टी बी कैसे होती है? टी बी बीमारी के लक्षण क्या है?

बहुत से मरीजो को पता नहीं चल पता की टी बी कैसे होती है (T B Kaise Hota Hai)? टी बी बीमारी में मरीज बहुत ही कमजोर हो जाता है। टी बी या तपेदिक माइकोबेक्टीरिअम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक जीवाणु द्वारा होने वाला रोग है। यह बहुत ही घातक बीमारी है यदि टी बी बीमारी का पता सुरु में नहीं चल पता और या बीमारी ज्यादा फैल जाती है तो या बीमारी जानलेबा भी हो सकती है।

टी बी कैसे होती है

टी बी कैसे होती है
T B Kaise Hota Hai

टी बी फैलने का माध्यम (Mode of Transmission)

जीवाणु का अन्तः श्वसन (Inhalation) अन्तर्ग्रहण (Ingestion) एवं इंजेक्शन आदि के द्वारा रक्त में प्रवेश, जब संक्रमण फेफड़ों को सक्रमित करता है तो इसे फुप्फुसीय टी बी (T.B) या तपेदिक कहते हैं.

प्राथमिक टी बी (T.B) या तपेदिक (Primary Complex)

बच्चों में होने वाली तपेदिक को प्रायः प्रायमरी काम्प्लेक्स’, प्राथमिक तपेदिक या बाल्यकालीन तपेदिक कहते हैं.

फुप्फुसीय तपेदिक में फुप्फुसीय ऊतक का एक खंड या भाग तपेदिक पीड़ित हो जाता है एवं उस हिस्से या खंड की निकासी (Drainage) करने वाली लसिका ग्रंथियाँ (Lymph glands) भी प्रभावित हो जाती हैं.

प्रायमरी कॉम्प्लेक्स ठीक हो जाने के पश्चात जो प्रविकार (Lesion) शेष रहता है उसे गोन्स का प्रविकार (Ghon’s lesion) कहते हैं.

टी बी के लक्षण

  1. सांयकालीन ज्वर (Evening fever)
  2. वजन में कमी. क्षुधानाश एवं थकावट
  3. संक्रमण के स्थान से सम्बन्धित पीड़ा
  4. कफोत्सारण, बलगम उत्पन्न करने वाली खांसी
  5. रक्ताल्पता (Anaemia)

टी बी (T.B) या तपेदिक उपचार (Treatment)

T.B या तपेदिक रोधी औषधियों में से 3 द्वारा सामूहिक उपचार अधिक प्रभावी होता है. इस हेतु औषधियों का समूहन (Combination) निम्नानुसार किया जा सकता है –

  1. स्ट्रेप्टोमायसिन, आयसोनेक्स एवं पास (PAS)
  2. स्ट्रप्टोमायसिन, आयसोनेक्स एवं थायएसीटाजोन
  3. आपसोनेक्स, रिफाम्पिसीन एवं स्ट्रोप्टोमायसिन
  4. आपसोनेक्स, रिफाम्पिसीन एवं इथेमब्यूटाल

कुछ मरीजों को कार्टिकोस्टेरॉइड देना पड़ सकता है.

टी बी मरीज की देखभाल

  1. विसम्पर्कन (Isolation) संक्रमण फैलने से रोकने के लिए बच्चे को अलग रखें, उसे खासते. छींकते, खरखराते समय मुँह एवं नाक ढंकने की शिक्षा दीजिए उसके बर्तन अलग रखें. बलगम एक बर्तन में एकत्र करें और उसे (बलगम को) जला कर नष्ट कर दें. हाथ धोना, नाखून छोटे और साफ रखना नर्स एवं बच्चे दोनों के लिए बेहद जरूरी है.
  2. पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विश्राम प्रदान करें. उसे अपनी गतिविधियों को कम करना चाहिए. जैसे-जैसे अवस्था में सुधार हो गतिविधियाँ बढ़ाई जाती है.
  3. व्यक्तिगत आरोग्य दैनिक स्नान या स्पंज करना अत्यंत आवश्यक है. बालों को स्वच्छ एवं संवार कर रखें. नाखून कटे हुए एवं साफ हो मरीज़ का बिस्तर स्वच्छ रखें एवं चादर प्रतिदिन बदलें क्योंकि वे पसीने से ख़राब हो जाती हैं. मुख की आरोग्यकारी देखभाल (माऊथ वाश एवं कुल्ले) करें.
  4. आहार प्रोटीन समृद्ध, विटामिन सम्पन्न आहार जिसमें दूध, अड. फलों एवं सब्जियों की अधिकता हो

यह भी पढ़े – काली खांसी बीमारी क्या है? काली खांसी के लक्षण और उपचार क्या है?

अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Leave a Comment