Telegram Group (100K+) Join Now

सोनिया गांधी का जीवन परिचय | Sonia Gandhi Biography In Hindi

सोनिया गांधी का जीवन परिचय: भारतीय राजनीति को एक नई दिशा एवं दशा देने के लिए सोनिया गाँधी (Sonia Gandhi Biography In Hindi) ने राजनीति में कदम रखा। यह वही सोनिया गाँधी थीं जिन्हें कभी राजनीति के नाम से भी घृणा थी और आज स्थिति यह है कि उनकी राजनीतिक शक्ति के कारण उन्हें भारत ही नहीं दुनिया की सर्वाधिक शक्तिशाली नारियों में सम्मिलित किया जाता है।

एक वक्त ऐसा था, जब उनके विदेशी मूल की होने के कारण देशभर में उनका व्यापक राजनीतिक विरोध हुआ था और तब उन्होंने प्रधानमन्त्री जैसे पद को अस्वीकार कर न केवल त्याग का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि उन्होंने भारतीयता को पूर्णतः आत्मसात् कर लिया है।

सोनिया गांधी का जीवन परिचय

सोनिया गांधी का जीवन परिचय

यह भी पढ़े – राजीव गांधी का जीवन परिचय? राजीव गांधी पर निबंध?

इनके बचपन का नाम सोनिया मायनो था। उनका जन्म 9 दिसम्बर, 1946 को इटली में विन्सेजा नामक स्थान से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गाँव लूसियाना में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टेफिनो मायनो था, जो एक भवन-निर्माताठेकेदार थे। उनकी माता का नाम पाओलो मायनो है। उनका बचपन इटली के टूरिन नामक स्थान में बीता।

Sonia Gandhi Biography In Hindi

मुख्य बिंदुजानकारी
बचपन का नामसोनिया मायनो
नामसोनिया गांधी
जन्म9 दिसम्बर, 1946
जन्म स्थानलूसिआना, वेनेटो, इटली
राष्ट्रीयताभारतीय
पिता का नामस्तेफेनो मैनो
माता का नामपाओला माइनो
पति का नामराजीव गाँधी
बेटे का नामराहुल गाँधी
बेटी का नामप्रियंका गांधी
परिवारगांधी परिवार
पार्टी का नामभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी
व्यवसायराजनीतिज्ञ
संपत्तिलगभग 11.83Cr
सोनिया गांधी का जीवन परिचय

सोनिया की प्रारम्भिक शिक्षा

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा लूसियाना एवं टूरिन में हुई। अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करने के लिए उन्होंने 1964 ई. में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहीं उनकी मुलाकात राजीव गाँधी से हुई, जो उस समय इसी विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी स्कूल में अध्ययन कर रहे थे। 1968 ई. में राजीव गाँधी से विवाह के बाद सोनिया गांधी भारत आ गई। उन्होंने 1970 ई. में राहुल गाँधी एवं 1972 ई. में प्रियंका गाँधी को जन्म दिया। में सन् 1983 ई. में उन्होंने भारत की नागरिकता ग्रहण कर ली।

राजनीति में आगमन

सन् 1984 ई. में तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी की हत्या के बाद जब राजीव गाँधी को राजनीति में आना पड़ा, तो सोनिया गाँधी ने इसका भरपूर विरोध किया। उन्होंने अपने पति से अपने परिवार की खुशी एवं स्वतन्त्रता के नाम पर राजनीति से दूर रहने की विनती की, किन्तु समय की माँग को देखते हुए पत्नी के विरोध के बावजूद राजीव गाँधी को राजनीति में आना ही पड़ा। सोनिया गाँधी के मन में राजनीति से घृणा ऐसे ही उत्पन्न नहीं हुई थी।

राजनीति में फैले भ्रष्टाचार को उन्होंने नजदीक से देखा था, इसके बाद उन्होंने अपनी सास श्रीमती इन्दिरा गाँधी की हत्या भी देखी। इसलिए वे नहीं चाहती थीं कि उनके परिवार के साथ कोई और हादसा हो, इसी डर के कारण वे अपने परिवार सहित राजनीति से दूर रहना चाहती थीं। किन्तु, एक वक्त ऐसा भी आया जब देश के हित एवं समय की माँग को देखते हुए अपने पति की तरह उन्हें भी राजनीति में आने का फैसला करना ही पड़ा।

सोनिया गांधी का राजनीतिज्ञ करियर

उनके पति राजीव गाँधी की हत्या होने के पश्चात् कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गाँधी से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी, परन्तु सोनिया गाँधी ने इसे स्वीकार नहीं किया। उस समय उन्होंने राजनीति एवं राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को इन शब्दों में व्यक्त किया था- “मैं अपने बच्चों को भीख माँगते देख लूँगी, परन्तु राजनीति में कदम नहीं रखूँगी।

किन्तु कांग्रेस की दुरावस्था को देखते हुए, अन्ततः 1997 में उन्हें इसकी प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करनी पड़ी एवं इसके बाद 1998 ई. में उन्होंने इसका अध्यक्ष बनना भी स्वीकार कर लिया। इसके बाद विदेशी मूल के प्रश्न पर उनका काफी राजनीतिक विरोध हुआ एवं उनकी कमजोर हिन्दी का भी मजाक उड़ाया गया। उन पर परिवारवाद का आरोप भी लगा, किन्तु वे अपने कार्यों में संलग्न रहीं एवं राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाती रहीं।

अक्टूबर 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी एवं अपने दिवंगत पति राजीव गाँधी के निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश के अमेठी से उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और बेल्लारी लोकसभा क्षेत्र से उन्होंने जीत हासिल की। सन् 1999 में वे 13वीं लोकसभा में विपक्ष की नेता चुनी गई। सन् 2004 के लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की जिसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में यू.पी.ए. गठबन्धन सरकार बनाने में कामयाब रही।

यद्यपि उस समय कांग्रेस के अधिकतर सदस्य सोनिया गाँधी को प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहते थे, किन्तु विदेशी मूल के मुद्दे को लेकर देश भर में हुए व्यापक विरोध एवं अन्य कारणों से उन्होंने देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर त्याग का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

इसके बाद उनके परामर्श एवं इच्छा के अनुरूप डॉ. मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् की अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गाँधी पर लाभ के पद पर होने के साथ-साथ लोकसभा सदस्य होने का आक्षेप लगा, जिसके कारण उन्होंने 23 मार्च, 2006 को न केवल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष पद से, बल्कि लोकसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया।

मई 2006 में वे उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा सीट से पुनः सांसद चुनी गई। महात्मा गाँधी की वर्षगांठ के अवसर पर 2 अक्टूबर, 2007 को सोनिया गाँधी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को सम्बोधित किया। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यू.पी.ए. गठबन्धन को एक बार फिर बहुमत मिला और इस बार भी उनके परामर्श एवं इच्छा के अनुरूप डॉ. मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया।

अमेरिकी पत्रिका ‘फोर्ब्स’

प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका ‘फोर्ब्स’ द्वारा मार्च 2011 में जारी विश्व की सबसे शक्तिशाली 100 व्यक्तियों की सूची में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को नौवां स्थान दिया गया है। लगातार 12 वर्षों तक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बने रहने के बाद वे सितम्बर 2010 में लगातार चौथी बार इस पद के अगले कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुईं। कांग्रेस में लगातार 12 वर्ष तक अध्यक्ष पद पर बने रहने वाली एवं लगातार चौथी बार इस पद हेतु निर्वाचित होने वाली वे प्रथम महिला हैं।

इस समय वे यू.पी.ए. गठबन्धन एवं कांग्रेस दोनों की प्रमुख हैं तथा उन्हें भारत ही नहीं विश्वभर में महिला सशक्तिकरण के प्रतीक रूप में देखा जाता है। अपने जीवन के उत्थान-पतन का पूरे साहस एवं धैर्य के साथ सामना करते हुए जिस तरह उन्होंने भारतीय राजनीति में अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान सुनिश्चित किया है वह भारत ही नहीं पूरे विश्व की नारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

यह भी पढ़े – इंदिरा गांधी का जीवन परिचय? इंदिरा गांधी पर निबंध?

Updated: May 4, 2023 — 8:02 pm

Subscribe with Google News:

Telegram Group (100K+) Join Now