संडे की छुट्टी कब से शुरू हुई इसके पीछे क्या कारण थे। संडे की छुट्टी किसने लागू की, अंग्रेज गवर्नर जनरल के आदेश पर सन 1843 में संडे (Sunday Ki Chhutti Kab Se Suru Hui) के दिन की छुट्टी की शुरुआत की गई और यह छुट्टी सबसे पहले ब्रिटेन स्कूलों में आरंभ की गई। संडे की छुट्टी को हम रविवार का अवकाश के नाम से भी जानते हैं। रविवार का अवकाश क्यों होता है और भारत में संडे की छुट्टी कब से लागू हुई इन सभी प्रश्नों का जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं।
संडे की छुट्टी कब से शुरू हुई

पहले संडे की छुट्टी नहीं होती थी
पहले संडे (रविवार) की छुट्टी नहीं हुआ करती थी ऑफिस में काम करने वालों को सातों दिन काम करना पड़ता था। आज हम Sunday (रविवार) की छुट्टी मनाते हैं या फिर दी जाती है तो हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि यह संडे की छुट्टी को कब से देना शुरू किया गया था।
संडे आते ही हमारे मन में उत्सुकता पैदा हो जाती है और इस दिन हम थोड़ा लेट उठते हैं और हम अपने बचे हुए कामों को इस दिन समाप्त करते हैं संडे की छुट्टी के लिए तीन कहानियां प्रचलित हैं। आपको हम एक एक कर कर इसकी सारी जानकारी देंगे।
स्थान | दिन |
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ब्रिटेन | सन 1843, रविवार (Sunday) |
भारत | 10 जून 1890 |
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पहले स्कूलो में दी गई रविवार छुट्टी
सन 1843 में रविवार के दिन की छुट्टी अंग्रेज के गवर्नर जनरल की एक आदेश पारित करने पर रविवार के दिन की छुट्टी की शुरुआत की गई और यह छुट्टी सबसे पहले ब्रिटेन स्कूलों में आरंभ की गई। इसमें यह बताया गया कि बच्चों को सातों दिन पढ़ाने से उनके ऊपर मानसिक बोझ बढ़ रहा था और अंग्रेज गवर्नर जनरल के अनुसार जब बच्चे एक दिन अपने घर पर रहेंगे तो वह कुछ क्रिएटिव करना सीखेंगे जिससे उनका मानसिक विकास अच्छी तरीके से हो सकता है।
भारत में संडे की छुट्टी कब से शुरू (लागू) हुई
10 जून 1890 के दिन भारत में रविवार के दिन सप्ताहिक छुट्टी देना शुरू कर दिया। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण बताया जाता है। हम सभी को ज्ञात होगा कि भारत पर अंग्रेजों का शासन चलता था। अंग्रेजों ने भारत में कंपनियां शुरू की जिसमें मजदूरों की जरूरत पड़ती थी। भारत में रहने वाले नागरिकों को यहां पर काम दिया जाता था और उनसे मजदूरी कराई जाती थी।
सातों दिन काम करने की वजह से मजदूरों में मानसिक तनाव और शारीरिक कास्ट बहुत ज्यादा होने लगा इन मजदूरों को खाने के लिए लंच ब्रेक भी नहीं दिया जाता था। मजदूरों को हो रहे शारीरिक कष्ट के लिए कोई भी अंग्रेजों के सामने आवाज नहीं उठाता था। ऐसा देखते हुए कर्मचारी यूनियन के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने 1881 में अंग्रेजों के सामने 1 दिन की छुट्टी का प्रस्ताव रखा और इस प्रस्ताव को अंग्रेजों ने खारिज कर दिया।
नारायण मेघाजी लोखंडे उनके इस बर्ताव से बड़े नाराज हुए और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया लगातार 8 साल चले इस आंदोलन के बाद अंग्रेजों को उनकी बात माननी पड़ी सन 1890 में अंग्रेजों ने रविवार के दिन अवकाश की घोषणा कर दी।
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धार्मिक मान्यताओं के आधार पर रविवार की छुट्टी
रविवार की छुट्टी हिंदू धर्म के अनुसार रविवार का दिन सूर्य भगवान का माना जाता है और बहुत सारे पूजा पाठ रविवार के दिन ही किए जाते थे और अंग्रेजों के अनुसार यह मान्यता थी कि रविवार के दिन अंग्रेज ईसा मसीह की पूजा के लिए गिरजा घर जाते है इसलिए रविवार का दिन छुट्टी कब घोषित किया गया।
इन देशों में संडे की छुट्टी नहीं होती
कुछ मुस्लिम देश ऐसे भी हैं जो संडे की छुट्टी नहीं मनाते हैं वह शुक्रवार के दिन छुट्टी मनाते हैं क्योंकि उनके धर्म के अनुसार शुक्रवार का दिन एवा दत्त का दिन मनाया जाता है इस वजह से यहां पर शुक्रवार के दिन छुट्टी होती है हालांकि कुछ ऐसे मुस्लिम आज भी हैं जो रविवार की छुट्टी मनाते हैं।
FAQ
Ans : अंग्रेज के गवर्नर जनरल के आदेश पर सन 1843 में रविवार के दिन की छुट्टी की शुरुआत की गई।
Ans : भारत में संडे की छुट्टी 10 जून 1890 से लागू हुई।
Ans : रविवार का दूसरा नाम इतवार है।
Ans : इतवार का दूसरा नाम रविवार है।
Ans : भारत में संडे की छुट्टी नेता नारायण मेघाजी लोखंडे दिलवाई।
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