योगासन करने के क्या नियम है, योगासन के इन 27 नियमों का करें पालन

शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक संस्कृति के रूप में योगासनों का इतिहास समय की अनन्त गहराइयों में छिपा हुआ है। योगासन करने के क्या नियम है मानव जाति के प्राचीनतम साहित्य वेदों में इनका उल्लेख मिलता है। ऐतिहासिक प्रमाण के आधार पर यह कहा जाता है कि योगासनों के प्रथम व्याख्याकार महान योगी गोरखनाथ जी थे। यद्यपि इनके समय में योग विज्ञान लोगों में अधिक लोकप्रिय नहीं था। पर, इस युग में योग सारे संसार में फैल रहा है। इसका ज्ञान अब हर एक की सम्पत्ति बन रहा है। आज डॉक्टर, और वैज्ञानिक भी योग के अभ्यास की सलाह देते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि वैज्ञानिक शोधों से यह सिद्ध हो गया है कि योग रोग उपचार की एक प्राकृतिक प्रभावशाली निरापद प्रणाली है।

योगासन करने के क्या नियम है

योगासन करने के क्या नियम है

शताब्दियों से इन आसनों के रूप में परिवर्तन एवं सुधार होता रहा है। सामान्य रूप से आधुनिक व्यक्ति के लिये केवल तीस आसन ही उपयोगी समझे गये हैं। जबकि प्रारम्भ में चौरासी लाख आसनों का निर्धारण उस समय के ऋषियों और योगियों ने किया था।

योगाभ्यास के लिये आवश्यक नियम

योगासनों का सम्पूर्ण वांछित लाभ प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित कुछ आवश्यक नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा-

  1. योगासनों का अभ्यास प्रातः नित्य कर्म आदि से निवृत्त होकर करना चाहिये। क्योंकि, उस समय पेट खाली रहता है और शरीर भी हल्का-फुल्का रहता है। भोजन के बाद योगाभ्यास हानिकारक सिद्ध होगा।
  2. यदि सम्भव हो सके तो योगासनों को स्नान के बाद करना ठीक रहता है क्योंकि, इससे शरीर में आलस्य आदि नहीं रहता है तथा मन भी प्रफुल्लित होता है।
  3. योगाभ्यास करते समय यथासंभव कम एवं ढीले वस्त्र ही धारण करना चाहिये जिससे शरीर के अंगों को मोड़ने आदि में व्यवधान न पड़े। सर्दी में हल्के एवं गरम वस्त्र पहन सकते हैं।
  4. योगासन करने के लिये साफ-सुथरी जमीन उपयुक्त रहती है । विस्तर या चौकी पर योगाभ्यास नहीं करना चाहिये क्योंकि उससे गिरने की सम्भावना रहती है।
  5. अभ्यास के स्थान की खिड़की दरवाजे खुले रखना चाहिये जिससे शुद्ध वायु अन्दर आती रहे।
  6. योगासन करते समय बातचीत बिल्कुल न करें जिससे क्रिया उल्टी सीधी न हो पाये जो हानिकर सिद्ध हो सकती है। अपना पूरा ध्यान श्वास एवं निर्देशित अंग पर ही रखें । आसन प्रारम्भ करने से पहले कुछ लम्बी गहरी श्वास लें और धीरे-धीरे निकालें। इससे आपका श्वास, शरीर एवं मन शान्त हो जायेगा।
  7. श्वास लेते या छोड़ते समय तथा योगासन के लिए झुकते या सीधे होते समय झटके नहीं लगने चाहिये। योगासन अपनी क्षमता तथा आवश्यकतानुसार आसनों का चयन करके किसी जानकार व्यक्ति से सीख सकते हैं। बगैर समझे बूझे गलत ढंग से अभ्यास करने से हानि होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है।
  8. योगासनों का अभ्यास दस वर्ष तक की आयु के बच्चों को छोड़कर सभी वर्ग के लोग कर सकते हैं।
  9. आसनों को उत्तर की ओर मुख करके न करें क्योंकि शरीर और धरती का चुम्बकीय प्रतिरोध उसके लाभों को नष्ट कर सकता है।
  10. कठिन रोगों एवं ज्वर से पीड़ित व्यक्ति को योगासन-प्राणायाम नहीं करना चाहिये गर्भवती स्त्रियाँ गर्भावस्था के चार-पाँच महीने तक योगाभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद की अवस्था में उन्हें आसन नहीं करना चाहिये । मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं के लिए आसन वर्जित है। हाँ, वे टहल सकती हैं जो उनके लिये लाभप्रद रहेगा।
  11. प्रारम्भ में एक ही दिन अनेक आसन न करें। आसन पूरे मनोयोग एवं सहजता से करने चाहिये।
  12. आसनों का अभ्यासक्रम इस प्रकार सुनिश्चित करें कि उस आसन के बाद उसका उपासन (काउन्टर पोज) कर सके। जैसे-पश्चिमोत्तानासन के बाद उसका उपासन कोणासन तथा सर्वांगासन के बाद उसका उपासन मत्स्यासन करें।
  13. योगासन करने वाले व्यक्ति को अपना भोजन हल्का-सुपाच्य रखना चाहिये, इससे उसे पूर्ण लाभ मिल सकेगा।
  14. योगासनों का अभ्यास ठीक प्रकार से हो रहा है, उसकी कसौटी यह है कि आसन करने के बाद थकावट नहीं अनुभव हो। आपको अपना शरीर हल्का फुल्का लगे तथा कार्य क्षमता बढ़ जाये।
  15. योगासनों का लाभ तभी मिल जायेगा जब आप योगासनों के पश्चात् शवासन आदि शिथिलीकरण आसन में लेटकर थोड़ा विश्राम दें। इससे आपके शरीर में अद्भुत शक्ति का संचार होगा।
  16. योगाभ्यास के बाद पेशाब अवश्य करें। इसके बाद आधा घण्टे तक कुछ न खायें। अच्छा होगा कि योगासनों का विशेष लाभ प्राप्त करने के लिये यथासंभव पूरा आराम करें या सो जायें।
  17. शरीर के किसी अंग की हड्डी कभी टूटी हो या किसी आन्तरिक अंग का ऑपरेशन हुआ हो तो उस अंग या हड्डी सम्बन्धित आसन का अभ्यास न करें।
  18. आसनों के अभ्यास के समय अपने सहयोगी से प्रतिस्पर्धा न करें अन्यथा हानि हो सकती है । अभ्यास अपनी क्षमता एवं शारीरिक स्थिति के अनुसार ही करें।
  19. संध्या के समय यदि अभ्यास करना हो तो दोपहर के भोजन के बाद कुछ न खायें।
  20. आसन प्रारम्भ करने से पहले भी पेशाब कर लेना चाहिये जिससे मूत्राशय खाली हो जाये जिससे आसन करने एवं बंध लगाने में असुविधा न हो।
  21. योगाभ्यासी को यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करना हितकर है। गृहस्थ व्यक्ति भी क्षणिक विषय सुख को छोड़कर पूर्ण आनन्द एवं लाभ की प्राप्ति कर सकता है।
  22. योगाभ्यास में बाधाऐं हैं-दिन में सोना, रात्रि में देर तक जागना. मल-मूत्र अधिक परिमाण में आना, अपौष्टिक आहार से उत्पन्न दोष तथा प्राण के साथ अधिक मानसिक श्रम।
  23. यौगिक क्रियाओं के करने का सामान्य क्रम इस प्रकार है-पहले आसन, तब मुद्रा इसके उपरान्त प्राणायाम करना चाहिये।
  24. आसन प्राणायाम से अधिकतम लाभ उठाने के लिये अभ्यास में नियमित होना आवश्यक है।
  25. यदि आपने अभ्यास करने से पहले स्नान नहीं किया है तो योगासन प्राणायाम करने के बाद तुरन्त स्नान कदापि न करें। आधा घण्टे के बाद आप स्नान कर सकते हैं।
  26. अभ्यास करते समय पसीने को तौलिये से न पौंछिये वरन् अपने हाथों से मालिश करके पसीने को सुखा लेना चाहिये।
  27. कठिन उपवास योगाभ्यसियों के लिए निषिद्ध है । कभी-कभी हल्का उपवास करना लाभदायक है। यह शरीर का पूर्ण संशोधन करता है, पेट तथा आँतों को आराम देता है तथा यूरिक एसिड को निकाल देता है।

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अस्वीकरण – यहां पर दी गई जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यहां पर दी गई जानकारी से चिकित्सा कि राय बिल्कुल नहीं दी जाती। यदि आपको कोई भी बीमारी या समस्या है तो आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। Candefine.com के द्वारा दी गई जानकारी किसी भी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।