संजय गांधी का जीवन परिचय: संजय गांधी का जन्म 4 दिसम्बर, 1946 को सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम फिरोज गांधी था। एवं उनकी माता का नाम इन्दिरा गांधी था। संजय गांधी तेज और शक्ति के पुंज थे। आपमें आश्चर्यजनक स्फूर्ति थी, आलस्य बिल्कुल नहीं था। काम था, बातें नहीं थीं। हिम्मत थी, उत्साह था और काम करने की अनोखी शक्ति थी। सच्चाई थी, कर्तव्य परायणता थी और राष्ट्रभक्ति थी।
संजय गांधी का जीवन परिचय

Sanjay Gandhi Biography in Hindi
जन्म | 4 दिसम्बर, 1946 |
जन्म स्थान | दिल्ली |
पिता का नाम | फिरोज गांधी |
माता का नाम | इन्दिरा गांधी |
पत्नी का नाम | मेनका गांधी |
मृत्यु | 23 जून, 1980 |
जन्म एवं परिचय
संजय गांधी का जन्म 4 दिसम्बर, 1946 को सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर हुआ था। आपके पिता का नाम फिरोज गांधी और माता का नाम इन्दिरा गांधी था। आपकी पत्नी श्रीमती मेनका गांधी और पुत्र वरुण गांधी हैं।
शिक्षा
प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद संजय बेल्हम स्कूल, मंसूरी गये, फिर दून स्कूल देहरादून गये। अपने शिक्षा काल में आप चुपचाप रहा करते थे। आप स्वभाव से शर्मीले थे तथा अधिकतर एकान्त सेवन किया करते थे।
आप दून स्कूल से लन्दन गये। आप अपने कार बनाने के सपने को साकार करना चाहते थे। अतः आपने रॉल्स रायल में तीन वर्ष का प्रशिक्षण लिया। नये ढंग की कार बनाने की उनकी बहुत इच्छा थी। भारत लौटकर उन्होंने कुछ के सहयोग से मोटर वर्कशॉप खोला।
सन् 1970 में उन्हें छोटी कार बनाने का लाइसेंस मिला। हरियाणा के मुख्यमन्त्री श्री बंसीलाल के प्रयत्नों से कारखाने के लिए तीन सौ एकड़ जमीन मिल गयी और कार बनाने का काम आरम्भ हो गया। मारुति कार उन्हीं के प्रयत्नों का फल है।
हिम्मत के धनी
संजय गांधी कभी हिम्मत नहीं हारते थे। वे जिस काम को भी हाथ में ले लेते थे, उसे बड़ी से बड़ी कठिनाई आने पर भी करके ही छोड़ते थे।
पाँच सूत्रीय कार्यक्रम
इस कार्यक्रम में दिल्ली और आगरा में जहाँ विदेशी पर्यटक आते हैं, उन स्थानों के सौन्दर्यीकरण पर जोर दिया गया था। बढ़ती आबादी को रोकने के लिए आपने परिवार नियोजन पर बल दिया। पढ़े-लिखे लोगों से अनपढ़ों को पढ़ाने के लिए कहा। प्रत्येक व्यक्ति से वृक्ष लगाने के लिए आग्रह किया। दहेज विरोधी अभियान चलाया गया। जाति-पाँति के भेद को मिटाने पर बल दिया गया।
जेल यात्रा
किस्सा कुर्सी का’ के मुकदमे में आपको एक मास की सजा भी हुई।
संगठनकर्त्ता एवं प्रचारक
जनता पार्टी के टूट जाने पर जब मध्यावधि चुनाव हुए, उनमें कांग्रेस को 251 सीटें मिलीं। इस सफलता का पूरा श्रेय संजय गांधी को है।
पार्टी के महासचिव
श्रीमती इन्दिरा गांधी ने 13 जून, 1980 में कांग्रेस (आई) अध्यक्ष की हैसियत से संजय गांधी को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया। पार्टी के महासचिव रहकर आपने थोड़े ही दिनों में पार्टी को संगठित किया।
अमर स्मृति
दिल्ली और आगरा जैसे नगरों का उन्होंने जो सौन्दर्यीकरण किया, वह उनकी अमर यादगार है। आगरा और दिल्ली की चौड़ी-चौड़ी सड़कें, दिल्ली की जामा मस्जिद इत्यादि का सौन्दर्यीकरण संजय गांधी की अमर यादगार है।
उनके कार्यों को सदैव याद रखा जायेगा। आगरा में ‘संजय पैलेस’ के नाम से नवनिर्मित व्यापारिक काम्पलेक्स आधुनिकता और सुन्दरता का अनोखा संगम है।
उपसंहार
मृत्यु – अनेक प्रकार के ठोस काम करने वाले संजय गांधी 26. जनवरी के अवसर पर हवाई जहाज के अद्भुत खेल दिखाना चाहते थे। अभ्यास के समय आपका जहाज एक पेड़ से टकरा गया जिसके परिणामस्वरूप 23 जून, 1980 को आपकी मृत्यु हो गयी।
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