कुश्ती के नियम, कुश्ती के प्रकार और कुश्ती के दाव पेच हिंदी में

कुश्ती के नियम, कुश्ती के प्रकार और कुश्ती के दाव पेच हिंदी में जाने। कुश्ती (rules of kushti) एक प्रकार का द्वंद्वयुद्ध है, जो बिना किसी शस्त्र की सहायता के केवल शारीरिक बल के सहारे लड़ा जाता है। इसमें प्रतिद्वंद्वी को बिना अंगभंग किए या पीड़ा पहुँचाए परास्त किया जाता है। पुराणों में इसका हैं। उल्लेख मल्लक्रीड़ा के रूप में मिलता है। इन उल्लेखों से ज्ञात होता है कि इसके प्रति उन दिनों विशेष आकर्षण और आदर था।

कुश्ती के नियम

कुश्ती के नियम
Rules of Kushti

मध्य काल में मुस्लिम साम्राज्य और संस्कृति के प्रसार के साथ भारतीय मल्लयुद्ध पद्धति का मुस्लिम देशों की युद्ध पद्धति के साथ समन्वय हुआ। यह समन्वय विशेष रूप से मुगल काल में हुआ। आधुनिक काल में देशी रजवाड़ों ने कुश्ती कला को संरक्षण प्रदान किया। पटियाला, कोल्हापुर, मैसूर, इंदौर, अजमेर, बड़ौदा, भरतपुर, जयपुर, बनारस, दरभंगा, बर्दवान, तमखुईख, के राजाओं के अखाड़ों की देशव्यापी ख्याति रही है। वहाँ कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों को हर प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त थीं और इन अखाड़ों के नामी पहलवान देश में घूम-घूम कर कुश्ती के दंगलों में भाग लेते और कुश्ती का प्रचार किया करते थे।

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कुश्ती का मैदान

इसमें मैट (गद्दे) का आकार 9 मीटर गोलाकार तथा उसके आस-पास खाली स्थान 2 मीटर का होना चाहिए। प्लेटफार्म की ऊँचाई 1.10 मीटर होती है। मैट के कोनों पर मार्किंग का रंग लाल / नीला होता है। कुश्ती का समय 6 मिनट (2 पीरियड 3-3 मिनट के) सीनियर, 4 मिनट (जूनियर) होता है। प्रत्येक राउंड के बाद विश्राम का समय 30 सेकेंड होता है।

कुश्ती की पद्धतियाँ

भारतीय कुश्ती का विशेष महत्व है, इसलिए इन कुश्तीयों को एक विशेष नाम से जाना जाता है। भारतीय कुश्ती को निम्न चार पद्धतियों में बाटाँ गया है-

  1. भीमसेनी कुश्ती
  2. हनुमंती कुश्ती
  3. जांबवंती कुश्ती
  4. जरासंधी कुश्ती

1. भीमसेनी कुश्ती

इस कुश्ती का नाम महाभारत पाण्डव भीम के नाम पर है। इस कुश्ती में शरीर की शक्ति का विशेष होता महत्व है।

2. हनुमंती कुश्ती

एक रणनीति के आधार पर दुश्मन से उबरने के लिए यह कुश्ती बनाई है। हनुमंती कुश्ती में दाँव पेंच और कला की प्रधानता होती है।

3. जाबवंती कुश्ती

जाबवंती कुश्ती में हाथ-पैर से इस प्रकार प्रयास किया जाता है कि प्रतिस्पर्धी चित्त न कर पाए, उसमें शारीरिक शक्ति और दाँवपेंच की अपेक्षा शरीर साधना का महत्व है।

4. जरासंधी कुश्ती

इस कुश्ती का नाम राक्षस जरासंध के नाम पर है, इसमें में हाथ-पाँव मोड़ने का प्रयास प्रधान है।

कुश्ती के नियम

  1. यह लगातार 6 मिनट तक होती है।
  2. कुश्ती का निर्णय 6 मिनट से पहले भी हो सकता है।
  3. अगर किसी पहलवान को चोट लग जाए तो उसे 2 मिनट का अधिक समय दिया जाता है।
  4. कुश्ती के दौरान पहलवान को चोट लग जाने पर उसे चिकित्सकीय सहायता भी दी जाती है।
  5. जिस पहलवान के अंक अधिक होते हैं उसे विजेता घोषित किया जाता है।

पोशाक

एक ही टुकड़े से बनी खूब कसी होनी चाहिए। यह लाल अथवा नीले रंग की हो सकती है । जाक स्ट्रैप अथवा स्पोर्ट बैल्ट पहलवान पहन सकते हैं। साथ में रूमाल भी होता है। हल्के ने कैप भी बाँधने की इजाजत होती है। पट्टियों केवल तभी बाँधी जा सकती है यदि डॉक्टर ने ऐसा करने की सलाह दी हो। जूते बिना एडी के और बिना कीलों के होते हैं। इन जूतों पर रिंग, बक्कल आदि कुछ नहीं होता। पहलवान तेल अथवा ग्रीज से अपने शरीर को चिकना नहीं बना सकते । उनको हजामत करवा करके अखाड़े में उतरना होता है। यदि दाढ़ी हो तो वह कई मास पुरानी होनी चाहिए। इसी तरह उनके नाखून भी कटे होने चाहिए।

अधिकारी

रैफरी, मैट चेयरमैन, जज और टाइमकीपर ये चार अधिकारी होते हैं। रैफरी ने सफेद पोशाक पहनी होती है। उसके एक बाजू पर लाल और दूसरे पर नीली पट्टी होती है। उसकी जिम्मेदारियाँ होती है: कुश्ती (कुश्ती के नियम) शुरू या बंद करवाना और बीच में रुकवाना वह पहलवानों को ‘काशन’ देता है। जब पहलवान खतरे (डेजर) में होता है तो इसके संकेत देता है और यह भी बताता है कि कितने अंक उसे दिए जाने चाहिए।

हर राउंड शुरू होने के समय पहलवानों की जांच करता है संकेत से समय गणना को बंद घोषित करता है। यदि पहलवान कोई बहाना लेकर के आराम लेने लगते है तो भी वह समय गणना इस तरह बंद कर सकता है। यदि कोई पहलवान विरोधी द्वारा गिराये जाने की हालत में हो तो बीच में असमय ही रैफरी को बाधा नहीं डालनी चाहिए अधिकारियों अथवा दर्शकों को कुश्ती देखने में बाधा न पहुँने ऐसा ध्यान भी उसे रखना चाहिए।

जज

यदि रैफरी किसी निर्णय में नूक कर जाए तो वह अपना बेटन (छड़) उठाकर संकेत करता है उसके पास रंगीन बेटन होते हैं। कुश्ती खत्म होने पर वही मैट चेयरमैन को स्कोरशीट देता है।

मैट चेयरमैन

वह कुश्ती का सर्वोच्च अधिकारी होता है। उसका फैसला अंतिम माना जाता है। वही रैफरी और जज से संपर्क रखता है। वह पहलवान का हाथ ऊपर उठाकर उसकी विजय की घोषणा करता है।

समय

तीन-तीन मिनट के दो राउंडों में कुश्ती का फैसला होता है। हाँ, यदि इससे पहले कोई (कुश्ती के नियम) पहलवान विजय पा लेता है तो कुश्ती खत्म हो जाती है। टाइमकीपर हर मिनट टाइम की घोषणा करता है। राउंड खत्म होने पर टाइमकीपर घंटी बजाता है। तब रैफरी अपनी सीटी बजा करके कुश्ती खत्म होने की घोषणा करता है। घंटी और सीटी बजने के बीच के समय हुई कोई क्रिया मुकावले में नहीं मानी जाती राउंड के बीच का विश्राम का समय एक मिनट होता है।

उस दौरान प्रशिक्षक अथवा मालिश करने वाला उसके पास रह सकते है घंटी बजने से पाँच सेकंड पहले तक वे ऐसा कर सकते हैं। मेडिकल टाइम तीन मिनट होता है जो कितनी ही बार लिया जा सकता है। यदि पहलवान अपने बस से बाहर किसी कारण से कुश्ती नहीं लड़ पाता तो रैफरी मुकाबला रुकवा देता है। पाँच मिनट से अधिक कुश्ती रुके तो मुकाबला ही खत्म कर दिया जाता है।

गलत पकड़

कुश्ती में गले से पकड़ना, बालों से पकड़ना, पोशाक, मांस, कान आदि को खींचना, अंगुलियों को मोड़ना, धक्का देना आदि क्रियाएँ करने से विपक्षी खिलाड़ी की जान जाने का भय रहता है।

स्कोर

  1. एक अंक उस पहलवान को दिया जाता है जो विरोधी को मैट पर गिरा कर उस पर पीछे से नियंत्रण स्थापित कर लेता है।
  2. खतरे की हालत में लुढ़कता हुआ गिर जाने पर 2 अंक मिलते हैं।
  3. जो खिलाड़ी अपने विरोधी के दोनों कंधे मैट पर 5 सेकेंड तक 90 डिग्री से कम के कोण बनाते हुए रखता है उसे तीन अंक मिलते हैं।
  4. खड़ी अवस्था में सामने से दाँव मारने की दशा में जो पहलवान कंधे के ऊपर से दाँव लगाता है और विरोधी पहलवान को गद्दे पर गिरा देता है उसे चार अंक दिया जाता है।

दाँवों पर अंक

अंकों के आधार पर अथवा विरोधी को चित करके कुश्ती का फैसला होता है। दोनों पहलवानों के अंक बराबर हो अथवा दोनों के अंकों में एक सेमी० से कम अंक का अंतर हो तो कुश्ती बराबर छुड़वा दी जाती है।

पहलवानों को निम्नलिखित हिसाब से अंक दिये जाते है-विरोधी पहलवान को गद्दे पर निराकर काबू में लाने पर अथवा नीचे से निकलकर काबू में रहते हुए ऊपर आने पर ठीक दाँव लगाने पर और विरोधी के गद्दे पर गिरने के बाद उसका सिर अथवा कंधा उसे हुए अथवा नहीं: काशन दिये जाने पर 1 अंक दिया जाता है।

2 अंक

ठीक दाँव लगाकर विरोधी पहलवान को 5 सेकंड से कम समय बित खतरे में डाले रखने पर विरोधी पहलवान के किसी दुर्घटना से या क्षण भर के समय के लिए लुढ़कते हुए की स्थिति में आ जाने पर पहलवान द्वारा एक से दूसरी तरफ लुढ़काते हुए अपने कंधे व कोहनी का इस्तेमाल कर ब्रिज बना लेने पर।

3 अंक

विरोधी को पाँच सेकंड से अधिक समय तक खतरे में डालते रहने पर यदि विरोधी लुढ़कता हुआ गिरचित होने के करीब हो और ब्रिज बना कर बचे ब्रिजों की श्रृंखला-सी बने और वह पाँच सेकेंड तक बचा रहे तो भी विरोधी को तीन अंक मिलेंगे।

4 अंक

विरोधी को खूब ऊपर उठाकर पटकते ही खतरे की स्थिति में लाने पर।

अर्जुन पुरस्कार विजेता

  1. हवलदार उदय चंद,
  2. मालवा,
  3. मास्टर चंदगीराम,
  4. सतपाल,
  5. काका पवार,
  6. रोहतास सिंह दहिया,
  7. रमेश कुमार,
  8. पलविंदर चीमा,
  9. सुजीत मान,
  10. शौकिन्दर सिंह तोमर
  11. अनुज कुमार
  12. गीतिका झाखड़

ध्यान चंद पुरस्कार

निम्न खिलाड़ियों के ध्यान चंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है-

  1. राजेंदर सिंह
  2. एम.डी. माने पाटिल

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