Tag: हिंदी निबंध

हिन्दी निबन्ध, 9वी, 10वी, 12वी | विभिन्न पहलुओं पर हिन्दी में विशिष्ट निबन्ध की रचना – समसामयिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन, साहित्यिक, महान् व्यक्तित्व पर्व-त्यौहार, ऋतुएँ, सूक्ति-आधारित तथा अन्य विषय-वस्तु |
निबन्ध क्या है
साहित्य, ‘गद्य’ एवं ‘पद्म’ दो रूपों में लिखा जाता है। पद्य में छन्द, लय, अलंकार, रसविधान इत्यादि का ध्यान रखना पड़ता है, जबकि गद्य साहित्य का वह रूप है जिसमें इन नियमों के आधार पर लेखन की बाध्यता नहीं होती, बल्कि इसमें तथ्यों एवं विचारों को बोल-चाल की भाषा में प्रस्तुत किया जाता है। निबन्ध इसी गद्य साहित्य की एक विधा है। कहानी, नाटक, उपन्यास, आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रिपोर्ट इत्यादि गद्य के अन्तर्गत आने वाली लेखन की अन्य विधाएँ हैं, जिनमें कथावस्तु की प्रधानता होती है जबकि निबन्ध में कथावस्तु की नहीं बल्कि विषयवस्तु की भी प्रधानता होती है।
निबन्ध की परिभाषा
निबन्ध ‘नि’ और ‘बन्ध’ दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका तात्पर्य है-नियमों से बंधी हुई गद्य रचना या लेख | हिन्दी के शब्द ‘निबन्ध’ को अंग्रेजी के ‘Essay’ का पर्याय माना जाता है। अंग्रेजी के ‘Essay’ शब्द का अर्थ होता है विषय विशेष पर एक छोटा लेख । किन्तु, यह जरूरी नहीं कि किसी विषय पर लिखा गया कोई निबन्ध छोटा ही हो। एक सामान्य निबन्ध में शब्दों की संख्या 500 से 1000 तक हो सकती है। 1000 से 3000 शब्दों वाले निबन्ध ‘दीर्घ निबन्ध’ कहलाते हैं।
महत्त्व
मनुष्य अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा के मौखिक अथवा लिखित रूप का सहारा लेता है। विचारों को बोलकर व्यक्त करने को मौखिक अभिव्यक्ति कौशल एवं इन्हें लिखकर व्यक्त करने को लेखन कौशल कहा जाता है। इन्हीं अभिव्यक्ति कौशलों से मनुष्य के व्यक्तित्व की परीक्षा होती है।

यह आवश्यक नहीं कि जो व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति कौशल में माहिर हो, जैसा कि एक वक्ता होता है, वह किसी लेखक की तरह लेखन कौशल में भी माहिर हो। इसी तरह, एक अच्छा लेखक अच्छा वक्ता हो, यह भी आवश्यक नहीं, किन्तु सामान्य रूप से एक शिक्षित मनुष्य से यह आशा अवश्य की जा सकती है कि वह भले ही एक अच्छा वक्ता एवं लेखक न हो, पर मौखिक ही नहीं, लिखित रूप में भी अपने विचारों को भली-भाँति अवश्य अभिव्यक्त कर सकेगा।

किसी व्यक्ति के लेखन कौशल की जाँच के लिए सामान्यतः पत्र-लेखन एवं निबन्ध लेखन का ही सहारा लिया जाता है। पत्र लेखन से किसी विषय पर व्यक्ति की सोच की पूरी जाँच सम्भव नहीं है। जबकि निबन्ध लेखन द्वारा न केवल व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच एवं भावना का पता लगाया जाता है, बल्कि साथ ही साथ उसके लेखन कौशल की परीक्षा भी हो जाती है।

इस तरह निबन्ध के माध्यम से काफी हद तक किसी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जा सकता है। इसलिए निबन्ध को व्यक्ति की सोच व व्यक्तित्व का आईना भी कहा जाता है। इन सबके अतिरिक्त प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ साथ अकादमिक परीक्षाओं में भी बेहतर सफलता के दृष्टिकोण से निबन्ध लेखन अति महत्वपूर्ण है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति में अपने विचारों को क्रमबद्ध रूप में प्रकट करने की क्षमता विकसित होती है।
निबन्ध के प्रकार
रूप, शैली एवं विषयवस्तु के आधार पर निबन्ध कई प्रकार के होते हैं

वर्णनात्मक निबन्ध
विश्लेषणात्मक निबन्ध
भावनात्मक निबन्ध

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