ठंड में सीने का दर्द कई प्रकार से हो सकता है बस ध्यान रखे कुछ बाते?

सर्दियों के मौसम में सीने में दर्द के मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है। हालांकि ठंड में सीने का दर्द (Thand Me Sine Ka Dard) के कई कारण हो सकते हैं, ठंड के मौसम में होने वाले सीने के दर्द को मामूली दर्द ना समझे क्योंकि यह दर्द जानलेवा भी हो सकता है इसलिए हमें लापरवाही बिलकुल नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि सीने में दर्द कई प्रकार से हो सकता है। पर इस तरह के दर्द के दो मुख्य कारण हैं।

ठंड में सीने का दर्द (Thand Me Sine Ka Dard)

ठंड में सीने का दर्द

ठंड में सीने का दर्द (Thand Me Sine Ka Dard)

पहला, मांसपेशियों व पसलियों के दर्द के कारण भी यह शिकायत पकड़ सकती है। दूसरा, एंजाइना या फिर अन्य हृदय रोगों के कारण भी ऐसा संभव है। पसलियों व मांसपेशियों का दर्द होना कोई गंभीर शिकायत नहीं है। इसके विपरीत एंजाइना व हृदय रोगों के कारण होने वाला दर्द एक गंभीर शिकायत है।

ध्यान देने वाली बातें

  • मांसपेशियों व पसलियों में दर्द प्रायः ठंड लगने के कारण होता है। इसके अलावा ठंड में टेढ़े-मेढ़े सिकुड़ कर सोने से भी सीने में दर्द की शिकायत पकड़ सकती है।
  • कई बार एक खास प्रकार के वायरल फीवर (विषाणुजनित बुखार) के कारण भी सीने में दर्द की शिकायत हो सकती है। ऐसा दर्द दिन भर बना रहता है।
  • एंजाइना अथवा दिल के दौरे (हार्ट अटैक) का दर्द कुछ मिनटों का ही होता है:- 5 मिनट से आधा घंटा। एंजाइना या दिल का दौरा पड़ने पर होने वाला दर्द कभी भी आधे घंटे से ज्यादा नहीं होता।
  • सीने के कुछ दर्द तो प्रायः आराम करने पर ठीक हो जाते हैं। इसके बावजूद मांसपेशियों या पसलियों का दर्द और आर्थराइटिस या स्पोंडिलाइटिस का दर्द आराम करने के बाद भी बरकरार रह सकता है। यह दर्द लेटे-लेटे भी हो सकता है।
  • यदि हृदय रोगो के कारण सीने में दर्द हो, तो इस स्थिति में मरीज को बेहद बेचैनी महसूस होती है। उसे सर्दियों के मौसम में भी पसीना आ सकता है और उल्टी भी हो सकती है। अन्य तरह के दर्द में ये सब शिकायतें नहीं होतीं।
  • हृदय (हार्ट) का दर्द अधिकतर सीने के मध्य से शुरू होकर दोनों तरफ फैलता है। इसके विपरीत अन्य प्रकार के दर्द सीने में कहीं से भी शुरू हो सकते हैं।

सुझाव

  • पसलियों के दर्द के उपचार में चिकित्सक दर्द निवारक दवाएं और मलहम लगाने का परामर्श देते हैं।
  • हार्ट के दर्द के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा ही समुचित इलाज संभव है।

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