क्या आप वसीयतनामा के बारे में जानकारी लेना चाहते है तो सबसे पहले आपको यह जानना होगा की वसीयतनामा क्या होता है (Vasiyatnama Kya Hota Hai) और क्या वसीयत टूट सकती है यदि हाँ तो वसीयतनामा कैसे लिखी जाती है की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। कुछ लोग वसीयत पहले ही बनाना चाहते है आपको पता होना चाहिए की वसीयत कैसे करते हैं, वसीयतनामा का क्या अर्थ है, वसीयतनामा कैसे तैयार किया जाता है और वसीयतनामा के नियम तथा इसके लाभ क्या है। क्या आप जानना चाहते है की पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है या नहीं। यदि आप वसीयत के उत्तराधिकार है तो उत्तराधिकार और वसीयत के कानून और उसकी पंजीकृत वसीयत की वैधता क्या है।
वसीयतनामा क्या होता है

क्या होती है वसीयतनामा
वसीयतनामा एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किसी एक या एक से अधिक व्यक्ति का नाम लिखा गया होता है। इस दुनिया से जाने के बाद कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति किसे देना चाहता है और अपनी संपत्ति को कितने हिस्सों में बांटना चाहता है? इसके लिए वह अपने जीवित समय में ही वकील की मदद से कानूनी दस्तावेज तैयार करवाता है जिसे वसीयतनामा कहते हैं।
वसीयत पर जिस व्यक्ति का नाम होता है वह वसीयत कराने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके व्यवसाय और प्रॉपर्टी का उत्तराधिकारी माना जाता है। वसीयतनामा तैयार करवाने वाला व्यक्ति अपनी मर्जी के अनुसार अपने जीवन समय में वसीयत का नाम बदल सकता है।
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क्या वसीयत करना जरूरी होता है?
वसीयत तैयार कराना बहुत जरूरी होता है क्योंकि यह कानूनी दस्तावेज व्यक्ति की मृत्यु के बाद की प्रॉपर्टी और छोड़ी गई संपत्ति का सबूत होता है। यह वसीयत मृत व्यक्ति के परिवार और संतानों के बीच झगड़ा होने से बचा सकता है। अगर कोई मृत व्यक्ति अपने धन-संपत्ति को अपने संतान के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी देना चाहता है तब ऐसी परिस्थिति में उस वसीयत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
वसीयत कौन कराता है?
कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसके पास अपनी कमाई धन संपत्ति है वह वसीयत करा सकता है। वसीयत कराने के लिए यह जरूरी है कि वह व्यक्ति बिल्कुल दिमागी और शारीरिक रूप से स्वस्थ और दुरुस्त हो।
ऐसा व्यक्ति जो अंधा बहरा हो वह भी अपनी वसीयत इस शर्त पर बना सकते हैं कि वह अपने काम के परिणाम और उनके कानूनी परिणाम को अच्छे से समझता हो। देखा जाए तो एक सामान्य रूप से पागल व्यक्ति की वसीयत तैयार कर सकता है।
लेकिन वह ऐसा तब कर सकता है जब वह व्यक्ति अपनी बुद्धि से सोचने योग्य हो जाए। अगर कोई व्यक्ति यह नहीं जान सकता या समझ सकता कि वह क्या करने जा रहा है तो वह अपनी वसीयत तैयार नहीं करवा सकता।
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वसीयत का पंजीकरण कैसे होता है?
किसी भी वसीयत को एक सादे सफेद कागज पर तैयार किया जा सकता है। लेकिन वसीयत की वास्तविकता पर किसी तरह के संदेह से बचने के लिए इस कागज को रजिस्टर्ड करवा सकते हैं।
वसीयत को रजिस्टर्ड करवाने के लिए उसे सब रजिस्ट्रार के कार्यालय में गवाहों के साथ जाना होगा। अलग-अलग जिलों में रजिस्ट्रार होते हैं जो किसी भी वसीयत को रजिस्टर्ड करने मैं मदद कराते हैं। रजिस्टर्ड करवाने के बाद यह वसीयत एक शक्तिशाली कानूनी प्रमाण माना जाता है।
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वसीयत कितने प्रकार की होती है?
वसीयत दो प्रकार की होती है पहली वसीयत विशेषाधिकार युक्त और दूसरी होती है विशेषाधिकार रहित वसीयत।
- विशेषाधिकार युक्त वसीयत कौन कराता है :- विशेषाधिकार युक्त वसीयत को सिपाहियों, नौसैनिकों और वायु सैनिकों द्वारा तैयार किया जाता है यूपी में या साहसिक यात्राओं पर गए हुए होते हैं। यह एक अनौपचारिक वसीयत होती है। यह वसीयत मौखिक रूप या लिखित रूप में उन लोगों द्वारा करवाया जाता है जो अपनी जान को खतरे में डालने जा रहे हैं। इसे लोगों द्वारा एक अल्प समय के नोटिस द्वारा तैयार किया जाता है।
- विशेषाधिकार रहित वसीयत कौन कराता है :- अन्य वसीयत को बिना विशेष अधिकार या विशेषाधिकार रोहित वसीयत कहा गया है। इस वसीयत को बनाने में किसी प्रकार की औपचारिकता को पूरा करने की जरूरत होती है।
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वसीयत कितनी सुरक्षित होती है?
वसीयत को सुरक्षित रखने का प्रावधान भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 में है। इसमें वसीयतकर्ता और उसके एजेंट का नाम सीलबंद के साथ किसी भी रजिस्ट्रार के पास जमा कराया जा सकता है। वसीयत को अपनी इच्छा अनुसार या बिना इच्छा के विखंडन किया जा सकता है।
कानूनी प्रक्रिया द्वारा बिना इच्छा के विखंडन हो सकता है और यदि वसीयत करता शादी कर लेता है तो अपने आप उसकी वसीयत विखंडित हो जाती है। ना केवल पहली बार शादी से बल्कि उसके बाद भी किए जाने वाली अन्य शादी से भी विखंडन हो सकता है।
अपनी इच्छा अनुसार वसीयत कर्ता कितने बार भी वसीयत बदल सकता है लेकिन जो वसीयत मृत्यु से पहले तैयार की गई हो वह अंतिम वसीयत का मान होता है।
वसीयत लिखना कानूनी तौर पर एक बुद्धिमानी का काम होता है क्योंकि इसमें आपकी धन और संपत्ति आपकी इच्छा के अनुसार वसीयत करता के वारिसों में बांटी जाती है। अगर आप भी अपनी वसीयत लिखने के बारे में सोच रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:-
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वसीयत लिखने की सही उम्र क्या है?
कानूनी तौर पर वसीयत लिखने का कोई निर्धारित उम्र नहीं होता है। यदि वह व्यक्ति दिमाग से दुरुस्त हो, जो धोखाधड़ी , बलात्कार और अवैध प्रभाव से मुक्त हो और उसकी उम्र 21 साल से अधिक हो।
तो वह व्यक्ति अपनी वसीयत अपनी इच्छा अनुसार लिख सकता है। भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए व्यक्ति अपने कम उम्र में भी वसीयत लिख सकता है जब उसके सभी अंग ठीक से काम कर रहे हो।
वसीयत टाइप करवाना जरूरी होता है?
कानूनी तौर पर दोनों तरह की-लिखित और टाइप वसीयत स्वीकृत होती है। किसी भी वसीयत को लिखने के लिए वकील का होना जरूरी भी नहीं होता और इसके लिए कोई निश्चित प्रारूप भी तय नहीं की गई है।
लेकिन अगर वकील की मदद ली जाए तो किसी प्रकार की गलतफहमी या धोखाधड़ी की आशंका कम हो सकती है और इसके साथ ही अदालत में इस वसीयत को अवैध होने का दावा भी किया जाने की आशंका कम हो सकती है।
रजिस्ट्रेशन ,तारीख और गवाह का क्या महत्व होता है?
तैयार की गई किसी भी वसीयत को रजिस्टर कराना जरूरी नहीं होता है लेकिन अगर आप किसी भी धोखाधड़ी या छेड़छाड़ से बचने के लिए अपनी वसीयत को रजिस्टर करा लेंगे तो यह एक बेहतर निर्णय होगा।
वसीयत को रजिस्टर कराने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है जिसके लिए आपको एक निर्धारित फीस रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार के पास जमा करके अपनी वसीयत रजिस्टर करा सकते हैं जिसके लिए आपको दो गवाहों के साथ उपस्थित होना पड़ता है।
लेकिन यह दोनों गवाह वसीयत के लाभार्थी नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही वह दोनों विश्वास नहीं है और भरोसेमंद भी होना चाहिए। वसीयत में तारीख का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इससे कानून की नजर में पता चलता है कि यह वसीयत कब की बनाई गई है।
क्या वसीयत को अपडेट किया जाता है?
समय-समय पर वसीयत कर्ता को अपनी वसीयत को पढ़ना चाहिए। इसके साथ ही उसे अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के अनुसार उसे अपडेट भी करते रहना चाहिए। क्योंकि अगर आपने वसीयत बनाने के बाद कोई संपत्ति या कोई शेयर खरीदा है तो पुरानी वसीयत को दोबारा उसी हिसाब से अपडेट करना चाहिए और साथ ही अपडेट कराने की तारीख डालें।
वसीयत पर हस्ताक्षर और नाम का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
वसीयत पर दिए गए लाभार्थियों का कानूनी नाम, उनकी जन्मतिथि ,डाक पता साफ और स्पष्ट लिखना चाहिए। वसीयत लिखने वाले व्यक्ति पर भी यह नियम लागू होता है इसलिए कभी भी वसीयत में पुकारने वाला नाम या संक्षिप्त नाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
उसी तरह वसीयत पर किए जाने वाले हस्ताक्षर संक्षेप में ना होकर संपूर्ण रुप में होना चाहिए और गवाह पर भी यह नियम लागू होता है उन्हें भी अपना पूरा हस्ताक्षर करना चाहिए साथ में यह भी सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि उनके हस्ताक्षर के ठीक सामने उनका नाम और विवरण का उल्लेख हो।
वसीयत का निश्चित पर आरोप होना अनिवार्य नहीं होता लेकिन अगर आपको किसी फेरबदल, धोखाधड़ी या वसीयत की अदला बदली से बचना हो तो आपके लिए यह जरूरी होता है कि आप अपनी वसीयत को सुनिश्चित करें और सभी पृष्ठों को क्रम के अनुसार (Serial Number Wise) अंकित करें। हर एक पृष्ठ पर अपने और अपने गवाहों का नाम और हस्ताक्षर होना चाहिए। वसीयतनामा क्या होता है (Vasiyatnama Kya Hota Hai)
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