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खो खो के नियम, इतिहास, खेल का मैदान और कितने खिलाड़ी खेलते हैं

खो-खो एक लोकप्रिय भारतीय मैदानी खेल है और खो खो के नियम जानना बहुत की आवश्यक है। यह खेल जिस मैदान व स्थान पर आयोजित किया जाता है उस मैदान के दोनों ओर मात्र दो खम्भों की आवश्यकता होती है। यह एक अनूठा स्वदेशी खेल है, जो युवाओं में ओज और स्वस्थ संघर्षशील जोश भरता है। यह खेल पीछा करने वाले और प्रतिरक्षक, दोनों में अत्यधिक तंदुरुस्ती, कौशल, गति, ऊर्जा और प्रत्युत्पन्नमति की मांग करता है। खो-खो (rules of kho kho) किसी भी तरह की सतह पर खेला जा सकता है।

खो खो के नियम

खो खो के नियम
rules of kho kho

खो खो का इतिहास हिंदी में

खो-खो मैदानी खेलों के सबसे प्राचीनतम रूपों में से एक है जिसका उद्भव प्रागैतिहासिक भारत में माना जा सकता है। मुख्य रूप से आत्मरक्षा, आक्रमण व प्रत्याक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए इसकी खोज हुई थी। पहले इस खेल का कोई व्यवस्थित नियम नहीं था। खेल की लोकप्रियता के साथ इसके नियम बनते-बिगड़ते रहे। 1914 ई. में पहली बार पूना के डकन जिमखाना ने अनेक मैदानी खेलों के नियम लिपिबद्ध किए और उनमें खो-खो भी था। तब से उसके बनाए नियम के अनुसार, थोड़े स्थानीय हेर-फेर के साथ यह खेल खेला जाता है।

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खो-खो का जन्मस्थान बड़ौदा कहा जाता है। यह गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों में अधिक खेला जाता है, किंतु भारत के अन्य प्रदेशों में भी इसका प्रचार अब बढ़ रहा है। यह खेल सरल है और इसमें कोई खतरा नहीं है। पुरुष और महिलाएँ दोनों समान रूप से इस खेल को खेल सकते हैं। खो-खो की पहली प्रतियोगिता पूना के जिमखाने में 1918 ई. में हुई। फिर सन् 1919 में बड़ौदा के जिमखाने में भारतीय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। तब से समय-समय पर इस खेल की अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगिताएँ, होती रहती हैं।

टॉस के माध्यम से इस खेल का प्रारम्भ किया जाता है। टॉस जीतने वाली टीम का कप्तान छूने या हुए जाने का फैसला करेगा और इसकी सूचना रैफरी को देगा। इसमें बैठे खिलाड़ी चेंजर होते हैं। चेंजर के विरोधी पक्ष के खिलाड़ी को रनर्ज के नाम से पुकारा जाता हैं। एक चेजर को छोड़कर अन्य सभी बैठे चेंजरों का मुँह एक दिशा में नहीं होता। खेल को शुरू करने के दौरान नौवां चेजर किसी एक पोल के पास खड़ा होता है। फिर रैफरी द्वारा सीटी बजाते ही वह छूने की क्रिया शुरू कर देता है।

खो-खो के विषय में जानकारी

खो-खो खेल में न किसी गेंद की आवश्यकता होती है, न बल्ले की। इसके लिये केवल 111 फुट लंबे और 51 फुट चौड़े मैदान की आवश्यकता होती है। दोनों ओर दस-दस फुट स्थान छोड़कर चार-चार फुट ऊँचे, लकड़ी के दो खंभे गाड़ दिए जाते हैं और इन खंभों के बीच की दूरी आठ बराबर भागों में इस प्रकार विभाजित कर दी जाती है कि दोनों दलों के खिलाड़ी एक दूसरे की विरुद्ध दिशाओं की ओर मुंह करके अपने-अपने नियत स्थान पर बैठ जाते हैं।

प्रत्येक दल को एक-एक पारी के लिए सात-सात मिनट दिए जाते हैं और नियत समय में उस दल को अपनी पारी समाप्त करनी पड़ती है। दोनों दलों में से एक एक खिलाड़ी खड़ा होता है, पीछा करनेवाले दल का खिलाड़ी विपक्षी दल के खिलाड़ी को पकड़ने के लिए सीटी बचाते ही दौड़ता है। विपक्षी दल का खिलाड़ी पंक्ति में बैठे हुए खिलाड़ियों का चक्कर लगाता है। जब पीछा करनेवाला खिलाड़ी उस भागनेवाले खिलाड़ी के निकट आ जाता है, तब वह अपने ही दल के खिलाड़ी के पीछे जाकर ‘खो-खो’ शब्द का उच्चारण करता है तो वह उठकर भागने लगता है और पीछा करनेवाला खिलाड़ी पहले को छोड़कर दूसरे का पीछा करने लगता है।

खो खो खेल का मैदान

खो-खो के मैदान का आकार आयताकार व उसकी लम्बाई व चौड़ाई 29×16 मीटर होती है। प्रत्येक लेन में वर्गों की संख्या 8 होती है। स्तंभ में प्रथम लेन 2.5 मीटर की, एक वर्ग की निकटतम दूरी 2.30 मीटर, क्रॉस लेन की लंबाई व चौड़ाई 16×30 मीटर व केन्द्र गली द्वारा विभाजित प्रत्येक भाग 7.85 मीटर का होता है। वर्गों में बैठे खिलाड़ी धावक (रूर) होते हैं।

खो-खो मैच में इनिंग 4 व टीम में खिलाड़ियों की संख्या 9 मैदान पर तथा 6 अतिरिक्त होती है। पोल की भूमि से ऊँचाई पुरुष 1.2 मीटर व महिला की 1 मीटर व पोल का व्यास पुरुष 10 से 11 सेमी., महिला 8 से 9 सेमी. तथा लाबियों सहित कुल क्षेत्र 33 21 मी. होना चाहिए। जूनियर्स तथा महिलाओं के लिए क्रीड़ा क्षेत्र 27×16 मी. का होता है। वर्ग का आकार 30 x 30 सेमी. व कुल इनिंग्ज 4 (2 इनिंग्ज प्रत्येक टीम के लिए) होती है।

खो खो के सामान्य नियम

  1. हर टीम में खिलाड़ियों की संख्या 12 होती है जिनमें से 9 खिलाड़ी खेलते हैं तथा शेष 3 अतिरिक्त होते हैं।
  2. मैच शुरू होने से पहले लेजर अथवा रूर बनने का फैसला टॉस द्वारा किया जाता है।
  3. मैच में दोनों टीमों की 95-9 मिनट की दो पारियाँ होती हैं।
  4. अगर खेलते समय किसी खिलाड़ी को चोट लग जाए तो उसके स्थान पर अतिरिक्त खिलाड़ी उसका स्थान ले सकता है।
  5. विपक्षी टीम को रन आउट करने पर 1 अंक मिलता है।
  6. दोनों पारियों के खेलने के बाद जिस टीम के अधिक प्वाइंट होते हैं। उसे विजयी घोषित किया जाता है।
  7. खिलाड़ियों को अपने खेलने के क्रम और नाम स्कोरर के पास दर्ज करवाने चाहिए।

मैच सम्बन्धी नियम

  1. प्रत्येक टीम में खिलाड़ियों की संख्या 9 होती है और 8 खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं।
  2. प्रत्येक पारी में नौ-नौ मिनट छूने तथा दौड़ने का काम बारी-बारी से होता है। प्रत्येक मैच में 4 पारियाँ होती है। दो पारियों छूने की और 2 पारियाँ दौड़ने की होती हैं।
  3. रनर खेलने के क्रमानुसार स्कोर के पास अपने नाम दर्ज कराएंगे। पारी के आरम्भ में पहले तीन खिलाड़ी सीमा के अन्दर होंगे। इन तीनों के आऊट होने के पश्चात तीन और खिलाड़ी ‘खो’ देने से पहले अन्दर आ जाएंगे। जो इस अवधि में प्रवेश न कर सकेंगे उन्हें आऊट घोषित किया जाएगा। अपनी बारी के बिना प्रविष्ट होने वाला खिलाड़ी भी आऊट घोषित किया जाएगा। यह प्रक्रिया पारी के अंत तक जारी रहेगी। तीसरे रनर को निकालने वाला सक्रिय धावक नए प्रविष्ट होने वाले रनर का पीछा नहीं करेगा, वह ‘खो’ देगा। प्रत्येक टीम खेल के मैदान के केवल एक पक्ष से ही अपने रनर प्रविष्ट करेगी।
  4. धावक तथा प्रत्येक रनर समय से पहले भी अपनी पारी समाप्त कर सकते हैं। केवल धावक या रनर टीम के कप्तान के अनुरोध पर ही अम्पायर खेल रोक कर पारी समाप्ति की घोषणा करेगा। एक पारी के बाद 5 मिनट तथा दो पारियों के बीच 9 मिनट का ब्रेक होगा।
  5. धावक पक्ष को प्रत्येक रनर के आऊट होने पर एक अंक मिलेगा। सभी रनरों के समय से पहले आऊट हो जाने पर उनके विरुद्ध एक ‘लोना’ दे दिया जाता है। इसके पश्चात वह टीम उसी क्रम से अपने रनर भेजेगी। लोना प्राप्त करने के लिए कोई अतिरिक्त अंक नहीं दिया जाता है। पारी का समय समाप्त होने तक इसी ढंग से खेल जारी रहेगा। पारी के दौरान रनरों के क्रम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  6. नॉक आऊट पद्धति में मैच के अंत में अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजयी घोषित किया जाएगा। यदि अंक बराबर हों तो एक और पारी खेली जाएगी। यदि फिर भी अंक बराबर रहें तो टाई ब्रेकर नियम का प्रयोग किया जाएगा। इस स्थिति में यह जरुरी नहीं कि टीमों में वहीं खिलाड़ी हों।
  7. लीग प्रणाली में विजेता टीम को 2 अंक प्राप्त होगें। पराजित टीम को शून्य अंक तथा बराबर रहने की दशा में प्रत्येक टीम को एक-एक अंक दिया जाएगा। यदि लीग प्रणाली में लीग अंक बराबर हो तो टीम अथवा टीमें पर्चियों द्वारा पुनः मैच खेलेंगी। ऐसे मैच नॉक-आऊट प्रणाली के आधार पर खेलें जाएंगे।
  8. यदि किसी कारणवश मैच पूरा नहीं होता है तो यह किसी अन्य समय खेला जाएगा और पिछले अंक नहीं गिने जाएंगे। मैच शुरू से ही खेला जाएगा।
  9. यदि किसी एक टीम के अंक दूसरी टीम से 12 या उससे अधिक हो जाएं तो पहली टीम दूसरी टीम को धावक के रूप में पीछा करने को कह सकती है। यदि दूसरी टीम इस बार अधिक अंक प्राप्त कर ले तो भी उसका धावक बनने का अधिकार बना रहता है।

अधिकारियों की नियुक्ति

खेल को प्रणाली एवं सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए कुल चार अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है जो निम्नलिखित हैं-

  • टाइम कीपर – खो-खो खेल में टाइम कीपर की नियुक्ति रिकार्ड रखने के लिये की जाती है। वह सीटी बजा कर पारी की शुरुआत या समाप्ति का संकेत भी देता है।
  • रैफरी – इस खेल में एक रैफरी की नियुक्ति की जाती है जो निम्नलिखित कार्यों को संपन्न करता है-
  1. वह अम्पायरों की उनके कर्तव्य पालन में सहायता करेगा और उनमें मतभेद हो जाने पर अपना निर्णय देगा।
  2. अगर कोई खिलाड़ी जानबूझ कर खेल में बाधा डालता है या बुरे ढंग से व्यवहार करता है तो उसे रेफरी दण्ड देता है।
  3. पारी के अन्त में वह स्कोर व प्रतिफल बताता है।
  4. इस खेल में रैफरी एक ऐसा अधिकारी होता है जो हो रही प्रतियोगिता को ठीक ढंग से न चला पाने के लिए उत्तरदायी होता है।
  • स्कोरर – खो-खो खेल में एक स्कोरर भी होता है जो इस बात का ध्यान रखता है कि खिलाड़ी निश्चित क्रम से मैदान में आए। इसका प्रमुख कर्तव्य आउट हो चुके रनरों का रिकार्ड रखना है। प्रत्येक पारी के अन्त में वह स्कोरशीट पर अंक दर्ज करता है तथा चेंजरों के स्कोर तैयार करता है, मैच के अन्त में वह परिणाम तैयार करता है और रैफरी को उसकी घोषणा करने के लिये देता है।
  • अम्पायर – अम्पायर का स्थान एक निर्णायक का होता है जो लॉबी मैदान के बाहर खड़ा होगा और केन्द्रीय गली द्वारा विभाजित स्थान से खेल की देख-रेख करेगा। वह अपने आधे क्षेत्र में हुए सभी निर्णय देगा और दूसरे अम्पायर को फैसला देने में मद्द पहुंचायेगा।

खो-खो के मूलभूत कौशल

  1. खो-खो में उठने का ढंगजैसे-बंदर स्टाइल, खड़े होने का ढंग, दोनों का मिश्रित रूप।
  2. चेजिंग के ढंग जैसे-बाएँ हाथ से पकड़ना, दाएँ हाथ से पकड़ना।
  3. वर्गों में बैठने का ढंग जैसे बुलेट ढंग, समानान्तर या दोनों ढंग।
  4. चक्कर खो-खो ।
  5. चेक बनाना।
  6. डोजिंग।
  7. डाइविंग।

खो-खो के प्रकार

  1. साधारण,
  2. शीघ्र,
  3. देर से खो-खो।

महत्त्वपूर्ण प्रतियोगिताएँ

कुछ महत्वपूर्ण प्रसिद्ध प्रतियोगिताएं निम्नवत है-

S.Noप्रतियोगिता
1.नेहरू गोल्ड कप
2.फेडरेशन कप
3.राष्ट्रीय खो-खो चैंपियनशिप
4.अंतर विश्वविद्यालय चैंपियनशिप

प्रसिद्ध खिलाड़ी

खो-खो खेल में भाग लेने वाले कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ियों के नाम नीचे अंकित किये गये है

S.Noखिलाड़ी नाम
1.एस. आर. जनार्दन
2.ऊषा नगरकर
3.एस. रंगा
4.सुरेश भार्गव
5.चंद्रकांत
6.नीलिमा सरोलकर
7.डी. एस. रामाचन्द्रन
8.एस. राम यादव
9.एस. प्रकाश
10.शोभा नारायण

अर्जुन पुरस्कार विजेता

S.Noखिलाड़ी नाम
1.सुधीर परब
2.अर्चना दीवारे
3.मादना परव
4.शोभा नारायण
5.नीलिमा सरोलकर
6.रामचंद्रन

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Updated: March 6, 2023 — 2:04 pm

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