हॉकी के नियम, इतिहास, खेल का मैदान और महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है । हॉकी (Ruls of Hockey) एक लोकप्रिय खेल है, जिस प्रकार यह खेल भारतवर्ष में कई वर्षों से खेला जा रहा है उससे यह प्रतीत होता है कि यह खेल भारतीय है। वास्तविकता यह है, कि भारतवर्ष में हॉकी को अंग्रेजों ने शुरू किया था।
भारतीय इस खेल में दक्ष हो गए और अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में विजय प्राप्त करके नाम कमाया। आरंभिक खेलों हलिंग और शिंटी जैसे खेलों के रूप में भी हॉकी को पहचाना गया है।मध्य काल में छड़ी से खेला जाने वाला एक फ्रांसीसी खेल हॉकी प्रचलित था और अंग्रेजी शब्द की उत्पत्ति शायद इसी से हुई है।
हॉकी के नियम, इतिहास, खेल का मैदान और महत्वपूर्ण जानकारी

हॉकी का इतिहास
एक मत अनुसार ईसा से दो हजार वर्ष पूर्व हॉकी का खेल फारस में खेला जाता था। बहुत पहले ईरान के लोग बल्लों से एक खेल खेला करते थे। यह खेल हॉकी से मिलता था। किन्तु वह खेल हॉकी की तरह बढ़िया नहीं था। ईरानियों से यह खेल यूनानियों ने सीखा और उसे रोम तक पहुंचाया। वर्ष 1921 में एथेन्स में हुई खोज के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई, कि यूरोप यह खेल पूर्व से ही पहुंचा। किन्तु आधुनिक हॉकी से मिलता-जुलता खेल पहली बार इंग्लैण्ड में ही खेला गया उस समय यदि 14 मीटर से ज्यादा की दूरी से गोल किया जाता तो उसे गोल नहीं माना जाता था।
किन्तु तब तक गोल वृत्त नहीं बनाया जाता था। जिस प्रकार की हाँकी अब खेली जा रही है हॉकी का जन्म 1886 में तब हुआ जब हाँकी एसोसियेशन की स्थापना हुई। इसके बाद इंग्लैण्ड और आयरलैंड के मध्य वर्ष 1895 में पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेला गया।
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हॉकी की टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं
हॉकी का खेल दो टीमों के मध्य खुले मैदान में खेला जाता है। प्रत्येक टीम में 11-11 खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक टीम गोल करने का प्रयत्न करती है। हॉकी का मैदान 92 मीटर लम्बा और 52 से 56 मीटर चौड़ा होता है। हॉकी के खेल में गेंद, हाँकी, चुस्त ड्रैस, हल्के मजबूत और सही नाप के केनवास के जूते, झंडियां, गोल के खंभे तथा तख्ते तथा गोल की जालियां आदि चीजें काम आती हैं। हॉकी का खिलाड़ी स्वस्थ तथा मजबूत होना चाहिए।
उसमें इतनी शक्ति होनी चाहिए कि वह दो-तीन घंटे सक्रियता तथा एकाग्रता से खेल सके और तेजी से दौड़ सके। हॉकी के खिलाड़ी में फुर्तीलापन, तत्काल निर्णय लेने की शक्ति तथा सहिष्णुता होनी चाहिए। हॉकी के खेल में सहयोग तथा सद्व्भावना जरूरी है, अकेला खिलाड़ी कुछ नहीं कर सकता। कुछ खिलाड़ी ड्रिबलिंग से दूसरे दर्शकों को मुग्ध कर देते हैं किन्त, यह अच्छा खेल नहीं है।
ओलंपिक में हॉकी कब शामिल हुआ
वर्ष 1908 में हॉकी को ओलम्पिक खेलों में शामिल कर लिया गया। उस वर्ष जो अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई उसमें केवल इंग्लैण्ड, स्कॉटलैंड, वैल्स, आयरलैंड, जर्मनी तथा फ्रांस ने भाग लिया। पहले हॉकी के खेल में भरपूर मनोरंजन प्रदान करने की ओर ध्यान दिया जाता था । अब यह खेल विजय-पराजय को ध्यान में रखकर खेला जाता है।
भारत ने ओलम्पिक हॉकी में सन् 1928 में पहली बार भाग लिया। भारत में अंतिम स्पर्धा में हालैंड को 30 गोल से पराजित करके हॉकी जगत में अपने नाम का सिक्का जमा दिया। चार वर्ष बाद लॉस एंजिल्स में भारत ने फिर से स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
भारतीय खिलाड़ी ड्रिबलिंग में कुशल थे। 1936 की भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मेजर ध्यानचंद को जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था और उन जैसा हॉकी का जादूगर विश्व में अभी तक नहीं हुआ है। देश में अभी हाल ही में उनका 100वां जन्मदिवस मनाया गया। भारतीय खिलाड़ियों का गेंद पर सदैव नियंत्रण रहता था और वे पास देने में भी कुशल थे प्रत्येक खिलाड़ी प्रतिरक्षा तथा आक्रमण करना जानता था। भारतीय खिलाड़ियों में टीम की भावना थी। वे राष्ट्र के लिए खेलते थे।
हॉकी खेल की शुरुआत कहा से हुई
अमेरिका में रेड इंडियन भी ऐसा खेल खेलते थे परन्तु इंग्लैंडवासियों के अनुसार इसकी शुरुआत इंग्लैंड में हुई थी। भारत में हॉकी की शुरुआत अंग्रेजों के आगमन के बाद हुई। भारत में पहले हॉकी क्लब की स्थापना सन् 1885 में कलकता में की गई। इसके बाद बंगाल, पंजाब व बम्बई में हॉकी क्लबों का गठन हुआ। हॉकी का खेल धीरे-धीरे सारे देश में फैल गया। हॉकी को ओलंपिक में सन् 1908 में शामिल कर लिया गया।
सन् 1928 में भारत ने सर्वप्रथम ओलंपिक खेलों में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता। भारत हॉकी में सन् 1960 तक विश्व चैम्पियन रहा है। सन् 1924 में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ की स्थापना हुई। मेजर ध्यानचंद भारत में हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी थे जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था। हॉकी के खेल में भारत की गिनती मेजर ध्यानचंद जैसे खिलाड़ियों के कारण होती रही है।
19वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में भारत में इस खेल के विस्तार का श्रेय मुख्य रूप से ब्रिटिश सेना को जाता है और एक स्वाभाविक परिणाम के रूप में यह खेल छावनी नगरों व उसके आसपास तथा युद्धप्रिय समझे जाने वाले लोगों और सैनिकों के बीच फला-फूला है।
सैनिक छावनियों वाले सभी नगर, जैसे लाहौर, जालंधर, लखनऊ, झांसी, जबलपुर भारतीय हॉकी के गढ़ थे मगर इस खेल को विभाजन-पूर्व भारत की कृषि प्रधान भूमि के मेहनती और बलिष्ठ पंजाबियों ने स्वाभाविक रूप से सीखा।
अंग्रेजी विद्यालयों में हॉकी खेलना 19वीं शताब्दी के उत्तराद्ध में शुरू हुआ और दक्षिण-पूर्वी लंदन के ब्लैकहीय में पुरुषों के पहले हॉकी क्लब का विवरण 1861 की एक विवरण पुस्तिका में मिलता है। पुरुषों की मैदानी हॉकी को 1908 और 1920 में ओलम्पिक खेलों में खेला गया और 1928 से इसे स्थायी तौर पर ओलम्पिक में शामिल कर लिया गया।
ओलंपिक में हॉकी
आधुनिक युग में पहली बार ओलंपिक में हॉकी 29 अक्टूबर 1908 में लंदन में खेली गई। इसमें छह टीमें थीं। 1924 में ओलपिंक में अंतर्राष्ट्रीय कारणों से यह खेल शामिल नहीं हो सका। ओलंपिक से हॉकी के बाहर हो जाने के बाद जनवरी, 1884 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन) की स्थापना हुई हॉकी का खेल एशिया में भारत में सबसे पहले खेला गया। पहले दो एशियाई खेलों में भारत को खेलने का अवसर नहीं मिल सका, किन्तु तीसरे एशियाई खेलों में भारत को पहली बार ये अवसर हाथ लगा। हॉकी में भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। ख भारत ने हॉकी में अब तक ओलंपिक में आठ स्वर्ण, एक और दो कांस्य पदक जीते हैं।
स्वतंत्र भारत ने इसे अपना राष्ट्रीय खेल भी घोषित किया हैं। इसके बाद भारत ने हॉकी में अगला स्वर्ण पदक 1964 और अंतिम स्वर्ण पदक 1980 में जीता। 1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलंपिक में भारत ने नीदरलैंड को 3-0 से हराकर पहला स्वर्ण पदक जीता था। 1996 के खेलों में जर्मनी को 8-1 से मात देकर विश्व में अपनी खेल क्षमता सिद्ध की। 1928, 1932 और 1936 के तीनों मुकाबलों में भारतीय टीम का नेतृत्व हॉकी के जादूगर नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद ने किया। 1932 के ओलपिंक में हुए 37 मैचों में भारत द्वारा किए गए 330 गोल में ध्यानचंद ने अकेले 133 गोल किए थे। दुनिया में अन्य खेल भी हॉकी से जन्मे हैं।
हॉकी के मैदान की जानकारी

इसका मैदान 91.40 मी. x 55 मी. होता है। हॉकी की गेंद का वजन 156 से 163 ग्रा. तक तथा उसका व्यास 22.4 सेमी. से 23.5 सेमी. तक होता है। स्टिक का वजन महिलाओं के लिए 652 ग्रा. व पुरुषों के लिए अधिकतम 794 ग्रा. होता है, लेकिन स्टिक का कम से कम वजन 340 ग्रा. होता है।
इसके मैदान की रेखाओं की चौड़ाई 5 से 7 सेमी. तक होती है। हॉकी टीम में खिलाड़ियों की संख्या 11 + 5 (अतिरिक्त) होती है। खेल की 35-35 मिनट की दो अवधियाँ होती हैं, इसमें मध्यांतर का समय 5 से 10 मिनट का होता है। इसके गोलपोस्ट की लम्बाई 3.66 मी. होती है।
हॉकी के नियम
हॉकी खेलते समय स्टिक का चपटा भाग ही प्रयोग में लाना चाहिए। गेंद को ऊपर उठाने के लिए स्कूप स्ट्रोक की अनुमति है। गेंद को अंडरकट नहीं किया जा सकता। हाथ के अलावा शरीर के किसी भी भाग से गेंद को हवा में या धरती पर नहीं रोका जाना चाहिए। मैच के दौरान बरसात होने पर या रोशनी कम होने पर मैच दुबारा खेला जाएगा। यदि खेल में हार जीत का फैसला नहीं हो पाता है तो अतिरिक्त समय दिया जाता है। इस दौरान जो टीम पहले गोल कर देती है वह विजय प्राप्त करती है।
- पास – पास लाइन पर गेंद रखकर एक खिलाड़ी जब दूसरे खिलाड़ी को पास दे तो हॉकी का खेल आरम्भ हो जाता है।
- हिट – गेंद यदि साइड रेखा से बाहर निकल जाए तो विपक्षी टीम का खिलाड़ी साइड रेखा पर गेंद रखकर हिट करता है।
- फ्री हिट – (i) जहां नियम का उल्लघंन किया गया हो वहाँ फ्री हिट उस स्थान पर लगाई जाती है। (ii) फ्री हिट के समय अगर हिट न लगे तो दुबारा हिट लगाई जा सकती है। फ्री हिट लेने के पश्चात् प्रहार करने वाला खिलाड़ी गेंद को उस समय तक नहीं छू सकता जब तक दूसरे खिलाड़ी ने खेला या छुआ न हो। गेंद के डेड होने पर दुबारा फ्री हिट तब लगायी जाती है जब अन्य खिलाड़ी उससे पाँच गज की दूरी पर हो।
- कार्नर – यह एक स्वतंत्र हिट होती है जो रक्षा कर रहे खिलाड़ियों की साइड रेखा से जहाँ से गेंद बाहर गई हो उसके पास वाली झंडी से 5 गज की रेखा के अन्दर लगाई जाती है।
- पेना कार्नर – पेनाल्टी कार्नर विपक्षी टीम को तब दिया जाता है जब रक्षक टीम का कोई खिलाड़ी गेंद को जान-बूझ कर गोल रेखा के बाहर भेजता है।
- गोल – गेंद जब गोल पोस्टों से गुजर कर गोल रेखा को पार कर जाती है तब गोल हो जाता है। गेंद का उस समय वृत्त में होना जरूरी है जब गेंद विपक्षी खिलाड़ी की स्टिक से लगकर आई हो।
- पुश – इन-गेंद जब साइड लाइन से बाहर निकल जाए तो गेंद पुश-इन करके पुनः साइड लाइन में लाई जाती है। पुश-इन लेते समय कोई भी खिलाड़ी 5 गज के अन्दर नहीं होना चाहिए।
- पैनाल्टी स्ट्रोक – रक्षक टीम का कोई खिलाड़ी जानबूझ कर वृत्त के अंदर से गेंद को छ से और गलत ढंग से गोल करने से रोकने का प्रयत्न करता है तो उस समय पैनाल्टी स्ट्रोक दिया जाता है।
फाउल के नियम
निम्न स्थितियों में खिलाड़ी को फाउल माना जायेगा
- गेंद को शरीर द्वारा रोकना,
- विपक्षी टीम के खिलाड़ी को धक्का मारना, 3. रैफरी या अम्पायर से झगड़ना,
- फ्री हिट गलत ढंग से लगाना,
- हॉकी शरीर से ऊँची उठा लेना,
- हॉकी को उल्टा करके मारना।
हॉकी के मूलभूत कौशल
- हॉकी की पकड़
- गेंद पर प्रहार अथवा हिट करना- (i) हॉकी पलटकर हिट करना, (ii) गतिशील गेंद को हिट करना, (iii) स्थिर गेंद को हिट करना।
- गेंद रोकना – (i) धरती पर स्टिक लिटाकर गेंद रोकना (ii) तिरछी स्टिक से गेंद रोकना।
- पुश अथवा पुश स्ट्रोक – (i) सीधे हाथ का पुश, (ii) उल्टे हाथ का पुश ।
- क्लिक स्ट्रोक – (i) सीधे हाथ का फ्लिक, (ii) उल्टे हाथ का फ्लिक ।
- स्कूप स्ट्रोक – (i) पुश स्कूप, (ii) बेलचा स्कूप।
- ड्रिबलिंग,
- झाँसा देना,
- अवरोध,
- गेंद छीनना,
- पास देना। (i) छोटे पास, (ii) लम्बे पास, (iii) थ्रू पास।
- पैनाल्टी कॉर्नर लगाना,
- पैनाल्टी कॉर्नर बचाना,
- पैनाल्टी स्ट्रोक लगाना,
- पैनाल्टी स्ट्रोक बचाना,
- गोल रक्षण,
- आक्रमण तथा रक्षा की पद्धतियाँ।
महत्त्वपूर्ण प्रतियोगिताएँ व हॉकी स्थान
S.No | प्रतियोगिताएँ |
---|---|
1. | विश्व कप, |
2. | विश्व कप (महिला), |
3. | रंगा स्वामी कप, |
4. | आल्पस कप, |
5. | एशिया कप, |
6. | ध्यानचंद ट्राफी, |
7. | अजलान शाह कप, |
8. | सिंधिया गोल्ड कप, |
9. | बॉम्बे गोल्ड कप, |
10. | एम.सी.सी. कप, |
11. | चैंपियंस ट्राफी, |
12. | इंदिरा गोल्ड कप, |
13. | फेडरेशन कप, |
14. | बेटन कप, |
15. | आगा खां कप, |
16. | लेडी रतन टाटा कप, |
17. | मोदी गोल्ड कप, |
18. | हीरो होंडा कप, |
19. | प्रधानमंत्री गोल्ड कप, |
20. | यूरोपियन चैंपियनशिप |
प्रतियोगिता स्थान
हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन निम्न स्थानों पर किया गया है-
- राष्ट्रीय स्टेडियम, नई दिल्ली,
- शिवाजी स्टेडियम, नई दिल्ली, 3. खेल कालेज, गांधी नगर (गुजरात),
- ध्यानचंद स्टेडियम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश),
- रेलवे स्टेडियम, मुंबई (महाराष्ट्र),
- राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला (पंजाब),
- खेल कॉलेज, कोलकाता (पं. बंगाल)
- खेल कॉलेज, बंगलुरु (कर्नाटक),
- रेलवे स्टेडियम, अमृतसर (पंजाब) ।
हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी
हॉकी खेल में भाग लेने वाले प्रमुख व प्रसिद्ध खिलाड़ियों के नाम कुछ इस प्रकार हैं –
S.No | नाम |
---|---|
1. | मेजर ध्यानचंद |
2. | अजीत पाल सिंह |
3. | हरनेक सिंह |
4. | मो. राशिद |
5. | बलजीत सिंह ढिल्लो |
6. | रेखा |
7. | लक्ष्मण सिंह |
8. | ऊधम सिंह |
9. | राजेश |
10. | रमेश कुमार |
11. | माइकल किंडो |
12. | पीटर |
13. | बलबीर सिंह |
14. | पृथ्वीपाल सिंह |
15. | बलदेव सिंह |
16. | प्रीतम रानी |
17. | सोमय्या |
18. | चरनजीत सिंह |
19. | महमूद रिवाज |
20. | महेन्द्र सिंह |
21. | धनराज पिल्लै |
22. | प्रेम माया |
23. | मुकेश |
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता
S.No | नाम |
---|---|
1. | धनराज पिल्लै |
द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता
S.No | नाम |
---|---|
1. | एम. के. कौशिक |
अर्जुन पुरस्कार विजेता
S.No | नाम |
---|---|
1. | पृयपाल सिंह |
2. | माइकल किंडो |
3. | रूपा सैनी |
4. | जफर इकबाल |
5. | अजीत सिंह |
6. | ममता खरब |
7. | दीपक ठाकुर |
8. | आई.एच. मेरी |
9. | ज्योति सुनीत कुल्लू |
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