शिवाजी महाराज का इतिहास: मराठा शक्ति का उदय किसी एक व्यक्ति अथवा विशेष व्यक्ति समूह का कार्य न था, बल्कि इसका आधार महाराष्ट्र के सम्पूर्ण निवासी थे, जिन्होंने जाति, भाषा, धर्म, साहित्य और निवास स्थान की एकता के आधार पर राष्ट्रीयता की भावना को जन्म दिया।
शिवाजी महाराज का इतिहास

शिवजी का शासन (1674ई० – 1680ई०)
मराठा साम्राज्य के प्रथम शासक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल 1627 ई० को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था। शाहजी मोसले पहले अहमदनगर के निजाम तथा बाद में बीजापुर के दरबार में नौकरी करते थे शिवाजी के पालन-पोषण का पूरा दायित्व उनकी माता जीजाबाई पर था।
शाहजी ने शिवाजी को अपनी एक जागीर पुणे दे रखी थी। शिवाजी साहसी थे और सोचते थे कि वह दूसरे राजाओं की सेवा क्यों करें। खुद का राज्य क्यों बना ले मराठों का अलग राज्य बनाने का उद्देश्य लेकर शिवाजी 18 साल की उम्र से ही सेना इकट्ठी करने लगे।
धीरे-धीरे अपनी शक्ति संगठित करके एक स्वतंत्र राज्य बनाने के उद्देश्य से शिवाजी ने आस-पास के क्षेत्रों पर आक्रमण करके उन्हें जीत लिया। उन्होंने पूना के आसपास के कई पहाड़ी किलों को जीता और नये दुर्गा का निर्माण भी कराया, जैसे रायगढ़ का दुर्ग।
शिवाजी को स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने में दक्षिण के बीजापुर और अहमदनगर के सुल्तानों तथा दिल्ली के मुगल बादशाह से संघर्ष करना पड़ा। शिवाजी को मारने के लिए बीजापुर के सुल्तान ने अपने एक प्रमुख सेनापति अफजल खाँ को एक विशाल सेना के साथ भेजा।
अफजल खाँ ने शिवाजी को मारने के लिए चालाकी से उन्हें अपने तम्बू में बुलाया। आइए अब आगे की कहानी पढ़ें। शिवाजी को नियंत्रित करने के लिए मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने सूबेदार शाइस्ता खाँ को भेजा।
शिवाजी ने उसे भी परास्त कर दिया। इसके बाद औरंगज़ेब ने जयसिंह को शिवाजी के पास भेजा। जयसिंह के समझाने बुझाने पर औरंगज़ेब से संधि करने के लिए शिवाजी औरंगजेब के दरबार में गये।
वहाँ शिवाजी के स्वतंत्र व्यवहार से वह असंतुष्ट हो गया और उसने शिवाजी को कैद कर लिया। शिवाजी औरंगजेब की इस कैद से एक योजना बनाकर निकल गये । इसके बाद उन्होंने 1670ई0 में सूरत पर आक्रमण करके बहुत सी सम्पत्ति इकट्ठी कर ली।
रायगढ़ में एक पंडित गंगाभट्ट के द्वारा विधिवत राज्याभिषेक हुआ और उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की। शिवाजी का राज्य उत्तर में रामनगर (सूरत में स्थित) से लेकर दक्षिण में कारवार तक समुद्र तट के किनारे-किनारे फैला हुआ था। शिवाजी की मृत्यु 1680 ई0 में हो गयी।
शिवाजी का शासन प्रबन्ध
- शिवाजी एक कुशल सैनिक, योग्य सेनापति तथा लोकप्रिय शासक थे। शिवाजी ने अपनी योग्यता के आधार पर मराठों को संगठित किया तथा दक्षिण की राजनीतिक सूझ के चलते पृथक की स्थापना की।
- शिवाजी ने अपने राज्य की व्यवस्था के लिए आठ मंत्री नियुक्त किये। इन्हें अष्ट प्रधान कहा जाता था। प्रत्येक मंत्री सीधे राजा के प्रति उत्तरदायी था। पेशवा का पद सबसे महत्वपूर्ण होता था। वित्त व्यवस्था व सामान्य प्रशासन पेशवा ही देखता था।
- साम्राज्य की सुरक्षा और विस्तार के लिए शिवाजी ने एक नियमित और स्थायी अनुशासित सेना की व्यवस्था की। उन्हें नगद वेतन दिया जाता था। उन्होंने एक बड़ा जहाजी बेड़ा भी बनाया।
- मराठा राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भूमि पर लगने वाला कर था। इसके 8. न्या अतिरिक्त शिवाजी ने अपने राज्य के पड़ोस के मुग़ल क्षेत्रों से चौथ (आय का चौथा हिस्सा) और सरदेशमुखी (आय का दसवां हिस्सा) नामक कर वसूल करना प्रारम्भ किया।
- मुग़ल क्षेत्रों पर आक्रमण कर धन लूटा (जैसे सूरत बंदरगाह पर)। शिवाजी ने मराठा जाति को एकता सूत्र में बाँध कर मराठा राज्य को एक शक्तिशाली राज्य बनाया। शिवाजी के द्वारा स्थापित राज्य लम्बे समय तक नहीं टिका रह सका। अठारहवीं सदी में मराठे भारत की एक प्रमुख शक्ति बने रहे।
शिवाजी के उत्तराधिकारी
अष्ट प्रधान मंत्रिपरिषद् में पेशवा (प्रधानमंत्री) को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। शिवाजी के पौत्र शाहू ने एक ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ को अपना पेशवा नियुक्त किया। शाहू अकर्मण्य शासक था।
बालाजी विश्वनाथ ने अपनी योग्यता एवं कुशलता से मराठा शासन को सुदृढ़ बनाया। उसने मुगल शासक मोहम्मद शाह रंगीला से दक्षिण इलाकों से “चौथ” एवं “सरदेशमुखी” कर वसूलने का अधिकार प्राप्त किया।
उसने उन इलाकों पर पुनः अधिकार किया जिन पर मुग़लों का अधिकार हो गया था। सैनिक और आर्थिक दृष्टि से मराठों ने अपनी शक्ति को बहुत बढ़ा लिया और अब वे मुगल सेना का सामना भली भाँति कर सकते थे। मुगल बादशाह औरंगज़ेब को मराठों ने लगातार गोरिल्ला या छापामार युद्धों में व्यस्त रखा।
Ans : शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल 1627 ई० में हुआ था।
Ans : शिवाजी की मृत्यु 1680 ई0 में हो गयी।
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