्ट फ्री किक गोल से दस राह से कम दूरी से ली जानी हो तो ऐसा जरूरी नहीं। तब उनको गोल खम्भों के बीच खड़ा होना होगा।
यदि रक्षक टीम को अपने पेनल्टी क्षेत्र में फ्री किक मिलती है तो गेंद को किक से पेनल्टी क्षेत्र से बाहर करना जरूरी होगा और विरोध टीम का कोई भी खिलाड़ी उस समय तक गोल क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेगा जब तक गेंद वहाँ से बाहर निकल नहीं जाती।
फ्री किक के समय गेंद स्थिर यानी गतिशून्य होनी चाहिए। किक करने वाले खिलाड़ी को दुबारा तब तक छूने की अनुमति नहीं होती जब तक दूसरा खिलाड़ी इसे छू नहीं ले । पेनल्टी किक-यदि रक्षक टीम का खिलाड़ी पेनल्टी क्षेत्र में ऐसा फाउल करता है जिसे करने पर विरोधी टीम को इस डायरेक्ट फ्री किक में बाधा पहुँचती हो तो उसकी टीम के विरुद्ध पेनल्टी क्रिक का दण्ड दिया जाता है।
पेनल्टी किक
पेनल्टी बिन्दु से ली जाती है। गोलरक्षक और पेनल्टी किक लगाने वाले खिलाड़ी को छोड़कर शेष सभी खिलाड़ी पेनल्टी क्षेत्र से बाहर खड़े होते हैं। वे पेनल्टी बिन्दु से कम से कम दस गज दूर होते हैं।
किक लगने वाले खिलाड़ी को गेंद आगे धकेलनी चाहिए और जब तक किसी दूसरे खिलाड़ी ने इसे छू न लिया हो दुबारा इसे छूना नहीं चाहिए। गेंद जब तक किक नहीं कर ली जाती, गोलकीपर को गोल रेखा पर ही बिना पाँव हरकत में लाये खड़ा रहना होता है।
यदि रक्षक टीम कोई नियम तोड़ती है और गोल नहीं हो पाता तो पेनल्टी किक दूसरी बार ली जाती है पेनल्टी किक दुबारा तब भी ली जाती है जब किक लगाने वाले को छोड़कर आक्रामक टीम का कोई और खिलाड़ी नियम तोड़ता है और गोल हो जाता है। यदि दोनों ओर के खिलाड़ी नियम तोड़ते हैं तो भी पेनल्टी किक दूसरी बार सी जाती है। यदि किक लगाने वाला कोई नियम तोड़ता है, मिसाल के तौर पर दो बार किक लगाता है, तो रक्षक टीम को इन डायरेक्ट फ्री किक दी जाती है।
टिप्पणियाँ
पेनल्टी किक लगाने के बाद गेंद गोल की तरफ जा रही हो और उसे किसी बाहरी एजंट ने रोक लिया हो तो किक दुबारा ली जाएगी। यदि गेट गोलरक्षक सु-बार अथवा गोल पोस्ट से टकराने के बाद रिबाउंड करे और फिर खेल में आ जाए और तब इसे बाहर का कोई एजंट रोक ले तो रैफरी खेल को बन्द करा देगा और वह फिर उसी स्थान पर गेंद गिराकर खेल शुरू करवाएगा जहाँ इसका सम्पर्क बाहरी एजंट से हुआ था।
पेनल्टी किक लेते समय यदि गोलरक्षक अपनी ठीक स्थिति में न हो और यह रैफरी के नोटिस में आ जाए तो भी वह किक लेने की अनुमति देगा; परन्तु यदि गोल न हो तो वह इसे दुबारा लेने को करेगा।
रैफरी ने पेनल्टी किक का संकेत दे दिया हो पर गेंद अभी किक न की गई हो तथा इससे पहले गोलरक्षक ने पाँवों को हिला लिया हो तो रैफरी किक लगाने देगा परन्तु यदि गोल न हुआ तो इसे पुनः लेने को कहेगा।
पेनल्टी किक का संकेत रेफरी द्वारा दे दिये जाने पर और इसके लिए जाने से पहले रक्षक टीम का कोई खिलाड़ी यदि पेनल्टी क्षेत्र में अथवा पेनल्टी बिन्दु के दस गज के भीतर आ जाता है तो रैफरी विक लगाने की अनुमति दे देगा। यदि गोल न हुआ तो इसे पुनः लेने के लिए कहा जाएगा और सम्बद्ध खिलाड़ी को चेतावनी दी जाएगी।
पेनल्टी किक लेने वाला खिलाड़ी इसे लगाते हुए किसी तरह का अभद्र व्यवहार करे और उससे गोल हो जाए तो दुबारा किक ली जाएगी व सम्बन्धित खिलाड़ी को चेतावनी दी जाएगी। रैफरी ने यदि विक का सिगनल दे दिया हो और गेंद के खेल में आने से पहले ही उसका साथी खिलाड़ी पेनल्टी क्षेत्र में अथवा पेनल्टी बिन्दु के दस गज के अन्दर आ जाए; किक लगने से रोका नहीं जाएगा । और यदि गोल हो जाएगा तो उसको रद्द करके दुबारा किक लेने को कहा। जाएगा। सम्बन्धित खिलाड़ी को चेतावनी दी जाएगी।
यदि ऊपर वाली हालतों में गेंद गोली से अथवा क्रास बार से टकराकर मैदान में आ जाती है। तो रैफरी खेल रोक देगा और खिलाड़ी को ‘काशन’ देकर के विरोधी टीम को इनडायरेक्ट भी किकै देगा। यह उस स्थान से ली जाएगी जहाँ से नियम भंग हुआ होगा।
रैफरी द्वारा पेनल्टी किक लेने का संकेत दिया जाने के बाद और गेंद के खेल में आने से पहले यदि गोलरक्षक गोल लाइन पर अपने स्थान से हट अथवा हिल जाता है अथवा अपने पाँवों को हिला लेता है और तभी किक लगाने वाले का साथी खिलाड़ी पेनल्टी बिन्दु के 10 गज के भीतर अथवा पेनल्टी क्षेत्र में आ जाता है तो विक दुबारा ली जाएगी। चाहे वह इससे पहले ली जा चुकी हो इस तरह से नियम भंग करने वाले खिलाड़ी को काशन भी दिया जाएगा।
यदि पेनल्टी किक एक बार अथवा दुबारा लेने के लिए मैव अवधि बढ़ायी जाती है तो खेल तत्काल ही समाप्त हो जाएगा अर्थात् रैफरी द्वारा यह फैसला किये जाते ही कि क्या गोल हुआ है या नहीं।
ऑफ साइड
गेद खेले जाने के समय आक्रामक टीम का खिलाड़ी रक्षक टीम के दो खिलाड़ियों और गेंद की तुलना में विरोधी अर्थात् रक्षक टीम के गोल के निकट होता है तो आफ साइड हो जाएगा। हाँ, ऐसा निम्नलिखित हालतों में नहीं होगा यदि-
- वह मैदान के अपने वाले आधे भाग में हो,
- यदि विरोधी टीम के खिलाड़ी को छूने के बाद गेंद आ रही हो,
- यदि गोल किक, कारनर किंकं, थो-इन अथवा
- रैफरी द्वारा गेंद ‘ड्राप’ किये जाने पर उसे सीधी गेंद मिली हो ।
यदि कोई खिलाड़ी तकनीकी दृष्टि से आफ साइड में हो पर रैफरी के विचार में वह खेल अथवा विरोधी खिलाड़ी के मार्ग में रुकावट नहीं डाल रहा अथवा उस आफ साइड पोजीशन में होने पर भी कोई खेल लाभ नहीं पा रहा तो रैफरी उसे दण्डित नहीं करता । फाउल और दुर्व्यवहार-डायरेक्ट फ्री किक (पेनल्टी किक) रक्षक खिलाड़ी द्वारा अपने पेनल्टी क्षेत्र में जानबूझकर किये निम्नलिखित फाडलों पर दी जाती है-
- ट्रिप्पिस अर्थात् टाँग फँसाना
- विरोधी को हाथ या बाजू से पकड़ना,
- अपने पेनल्टी क्षेत्र में खड़े गोलकीपर को छोड़कर और किसी द्वारा हाथ अथवा बाजू से गेंद खेलना
- किसी विरोधी को किक मारना अथवा किक करने की कोशिश करना
- विरोधी पर कूदना
- खतरनाक और उग्र तरीके से जूझना अथवा चार्ज करना
- पीछे से जूझना (सिवाय उस हालत के जबकि विरोधी बाधा डालने के लिए पीठ को खिलाड़ी के सामने ले आया हो)
- विरोधी पर प्रहार अथवा प्रहार की कोशिश करना
9 हाथ अथवा बाजू के किसी भाग से विरोधी को धकेलना । टिप्पणी-यदि ये फाउल रक्षक खिलाड़ी द्वारा पेनल्टी क्षेत्र में किये जाते हैं तो उसकी टीम के विरुद्ध पेनल्टी किक दी जाएगी। नियमोल्लंघन के समय गेंद पेनल्टी क्षेत्र में कहाँ है इसका निर्णय पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इनडायरेक्ट फ्री किक
- खतरनाक तरीके से खेलने पर
- गेंद के पहुँच की दूरी में न होने पर नियमानुसार ही कंधे से धकेलने (चार्ज) पर,
- स्वयं गेंद खेलने की कोशिश किये बिना विरोधी को गेंद तक पहुँचने से रोकने की कोशिश पर (विरोधी और गेंद के बीच दौड़ना अथवा शरीर से बाधा डालना),
- गोल रक्षक को चार्ज करने पर हाँ, यदि उसने गेंद होल्ड कर ली हो या विरोधी के मार्ग में रुकावट डाल रहा हो और वह अपने क्षेत्र से बाहर निकल गया हो तो ऐसा दण्ड नहीं दिया जाता,
- गोली के पैट को पकड़े हुए चर से अधिक कदम भरने पर हवा में फेंककर दुबारा लपक लेने अथवा इन-डायरेक्ट फ्री किक दूसरे खिलाड़ी को दिये बिना टुप्पा खिलाने पर: समय टालने पर अथवा आफ साइड होने पर
- किक आफ, थो-इन, गोल किक, कारनर किक, फ्री किक अथवा पेनल्टी किक लेते समय यदि दूसरे खिलाड़ी के छूने से पहले गेंद दूसरी बार खेली जाए तो भी इन डायरेक्ट फ्री किक दी जाती है
- रेफरी के फैसलों से मतभेद व्यक्त करने पर रैफरी की इजाजत के बिना खेल में प्रवेश करने अथवा इसके बाहर चले जाने पर
- यदि खिलाड़ी को खेल से बाहर किसी ऐसे नियम-भंग पर निकाला जाता है जिसका नियमों में जिकर नहीं है तो भी इन-डायरेक्ट फ्री किक दी जाती है
- खिलाड़ी द्वारा अभद्र व्यवहार करने पर याद हैड करने के लिए अपनी टीम के साथी का इस्तेमाल कर अधिक ऊँचाई तक पहुँचने की कोशिश करने पर
नोट- यदि गोलरक्षक जानबूझकर विरोधी पर जोर से गेंद फेंक प्रहार करे अथवा गेंद को पकड़े हुए ही उसे परे धकेले तो रैफरी पेनल्टी किक देगा। ऐसा तभी होगा यदि यह नियम-भंग पेनल्टी क्षेत्र में किया जाएगा।
यदि कोई खिलाड़ी अपने टीम के खिलाड़ी के कंधों का सहारा लेकर गेंद को ‘हैड’ करने के लिए उछाल लेता है तो रैफरी गेम बन्द करके उसे काशन देगा और विरोधी टीम को इन डायरेक्ट फ्री किक देगा। खिलाड़ी को काशन देने के लिए रैफरी को गेम रोकनी नहीं चाहिए। वह ठीक समझे तो एडवेटेज नियम लागू कर सकता है तब खेल के रुकने पर ही सम्बन्धित खिलाड़ी को काशन देना चाहिए। यदि कोई खिलाड़ी गेंद को कवर इसलिए करता है ताकि विरोधी टीम का खिलाड़ी उसे खेल न सके तो वह बाधा अवश्य डालता है परन्तु नियम भंग नहीं करता; क्योंकि गेंद पहले ही उसके पास होती है और ऐसा वह खेल के दाँव-पेच के नजरिए से करता है।
यदि कोई खिलाड़ी जानबूझकर अपने बाजुओं को फैलाता है ताकि विरोधी को बाधा पड़े और कभी एक तरफ और कभी दूसरी तरफ कदम रखता है अथवा विरोधी को देरी करवाने के लिए अपने बाजू ऊपर अथवा नीचे करता है और उसे बाध्य कर देता है कि वह अपना मार्ग बदल ले अथवा वह अपने शरीर का सम्पर्क नहीं होने देता। इन हालतों में रैफरी (फुटबॉल के नियम) उसे ‘काशन’ देगा परन्तु साथ ही विरोधी टीम को इनडायरेक्ट फ्री किक भी देगा।
कोई खिलाड़ी विरोधी गोलकीपर के मार्ग में जानबूझकर बाधा डालता है ताकि वह गेंद को खेल में न डाल सके तो रैपरी उसकी टीम के विरुद्ध इनडायरेक्ट फ्री किक देगा।
यदि कोई खिलाड़ी चाहे मैदान में या मैदान से बाहर होकर हिसक कार्रवाई अथवा अभद्र व्यवहार करता है या उसका अपना कोई साथी विरोधी खिलाड़ी (फुटबॉल के नियम) लाइन्समैन अथवा रैफरी को सम्बोधित कर अथवा वैसे ही गाली-गलौज करता है, तब उसने जैसी गलती की होती है उसके मुताबिक दण्ड दिया जाता है।
रैफरी की सम्मति में कोई गोलरक्षक जानबूझकर गेंद के ऊपर बैठ जाता है तो इसके लिए दण्ड दिया जा सकता है। गोली को काशन देने के साथ विरोधी टीम को इनडायरेक्ट फ्री किक दी जा सकती है। यदि बार-बार इस गलती को दुहराया जाता है तो उसे मैदान से बाहर भेजा जा सकता है।
यदि रैफरी किसी को काशन देने ही वाला हो तभी यह दूसरी गलती कर लेता है तो ऐसे में खिलाड़ी को मैदान से बाहर भेज दिया जाना चाहिए।
टिप्पणी- इनडायरेक्ट फ्री किक का संकेत देने के लिए रैफरी अपना बाजू ऊपर उठाए रखता है। यदि ऐसी फ्री किक लेने के समय विरोधी खिलाड़ी दस गज की दूरी न बनाए रखें तो उन्हें काशन दिया जाता है बार-बार ऐसा करने पर उसे बाहर निकाला जाएगा। फ्री किक में देरी करवाने की कोशिश दुर्व्यवहार होगी। यदि फ्री किक (फुटबॉल के नियम) लेने के दौरान विरोधी खिलाड़ी मुँह बना ध्यान बँटाते है तो उन्हें काशन दिया जाएगा।
काशन देना और खेल से निकालना
रेफरी को निम्नलिखित परिस्थितियों में खिलाड़ी को काशन अथवा चेतावनी देनी चाहिए, यदि वह रैफरी की इजाजत के बिना खेल में प्रवेश करता है. अथवा बाहर जाता है, लगातार कानून अथवा नियम तोड़ता है, रैफरी के किन्हीं फैसलों से मतभेद व्यक्त करता है, यदि अभद्रता से आचरण करने का दोषी है।
रैफरी को यह भी अधिकार है कि वह किसी खिलाड़ी को खेल के शेष समय के लिए निकाल दे परन्तु ऐसा तभी किया जाता है यदि खिलाड़ी ने कोई गम्भीर फाउल (फुटबॉल के नियम) या हिंसापूर्ण कार्रवाई की हो या चूकना आदि जैसा अभद्र व्यवहार किया हो या वह गाली-गलौज करता रहे और काशन के बाद भी नियम तोड़ना जारी रखे। यदि रैफरी खेल शुरू होने से पहले किसी खिलाड़ी को निकाल देता है तो उसका स्थान एवजी खिलाड़ी ले सकता है। पर खेल शुरू होने के बाद निकाले गये खिलाड़ी की जगह एवजी नहीं आ सकता।
मीट्रिक प्रणाली में माप
44 गज = 40 मीटर | 80 गज = 73 मीटर |
6 गज = 550 मीटर | 110 गज = 100 मीटर |
12 गज = 11 मीटर | 20 गज = 1830 मीटर |
3 फुट = 91 से०मी० | 18 गज = 16.47 मीटर |
24 फुट = 732 मीटर | 5 फुट = 1.52 मीटर, 8 फुट = 2.44 मीटर |
10 गज = 9.15 मीटर | 130 गज = 120 मीटर |
80 गज = 73 मीटर | 120 गज 110 मीटर |
5 इंच = 0.12 मीटर | 28 इंच = 0.71 मीटर |
5 इंच = 0.12 मीटर | 27 इंच = 0.68 मीटर |
FAQ’s
Ans: गोलू-खम्भों के बाहरी तरफ गोल- लाइन पर 6 गज की दूरी पर निशान लगते हैं। निशान से खेल क्षेत्र के अन्दर की तरफ 6 गज की रेखा अंकित की जाती है। इन दोनों रेखाओं के कोनों को मिला दिया जाता है, इस प्रकार से बने आयताकार हिस्से को गोल- क्षेत्र के नाम से पुकारा जाता है। इसकी सभी रेखाएं समकोण पर होती है।
Ans: गोल- खम्भों के बाहरी तरफ गोल-लाइन पर 18 गज की दूरी पर निशान लगाते है। निशान से गोल-क्षेत्र के अन्दर की तरफ 18 गज की रेखा अंकित की जाती है। इन दोनों रेखाओं के कोनों को मिला दिया जाता है। इस प्रकार से बने आयताकार हिस्से को पेनल्टी क्षेत्र कहा जाता है। इसकी सभी रेखाएँ एक-दूसरे से समकोण पर होती हैं। पेनल्टी किक का चिह्न क्षेत्र में गोल के बीचो-बीच समकोण पर 12 गज की दूरी पर होता है।
Ans: यदि रक्षक टीम का खिलाड़ी पेनल्टी क्षेत्र में ऐसा फाउल (फुटबॉल के नियम) करता है जिसे करने से विरोधी खिलाड़ी की डायरेक्ट फ्री किक में बाधा पहुँचती हो तो उसकी टीम के विरुद्ध पेनल्टी किक का दण्ड दिया जाता है।
Ans: रैफरी उसी स्थान जहाँ पर गेंद फटी थी नई गेंद को टपकाकर खेल को प्रारम्भ करेगा।
Ans: नियमानुसार रैफरी उसी अवस्था से नई गेंद से खेल आरम्भ करेगा।
Ans: प्रतियोगिता में आम तौर पर दो स्थानापन्न खिलाड़ी लाए जा सकते हैं। यदि दोनों टीमों के बीच परामर्श हो चुका हो तो इसकी संख्या पाँच तक बढ़ाई जा सकती है। खेल शुरू होने से पहले रैफरी को इस सहमति की सूचना देनी होती है। अन्यथा यह सिर्फ दो खिलाड़ियों को ही स्थानापन्न के रूप में खेलने की मंजूरी देगा। चोट लगने पर कोई भी खिलाड़ी गोलरक्षक के स्थान पर खेल सकता है। परन्तु उसे ऐसा करने से पहले रैफरी की अनुमति लेनी होगी और ऐसी जरसी पहननी होगी जिससे वह गोली के रूप में पहचान में आ जाए। एक बार स्थानापन्न खिलाड़ी को स्थान देने के बाद हटा खिलाड़ी दुबारा खेल में शामिल नहीं किया जा सकता।
Ans: यदि आक्रामक टीम (फुटबॉल के नियम) का खिलाड़ी रक्षक टीम की गोल-लाइन के करीब गेंद से पहले पहुँच जाता है तो उसे आफ साइड दिया जाता है बशर्ते (i) वह खिलाड़ी गेंद खेले जाने के समय अपने आधे भाग में हो, (ii) यदि रक्षक टीम के दो खिलाड़ी पहले से गोल-लाइन के निकट हों, (iii) यदि विरोधी टीम के खिलाड़ी को छूने या खेले जाने के बाद गेंद उस खिलाड़ी को मिले, (iv) यदि गोल-किक, कारनर-किक, थो-इन, अथवा रैफरी द्वारा गेंद ‘ड्राप’ किये जाने पर उसे सीधी मिली हो।
Ans: फ्री किक दो तरह की होती है- (i) डायरेक्ट तथा (ii) इनडायरेक्ट । ‘डायरेक्ट’ किक से बिना किसी खिलाड़ी को हुए गोल दागा जा सकता है; परन्तु इनडायरेक्ट फ्री किक से ऐसा नहीं. हो सकता । इनडायरेक्ट फ्री किक से तब ही गोल माना जाएगा जबकि किक करने वाले खिलाड़ी के बाद वह किसी और खिलाड़ी द्वारा गोल में दागी जाती है।
Ans: उपरोक्त कारणों पर गोल नहीं माना जाता।
Ans: जब गेंद मैदान (फुटबॉल के नियम) में लुढ़कती या हवा में तैरती हुई पूर्णरूपेण टच-लाइन को पार कर लेती है तो थो-इन दी जाती है। टब लाइन से पहले जिस खिलाड़ी ने गेंद को आखिरी बार छुआ होता है उसके विरुद्ध यह फाउल दिया जाता है।
Ans: जब आक्रामक खिलाड़ी की किक से गेंद मैदान में लुढ़कती या हवा में तैरती हुई पूर्णरूपेण (गोल के अलावा) गोल लाइन को पार कर जाती है तो गोल-किक दी जाती है। गेंद जिस दिशा से बाहर गई थी उसी के समकोण पर गोल-क्षेत्र के नजदीक गेंद को टिका वहाँ से गेंद आगे की तरफ किक की जाती है। गोल-किक की हुई गेंद गोलकीपर को नहीं दी जा सकती।
Ans: जब गेंद रक्षक खिलाड़ी द्वारा खेली जाने के बाद, लुढ़कती या हवा में तैरतो हुई पूर्णरूपेण (गोल के अलावा) गोल लाइन को पाक कर जाती है तो कारनर किक दी जाती है। मैदान के जिस भाग से गेंद बाहर जाती है उसी तरफ की फ्लेग पोस्ट पर बनी एक गज की चाप से कारनर- किक दागी जाती है। आक्रामक टीम का कोई भी खिलाड़ी कारनर किक ले सकता है।
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