यात्रा का शुभ दिन कब होता है दिशा शूल चार्ट (Disha Shool Chart in Hindi) और किस दिन किस दिशा में जाना चाहिए हमें इस बारे में पता नहीं होता है। हर व्यक्ति किसी न किसी कारण से यात्रा (Yatra Ka Shubh Din) करता है यह यात्रा कभी-कभी छोटी होती है तो कभी-कभी लंबी भी हो जाती है। हर कोई सुखद यात्रा करना चाहते हैं। यात्रा करने के कई कारण होते हैं जैसे धार्मिक कार्य के लिए, मांगलिक कार्य, व्यापार महत्वपूर्ण खरीदारी, पढ़ाई, नौकरी, घूमना फिरना इत्यादि। इसलिए किस दिन किस दिशा में यात्रा करनी चाहिए यह जानना बहुत ही जरूरी है। देखें दिशाशूल चार्ट।
यात्रा का शुभ दिन

यात्रा का शुभ दिन
यह यात्रा कभी बहुत सुख में होती है तो कभी कष्टदायक या फिर असफलता से भरी होती है। इसी कारणवश यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम दिशाशूल के विषय में अच्छे से जान लें। हमने यह भी देखा होगा कि कई बार हमारे बड़े बुजुर्ग किसी तिथि या दिन को देखकर परिवार वालों को आने-जाने पर रोक टोक करते थे। आजकल की युवा पीढ़ी भले ही दिशाशूल जैसे विषय को आउटडेटेड माने लेकिन यह एक सत्य कथन है कि हमें कभी भी यात्रा के पूर्व दिशाशूल के बारे में ज्ञात होना चाहिए।
दिशा शूल क्या होता है
हमारे बड़े बुजुर्ग ने यह बताया है कि दिशाशूल वह दिशा होती है जिस तरफ यात्रा करने से परहेज करना चाहिए। हर दिन किसी न किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल अवश्य होता है। अगर हम दिशाशूल वाली दिशा में यात्रा करते हैं तो जिस कार्य के लिए यात्रा कर रहे हैं वह कार्य में असफलता मिलेगी या फिर वह यात्रा दुखमय होगी।
दिशा कितनी होती है
हम सब ने अपने स्कूल के समय में यह पढ़ा है कि दिशा चार होती है लेकिन जब हम उच्च शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं तो हमें यह बताया जाता है कि दिशाएं वास्तव में 10 होती हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी 10 दिशाओं का वर्णन किया गया है। और इसके हिसाब से यह बताया गया है कि प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं।
S.No | दिशा |
---|---|
1. | पूर्व |
2. | पश्चिम |
3. | उत्तर |
4. | दक्षिण |
5. | उत्तर – पूर्व |
6. | उत्तर- पश्चिम |
7. | दक्षिण -पूर्व |
8. | दक्षिण- पश्चिम |
9. | आकाश |
10. | पाताल |
प्राचीन काल से यह कहावत चली आ रही है
सोम शनिचर पूर्व न चालू। मंगल बुध उत्तर दिशा कालू।
रवि शुक्र जो पश्चिम जाए। हनी होए पथ सुख नहीं पाये।
बीफे दक्षिण करे जो यात्रा। फिर समझो उसे कभी लौट के ना आना।
अर्थ: संस्कृत में कहे गए इस कहावत का अर्थ है सोमवार, शनिवार को पूर्व तथा मंगल और बुध को उत्तर दिशा में कभी भी यात्रा नहीं करनी चाहिए। रविवार शुक्रवार को पश्चिम तथा बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा में यात्रा भूलकर ना करें। यात्रा करने से पहले इन सभी दिनों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
किस दिन किस दिशा की ओर (दिशा शूल चार्ट) यात्रा नहीं करनी चाहिए
दिन | दिशा |
---|---|
सोमवार और शुक्रवार | पूर्व दिशा |
रविवार और शुक्रवार | पश्चिम दिशा |
मंगलवार और बुधवार | उत्तर दिशा |
गुरुवार | दक्षिण दिशा |
सोमवार और गुरुवार | दक्षिण – पूर्व दिशा |
रविवार और शुक्रवार | दक्षिण – पश्चिम दिशा |
मंगलवार | उत्तर – पश्चिम दिशा |
बुधवार और शनिवार | उत्तर – पूर्व दिशा |
नोट- अगर किसी व्यक्ति को एक ही दिन में यात्रा करके उसी दिन वापस लौट आना है तो ऐसी परिस्थिति में दिशाशूल पर विचार नहीं किया जाता है।
दिशाशूल के उपाय (Disha shool ke upay)
अगर किसी व्यक्ति को कोई बहुत आवश्यक कार्य है और उसे उसी दिशा में यात्रा करनी है जिस दिन वहां दिशाशूल होगा तो वह व्यक्ति नीचे दिए गए दिशाशूल उपाय अपनाकर यात्रा कर सकता है-
- रविवार के दिन – दलिया और घी खाकर
- सोमवार के दिन दर्पण देखकर या पुष्प खाकर
- मंगलवार के दिन गुड़ खाकर
- बुधवार के दिन तेल और धनिया खाकर
- गुरुवार के दिन दही खाकर या जीरा खा कर
- शुक्रवार के दिन जो खाकर
- शनिवार के दिन अदरक अथवा उड़द की दाल या तिल खाकर
दिशाशूल के समय यात्रा करने के दौरान उपाय अपनाकर यात्रा कर सकते हैं। घर से निकलने से पहले 5 कदम पीछे चले। अगर साधारण यात्रा है तो दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता लेकिन अगर कोई व्यक्ति के जीवन का कोई बहुत महत्वपूर्ण कार्य है तो उसे अपनी यात्रा दिशाशूल के माध्यम से तय करनी चाहिए जिससे कि वह आने वाली बाधाओं से बच सके। हम आशा करते हैं कि ऊपर दिए गए जानकारी से आप सबकी यात्रा सुखद और मंगलमय हो। और इसका लाभ उठाकर आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें।
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