यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो क्या करता निबंध? यदि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊँ पर निबंध?

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो क्या करता निबंध:- ‘यदि मैं प्रधानमन्त्री बन जाऊँ?’ कैसी मधुर कल्पना है? कितनी उत्तम महत्त्वाकाँक्षा है! भारत के प्रधानमन्त्री (Yadi Me Pradhanmantri Hota To Kya Karta Nibandh) का पद गौरवपूर्ण और उत्तरदायित्वपूर्ण है। क्या मैं प्रधानमंत्री बन सकता हूँ? क्यों नहीं? प्रजातन्त्र है। यहाँ कोई भी उच्च से उच्च पद प्राप्त कर सकता है। जब कल्पना ही नहीं, स्वप्न ही नहीं, तो उसको साकार करने की इच्छा कैसे जागेगी? यदि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊँ तो अवश्य ही कुछ चमत्कार करके दिखा दूँ।

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो क्या करता निबंध

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो क्या करता निबंध

राष्ट्रीय सरकार का निर्माण

आज देश की जो राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति है; देश जो अनेक समस्याओं के घेरे में पड़ा छटपटा रहा है; तब मैं विचार कर रहा हूँ कि यह शुभ अवसर मुझे मिलना ही चाहिए। प्रधानमंत्री बनने पर मैं सर्वप्रथम देश के सभी राजनीतिक दलों का सम्मेलन बुलाकर उन्हें सब प्रकार के मतभेद छोड़ देश के विकास में पूर्ण सहयोग देने को प्रेरित करूंगा।

यदि वे मेरी बात को मान लेते हैं तो मैं विपक्षियों में से श्रेष्ठ विचार व प्रशासन क्षमता रखने वाले व्यक्तियों को अपने मंत्रिमण्डल में सम्मिलित कर लूँगा। इस प्रकार की सरकार होने से एक तो परस्पर कन्धे से कन्धा मिलाकर देश के निर्माण व विकास में योग देंगे और आये दिन विरोधी दलों की ओर से आयोजित होने वाले प्रदर्शनों, व हड़तालों’ ‘दंगों’ से राष्ट्र को छुटकारा मिल जायेगा तथा राष्ट्र को अनुभवी लोगों का योग मिल सकेगा।

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नई योजना का निर्माण

आज देश में महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी और आवश्यक वस्तुओं के अभाव की समस्या भयंकर रूप धारण कर चुकी है। इन सबका एक ही कारण है, उत्पादन की कमी। मैं इसके लिए उत्पादन की तात्कालिक योजना बनाऊँगा। अन्नोत्पादन को प्राथमिकता देकर किसानों को इतनी सुविधा दूँगा कि वे अधिक से अधिक अन्न उत्पादन करें। साथ ही मैं उन्हें अधिक साग, फल और दुग्ध उत्पादन के लिए भी प्रेरित करूंगा। जिससे देशवासियों को आहार की कमी न रहे। इनके साथ ही मैं लघु और कुटीरोद्योगों को प्राथमिकता दूंगा, ताकि एक ओर अधिक से अधिक लोग कार्य पर लगें और दूसरी ओर आवश्यक वस्तुओं का अभाव दूर हो जाए और सबको रोजगार के अवसर भी मिलें।

ऊर्जा-शक्ति की खोज

देश में कल-कारखानों को चलाने के लिए, छोटे या बड़े उद्योग-धन्धों को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह पैट्रोलियम व कोयले से मिलती है। मैं देश में पैट्रोलियम की खोज की गति तीव्र कर दूंगा तथा खानों से अधिक से अधिक मात्रा में कोयला निकालने की व्यवस्था करूँगा। साथ ही ऊर्जा के अन्य स्रोत परमाणु, सूर्य, गोबर-गैस आदि की शक्ति का भी अनुसंधान तीव्र गति से करवाऊँगा।

इसके साथ ही प्रदूषण की रोकथाम के लिए तथा पर्यावरण की शुद्धि के लिए वृक्षारोपण को अनिवार्य करूँगा। इससे पर्यावरण की शुद्धि के साथ ही वनों का विकास होगा। वृक्षों का अधिकता से भूमि का क्षरण रुकेगा और ईंधन, इमारती लकड़ी, ओषधियाँ (वनस्पत्तियाँ) भी प्राप्त होंगी।

हड़तालों पर प्रतिबन्ध

देश में उत्पादन को आये दिन होने वाले ‘प्रदर्शनों’, ‘हड़तालों’ व ‘बन्दों’ से भी धक्का लगता है। मैं दृढ़तापूर्वक हड़तालों को समाप्त करके अगले पाँच वर्ष के लिए इन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दूँगा। साथ ही श्रमिकों में असन्तोष फैलाने वाले छोटे-मोटे कारणों का समाधान तुरन्त कर दूँगा। इसी प्रकार किसी भी मिल-मालिक और फैक्ट्री मालिक को भी उद्योग में तालाबन्दी न करने दूँगा।

समान नागरिक संहिता

आज देश का कानून ओर विधान ऐसा है कि लोगों में वर्ग-भेद और जाति-भेद बढ़ रहा है। यदि मैं प्रधानमन्त्री बना तो समाज के सभी वर्गों के लिए समान नागरिक संहिता बनवाऊँगा। किसी के लिए आरक्षण की अलग व्यवस्था न होकर सबको उनकी योग्यता के अनुसार काम की सुविधा दिलवाऊँगा। साथ ही वोटों की राजनीति के कारण अल्प संख्यकों के तुष्टीकरण का प्रयत्न नहीं करूँगा। मेरा प्रयास होगा कि सभी नागरिक अपने को भारत माता की सन्तान मान कर उसकी सेवा के लिए प्रवृत्त हो।

शिक्षा-पद्धति का पुनर्गठन

देश में आज अर्थाभाव से अधिक अभाव चरित्र का है। चरित्र के निर्माण में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योग होता है। मैं शिक्षा पद्धति का पुनर्गठन कर एक ओर उसे जीविकोपार्जन से सम्बद्ध करूँगा और दूसरी ओर उसे छात्रों में चरित्र व नैतिक भावनाओं को जागृत करने वाला बनाऊँगा। उनमें अपनी संस्कृति, सभ्यता और गौरवपूर्ण अतीत का अनुराग उत्पन्न हो, ऐसे अनुसंधान विभाग खुलवाऊँगा, जहाँ छात्र शिल्प, प्रविधि (टेक्नोलोजी) और विज्ञान सम्बन्धी अन्वेषण अधिक करें, जिससे देश को खनिज सम्पदा व ऊर्जा शक्ति प्राप्त हो और अन्न आदि के उत्पादन में वृद्धि हो। देश नई टैक्नोलोजी के लिए अन्य राष्ट्रों पर आश्रित न हो ।

सेना की सुदृढ़ता

मैं देश की सुरक्षा के लिए सेना के तीनों अंगों को नये-नये आयुधों तथा आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित करूँगा और उन्हें विभिन्न प्रकार की जलवायु में रहने का पूर्ण अभ्यस्त कराऊँगा, ताकि वे सुदृढ़ बनकर, शत्रुओं का अभिमान चूर्ण कर सके। इसके साथ ही मैं स्कूलों व कालिजों में सैनिक शिक्षा को अनिवार्य कर दूँगा। ताकि संकट आने पर नियमित सैनिकों के साथ ही प्रशिक्षित छात्र तथा नागरिक भी युद्ध का मोर्चा सम्भाल सकें।

विदेश नीति

मेरी विदेश नीति भी अपने देश के हितों को सामने रखकर अधिक से अधिक शांतिपूर्ण व सहयोग की होगी। मैं ऐसा प्रयत्न करूंगा कि विश्व के सभी समृद्ध राष्ट्र हमारे मित्र बनें; हमें विकास के लिए सहयोग दें, किन्तु कोई हम पर किसी भी प्रकार का दबाव न डाले। विश्व के विशेष कर एशिया के अविकसित राष्ट्रों को मित्र बनाकर यथासम्भव उनके विकास में योगदान करने की इच्छा मेरी रहेगी।

उपसंहार

मैं देशवासियों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रति प्यार को जगाऊँगा, ताकि वे अपनी भाषा, बेश-भूषा तथा संस्कारों का आदर करें और उन्हें अपनाएँ। यदि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊँ तो भारतीय संस्कृति की ध्वजा संर्वत्र फैलाता हुआ अपने राष्ट्र को पूर्ण समृद्धि के पथ पर ले जाऊँगा और उसे पुनः विश्व गुरु के सम्मानपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित करवाऊँगा।

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