उपसर्ग किसे कहते हैं :- जो शब्दांश शब्दों के आदि में जोड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं वह उपसर्ग (Upsarg Kise Kahate Hain) कहलाते हैं। उपसर्ग दो शब्दों उप + सर्ग से मिलकर बना है, जिसमें उप का अर्थ है समीप तथा सर्ग का अर्थ है सृष्टि करना अर्थात् किसी शब्द के समीप आकर नया शब्द बनाना। उपसर्ग (Upsarg Kise Kahate Hain) क्या होता है उदाहरण सहित लिखिए? हिंदी में कितने उपसर्ग हैं?
उपसर्ग किसे कहते हैं
Upsarg Kise Kahate Hain
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उपसर्ग की परिभाषा
परिभाषा- वे शब्दांश, जो मूल शब्द के पहले लगकर उनके अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देते हैं, अर्थात् उनके मूल रुप में परिवर्तन कर देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे- हार शब्द का अर्थ है पराजय, परन्तु यदि शब्द के आगे प्र उपसर्ग लगा दिया जाए तो नया शब्द प्रहार बन जाएगा जिसका अर्थ होता है चोट करना।
उपसर्ग कितने प्रकार के होते हैं
हिन्दी के उपसर्ग
संस्कृत भाषा के उपसर्ग
उर्दू, अरबी-फारसी उपसर्ग
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1. हिन्दी के उपसर्ग
हिन्दी के उपसर्गों की संख्या 10 है।
अ/अन – अभाव के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अगम्य अ + गम्य अधर्म अ + धर्म
उपसर्ग किसे कहते हैं
अध- (आधा के अर्थ में) । जैसे-
शब्द उपसर्ग अधखिला अध + खिला अधमरा अध + मरा
उन- ( एक कम के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग उनतीस उन + तीसा उनसठ उन + सठ
औ (अव) – (हीनता के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग औघड़ औ + घड़ औगुण औ + गुन
क/कु – (बुरा या बुराई के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग कुपात्र कु + पात्र कुख्यात कु + ख्यात
भर – (भरा हुआ या पूरा के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग भरपेट भर + पेट भरमार भर + मार
नि – (रहित, निषेध के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग निधड़क नि + धड़क निकम्मा नि + कम्मा
दु (कम, हीन के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग दुबला दु + बला दुकाल दु + काल
बिन – (रहित के अर्थ में) । जैसे-
शब्द उपसर्ग बिनब्याहा बिन + ब्याहा
सु/स – (सहित, अच्छा के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग सुसंगठित सु + संगठित सुडौल सु + डौल
2. संस्कृत भाषा के उपसर्ग
संस्कृत भाषा के उपसर्गों की संख्या 22 है।
प्रति – इसका प्रयोग ‘विरोध’, ‘सामने’, ‘बराबरी, ‘ हर एक (प्रत्येक) आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग प्रत्येक = प्रति + एक सु + संगठित प्रतिध्वनि = प्रति + ध्वनि सु + डौल
प्र – इसका प्रयोग ‘अधिक’, ‘आगे’, विशेष, मुख्य आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग प्रख्यात = प्र + ख्यात सु + संगठित प्रमाण = प्र + मान सु + डौल
दुर/दुस् – इसका प्रयोग बुरा, कठिन, दुष्ट, हीन आदि के लिए होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग दुरात्मा = दुर् + आत्मा सु + संगठित दुर्गति = दुर् + गति सु + डौल
सम् – इसका प्रयोग अच्छी तरह, समान, संयोग, पूर्णता आदि के लिए होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग संहार = सम् + हार सु + संगठित संशय = सम् + शय सु + डौल
निर्/निस् – इसका प्रयोग रहित, निषेध, बिना आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग निर्वसन निर् + वसन निर्गुण निर् + गुण
अधि – इसका प्रयोग ऊँचे, सामीप्य या श्रेष्ठ आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अध्यक्ष अधि + अक्ष अध्यादेश अधि + आदेश
अति – इसका प्रयोग अधिक, ऊपर, अधिकार, स्वार्थ आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अत्युक्ति अति + उक्ति अत्यन्त अति + अन्त
अनु – इसका प्रयोग ‘पीछे’, ‘बाद में’, समान, गौण, आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अनुज अनु + ज अनुपात अनु + पात
आ – इसका प्रयोग ‘तक’, ओर, समेत, विपरीत (उल्टा) आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग आजन्म आ + जन्म आमरण आ + मरण
अप – इसका प्रयोग अभाव, हीनता, अनुचित या बुराई के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अपभ्रंश अप + भ्रंश अपयश अप + यश
अभि – इसका प्रयोग सामने, चारों ओर, पास आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अभ्यागत अभि + आगत अभ्यास अभि- आसौल
उत्/उद् – इसका प्रयोग ‘ऊँचा’, ‘श्रेष्ठ’, ‘ऊपर’ के अर्थ में किया जाता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग उद्घाटन उत् + घाटन उल्लास उत् + लास
सु – इसका प्रयोग अच्छा, सुन्दर, सहज, सुखी आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग स्वागत सु + आगत सुगम सु + गम
नि – इसका प्रयोग निषेध, नीचे, अधिकता (अतिरिक्त) आदि के अर्थ में किया जाता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग निकृष्ट नि + कृष्ट नियुक्ति नि + युक्ति
परि – इसका प्रयोग चारों ओर, अतिशय, पूर्ण आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग पर्यावरण परि + आवरण परीक्षा परि + ईक्षा
परा – इसका प्रयोग विपरीत (उल्टा), अनादर, पीछे आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग पराजय परा + जय परामर्श परा + मर्श
अव – इसका प्रयोग पतन, बुरा, हीन आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अवमूल्यन अव + मूल्यन अवज्ञा अव + ज्ञा
वि – इसका प्रयोग विशेषता, भिन्नता, या अभाव के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग व्युत्पत्ति वि + उत्पत्ति व्यर्थ वि + अर्थ
उप – इसका प्रयोग समीप, छोटा, समान, सहायक, गौण आदि के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग उपकरण उप + करण उपकार उप + कार
संस्कृत के अन्य उपसर्ग
सत् – इसका प्रयोग श्रेष्ठ, सच्चा, अच्छा के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग सज्जन सत् + जन सच्छास्त्र सत् + शास्त्र
प्राक्/प्राग – पहले के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग प्राक्कथन प्राक् + कथन प्रागैतिहासिक प्राक् + ऐतिहासिक
अलम् – बहुत के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अलंकार अलम् + कार अलंकृत अलम् + कृत
प्रादुर् – इसका प्रयोग प्रकट होने के अर्थ में होता है। जैसे-
शब्द उपसर्ग अलंकृत अलम् + कृत
3. उर्दू, अरबी-फारसी उपसर्ग
1.अल – (निश्चित, ठीक या पूरा के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग अलबत्ता अल + बत्ता अलमस्त अल + मस्त
हर – (प्रत्येक के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग हररोज हर रोज हरसाल हर साल
कम – (थोड़ा, हीन के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग कमअक्ल कम + अक्ल कमबख्त कम + बख्त
गैर – ( भिन्न, विरुद्ध के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग गैरहाजिर गैर + हाजिर गैरसरकारी गैर + सरकारी
हम (साथ, समान के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग हमशक्ल हम + शक्ल हमदर्द हम + दर्द
बद – (बुरा के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग बदकिस्मत बद + किस्मत बदमाश बद + माश
बे – (अभाव के अर्थ में) । जैसे-
शब्द उपसर्ग बेइज्जत बे + इज्जत बेइमान बे + इमान
बर – (ऊपर, पर और बाहर के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग बरखास्त बर + खास्त बरदास्त बर + दास्त
खुश – (अच्छा, के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग खुशखबरी खुश + खबरी खुशकिस्मत खुश + किस्मत
ना – (अभाव, नहीं के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग नाराज ना + राज नालायक ना + लायक
ला – (बिना, अभाव के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग लाचार ला + चार लावारिश ला + वारिश
दर – (‘में’ के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग दरअसल दर + असल दरमियान दर + मियान
बिल – (साथ के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग बिलकुल बिल + कुल
बिला – (‘बिना’ के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग बिलाशक बिला + शक
ब – (साथ के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग बनाम ब + नाम बदौलत ब + दौलतडौल
बा – (सहित के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग बाकायदा बा + कायदा बाइज्जत बा + इज्जत
ऐन – (पूरा, ठीक के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग ऐनमौका ऐन + मौका ऐनवक्त ऐन + वक्त
सर – (मुख्य के अर्थ में)। जैसे-
शब्द उपसर्ग सरताज सर + ताज सरनाम सर + नाम
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