सरदार बल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय, सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के करमसद गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम झबेरभाई था। एवं उनकी माता का नाम लाड़ बाई था। सरदार बल्लभभाई पटेल एक ऐसा व्यक्तित्व है जो न केवल भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के वीर सेनानी थे, बल्कि जिसने स्वतन्त्र भारत को एक सूत्र में पिरो दिया।
सरदार बल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय

Sardar Vallabhbhai Patel Biography
जन्म | 31 अक्टूबर, 1875 |
जन्म स्थान | गुजरात के करमसद गाँव |
पिता का नाम | झबेरभाई |
माता का नाम | लाड़ बाई |
मृत्यु | 15 सितम्बर, 1950 |
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जन्म और शिक्षा
परदार बल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के करमसद गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम झबेरभाई था। वे सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों से लोहा ले चुके थे।
सरदार बल्लभभाई पटेल उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें मैट्रिक के बाद ही मुख्ता की परीक्षा पास करके नौकरी करनी पड़ी। कुछ धन अर्जित करके सन् 1910 में आप विदेश गये और सन् 1913 में बैरिस्टर बनकर स्वदेश वापस लौटे।
कार्य क्षेत्र
सरदार बल्लभभाई पटेल फौजदारी के प्रसिद्ध वकील थे। वे आराम की जिन्दगी व्यतीत कर सकते थे, लेकिन देश की सेवा उनके जीवन का परम लक्ष्य था। सन् 1915 में गांधीजी ने अहमदाबाद को केन्द्र मानकर देशसेवा का कार्य आरम्भ कर दिया था।
सरदार बल्लभभाई पटेल की सार्वजनिक कार्यों में पर्याप्त रुचि थी, उन्हें यह समझते देर न लगी कि वकालत करके धन कमाने का जीवन और देशसेवा का जीवन साथ-साथ नहीं चल सकता। अतः चलती हुई वकालत को छोड़कर वे स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े।
सन् 1916 से 1945 तक के प्रत्येक आन्दोलन में सरदार बल्लभभाई पटेल ने सक्रिय रूप से भाग लिया और शीघ्र ही वे देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय नेताओं में गिने जाने लगे। खेड़ा सत्याग्रह, बारडोली आन्दोलन, डाण्डी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह और अन्त में ‘भारत छोड़ो’ राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार बल्लभभाई पटेल सबसे आगे थे।
सरदार बल्लभाई पटेल स्पष्टवक्ता और दृढ़प्रतिज्ञ थे। उन्हें उनके मार्ग से कोई विचलित नहीं कर सकता था। जो निश्चय कर लेते, उसे पूरा करके ही छोड़ते थे।
उपसंहार
देश स्वतन्त्र हुआ, लेकिन साथ ही विभाजित भी हो गया। शान्ति स्थापित करने की, अनेकों विस्थापितों को बसाने की और देशी राज्यों को देश की मुख्य धारा से जोड़ने की समस्याएँ भारत के प्रथम गृह मंत्री के रूप में सरदार बल्लभभाई पटेल के सामने थीं।
वे इनसे विचलित नहीं हुए। बड़ी दृढ़ता तथा सूझ-बूझ से उन्होंने शीघ्र ही इन समस्याओं का समाधान किया। 15 सितम्बर, 1950 को जब उनका देहान्त हुआ तो वे विरासत में हमारे लिए एक संगठित और सुदृढ़ विशाल भारत छोड़ गये।
उनके निधन पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “इतिहास उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और भारत को संगठित करने वाले के रूप में याद रखेगा। स्वतन्त्रता युद्ध के वे एक महान सेनानी थे।