सोहनलाल द्विवेदी का जीवन परिचय:- राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित सोहनलाल द्विवेदी का जन्म 22 फरवरी 1906 ई० में फतेहपुर जिले के बिन्दकी नामक कस्बे में एक सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम वृन्दावनप्रसाद द्विवेदी था। द्विवेदीजी में जन्म से ही कवि प्रतिभा विद्यमान थी। अपने विद्यार्थी जीवन से ही इन्होंने कविताएँ लिखनी प्रारम्भ कर दी थीं।
सोहनलाल द्विवेदी का जीवन परिचय

Sohan Lal Dwivedi Ka Jeevan Parichay
मुख्य बिंदु | जानकारी |
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जन्म | 22 फरवरी 1906 ई० |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिन्दकी नामक कस्बे में |
मृत्यु | 21 फरवरी, 1988 ई० |
पिता | श्री वृन्दावन प्रसाद द्विवेदी |
कार्यक्षेत्र | कवि, पत्रकार |
सम्मान | पद्म श्री पुरुस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशिष्ट पुरस्कार |
प्रमुख रचनाएँ | प्रेम-गीत एवं आख्यानक, पूजागीत, वासन्ती |
काव्य | ‘भैरवी’, ‘प्रभाती’, ‘चेतना’, ‘पूजा के स्वर’, ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल’, ‘विषपान’ आदि। |
बाल कविता संग्रह | ‘दूध बताशा’, ‘शिशु भारती’, ‘बाल भारती’, ‘चाचा नेहरू’, ‘हँसो हँसाओ’, ‘बिगुल’, ‘बाँसुरी और झरना’, ‘बच्चों के बापू’ आदि। |
सम्पादन | अधिकार, बालसखा आदि। |
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सोहनलाल द्विवेदी की शिक्षा
इनकी हाईस्कूल तक की शिक्षा फतेहपुर में तथा उच्चशिक्षा ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी’ में सम्पन्न हुई। इन्होंने यहाँ से एम० ए०, एल एल० बी० की उपाधियाँ प्राप्त कीं। यहीं महान् यशस्वी महामना मदनमोहन मालवीय के संसर्ग में इनमें राष्ट्रीय भावना के अंकुर जाग्रत हुए और ये राष्ट्रीय भावना पर आधारित कविताएँ लिखने लगे। साहित्य-प्रेम इन्हें जन्मजात प्राप्त हुआ था। कानपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने सन् 1976 ई० में डी० लिट्० की उपाधि प्राप्त की। माखनलाल चतुर्वेदी की प्रेरणा से इनमें राष्ट्रप्रेम एवं साहित्य-सृजन की भावना बलवती हुई। सन् 1938 ई० से 1942 ई० तक ये दैनिक राष्ट्रीय पत्र ‘अधिकार’ का लखनऊ से सम्पादन करते रहे। कुछ वर्षों तक इन्होंने ‘बाल-सखा’ का अवैतनिक सम्पादन भी किया।
सोहनलाल द्विवेदी कवि प्रतिभा
अपनी कविताओं के माध्यम से इन्होंने देश के नवयुवकों में अभूतपूर्व उत्साह एवं देश-प्रेम की भावना का संचार किया। इन्होंने ‘बाल-सखा’ नामक मासिक बाल पत्रिका का सम्पादन भी किया। गाँधीजी से ये विशेष रूप से प्रभावित थे। इसी कारण इनके काव्य में गाँधीवादी विचारधारा के दर्शन होते हैं। सन् 1941 ई० में इनका पहला काव्य संग्रह ‘भैरवी’ प्रकाशित हुआ। बालकों को संस्कारित करने एवं उनमें राष्ट्र तथा मानव-प्रेम की भावना जगाने के उद्देश्य से इन्होंने श्रेष्ठ साहित्य का सृजन किया।
स्वाधीनता आन्दोलन में सहयोग
द्विवेदीजी ने स्वाधीनता आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। अपनी पौराणिक एवं राष्ट्रीय प्रेम की रचनाओं के कारण ये जनता तथा कवि सम्मेलनों में सदैव सम्मान प्राप्त करते रहे। इन्होंने कभी भी साहित्य सेवा को व्यवसाय के रूप में स्वीकार नहीं किया। स्वतन्त्रता के पश्चात् भी गाँधीवाद की मशाल को जलाये रखनेवाले ये अनुपम कवियोद्धा थे। इनका निधन 21 फरवरी, 1988 को हुआ।
हिन्दी साहित्य में योगदान
हिन्दी साहित्य की उन्नति एवं समृद्धि हेतु इन्होंने अनथक साहित्य-साधना की। इनकी प्रथम कृति ‘भैरवी’ में स्वदेश-प्रेम के भावों की प्रधानता है। ‘वासवदत्ता’ में भारतीय संस्कृति के प्रति गौरव का भाव झलकता है। इनके द्वारा रचित ‘कुणाल’ प्रबन्ध-काव्य ऐतिहासिक आधार लिये हुए है।
पूजा के स्वर के माध्यम से द्विवेदीजी ने जनता में नवजागृति उत्पन्न करते हुए एक युग-प्रतिनिधि कवि के रूप में स्तुत्य कार्य किया। ‘पूजागीत’, ‘विषपान’, ‘युगाधार’, ‘वासन्ती’ तथा ‘चित्रा’ इनकी राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत अन्य रचनाएँ हैं बाल-साहित्य के रूप में इनकी लोकप्रिय बाल-रचनाएँ है- ‘बाँसुरी और झरना’, ‘बच्चों के बापू’, ‘दूध-बताशा’, ‘बालभारती’, ‘शिशु-भारती’, ‘हँसो-हंसाओ’ तथा ‘नेहरू चाचा’।
काव्य-सौन्दर्य
भाषा
द्विवेदीजो की भाषा सरल, सरस, प्रवाहपूर्ण, शुद्ध, परिमार्जित खड़ीबोली है। भाषा में व्यावहारिक शब्दों तथा मुहावरों का प्रयोग सर्वत्र दृष्टिगत होता है। इसी के साथ उर्दू भाषा के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भी इन्होंने पर्याप्त मात्रा में किया है।
शैली
द्विवेदीजी ने प्रबन्ध, गीति एवं मुक्तक तोनों ही शैलियों में काव्य-रचना की है। इतिवृत्तात्मकता तथा चित्रात्मकता इनकी शैली की दो मुख्य विशेषताएँ हैं।
राष्ट्र प्रेम
अपनी ओजपूर्ण राष्ट्रीय कविताओं के माध्यम से सुप्त भारतीय जनता को जागरण का सन्देश देनेवाले कवियों में सोहनलाल द्विवेदी का विशिष्ट स्थान है। इनकी राष्ट्र प्रेम की भावना अहिंसात्मक है और गांधीवादी रक्तहीन क्रान्ति की समर्थक है। इन्होंने वर्तमान और अतीत के गौरव को समान रूप से महत्त्व प्रदान किया है।
इनके काव्य में वीरपूजा के रचनात्मक भाव सर्वत्र विद्यमान हैं। “सोहनलाल द्विवेदी की कविताओं में राष्ट्रीय चेतना, उद्बोधन व जागरण का पावन सन्देश है। देश-प्रेम और राष्ट्रप्रेम की भावना उनकी कविताओं का मुख्य विषय है। वे प्रत्येक भारतीय के हृदय में राष्ट्र-प्रेम का भाव उत्पन्न करना चाहते
इस प्रकार छायावादोत्तर कवियों में सोहनलाल द्विवेदी की गणना श्रेष्ठ कवि के रूप में की जाती है। महामना मालवीय, माखनलाल चतुर्वेदी और गांधीवादी विचारधारा का इन पर अमिट प्रभाव है। राष्ट्रीय कवियों और बाल साहित्यकारों में द्विवेदी जी का प्रमुख स्थान है।
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