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जमीन बेचने के नियम 2023 क्या है, अनुसूचित जाति की जमीन बेचने के नियम

शहर व गांव मैं जमीन बेचने के नियम 2023 के नियम अलग-अलग है। इन नियमों को समझना आसान नहीं होता। जमीन बेचने (Zameen Bechne Ke Niyam 2023) के लिए आपको इन नियमों के बारे में जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। चाहे वह गांव की जमीन हो या फिर शहर की जमीन, खेती की जमीन खरीदने के नियम, हरिजन की जमीन कैसे खरीदें?

जमीन बेचने के नियम

जमीन बेचने के नियम
Zameen Bechne Ke Niyam 2023

शहर में खेती की जमीन बेचने के नियम

खेती योग्य भूमि यदि शहर में है तो उसके लिए कुछ अलग नियम बनाए गए हैं। शहर में बेचे जाने वाली जमीन पर टैक्स अधिक लिया जाता है। हर राज्य किस शहर में जमीन बेचने पर टैक्स अलग अलग हो सकते हैं। शहरों में बेची जाने वाली जमीन के ऊपर डेवलपमेंट चार्ज भी जोड़ा जाता है।

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गांव में खेती की जमीन बेचने के नियम

गांव में खेती की जमीन बेचने के लिए कुछ अलग नियम बनाए गए हैं शहरों में बेची जाने वाली जमीन पर टैक्स देख लिया जाता है परंतु गांव में इन पर टैक्स नहीं लगाया जाता है गांव में जमीन बेचने पर आप सेक्शन 54b के तहत आप टैक्स बचा सकते हैं।

पैतृक संपत्ति बेचने के नियम

पैतृक संपत्ति बेचने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। यदि पैतृक संपत्ति पर आप का मालिकाना हक है तभी आप पैतृक संपत्ति को भेज सकते हैं। पैतृक संपत्ति आपको अपने पूर्वजों की संपत्ति आपको विरासत में मिलती है इस पर आपके परिवार में जितने भी सदस्य हैं उनका हक होता है यदि आप इस संपत्ति को बेचने का विचार बना रहे हैं तो सबसे पहले आपको इस संपत्ति का बंटवारा करना होगा और इसके बाद प्रत्येक सदस्य अपने नाम की संपत्ति को बेच सकता है।

पिता की संपत्ति को बेचने के नियम

पिता की संपत्ति को बेचने के नियम कुछ अलग बनाए गए हैं यह वह संपत्ति होती है जो आपके पिता ने खुद अपनी मेहनत से इस संपत्ति को बनाया होता है। पिता अपने पुत्र या बेटी किसी को भी अपनी संपत्ति का मालिकाना हक दे सकता है यदि पिता खुद अपनी संपत्ति को बेच रहा है तो आसानी से संपत्ति को बेच सकता है और यदि पिता के रहते बेटा या बेटी उसकी संपत्ति बेचना चाहता है तो यह संभव नहीं जब तक आपको और संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिलता तब तक आप उस संपत्ति को नहीं बेच सकते।

अनुसूचित (SC) जाति की जमीन बेचने के नियम

भारत सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को जमीन बेचने के काफी कड़े नियम बनाए हैं। यदि हरिजन जाति का कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन बेचना चाहता है तो उसको डीएम की परमिशन लेनी पड़ती है और साथ ही साथ उसको अपनी सारी संपत्ति का ब्यौरा भी देना पड़ता है। डीएम की परमिशन के लिए उसको एक फॉर्म भरना होता है।

यदि अनुसूचित (SC) जाति के वर्ग के लोग जो जमीन बेचना चाहते हैं यदि उनके पास 4.5 बीघा जमीन से अतिरिक्त जमीन है और उसको बेचना चाहते हैं तो डीएम सभी पेपरों का निरीक्षण करने के बाद उनको जमीन बेचने की अनुमति दे देता है और यदि उसके पास 4.5 बीघा जमीन नहीं है तो ऐसे में वह अपनी जमीन किसी को भी नहीं भेज सकता उसके लिए उसे परमिशन नहीं मिलेगी।

दूसरी तरफ यदि अनुसूचित जाति का व्यक्ति अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जमीन भेजता है तो उसके लिए उसे परमिशन लेने की जरूरत नहीं यह लोग आपस में जमीन बेच सकते हैं और खरीद सकते हैं। दूसरी तरफ यदि अनुसूचित जाति का व्यक्ति जिसके पास 4.5 बीघा जमीन से कम संपत्ति है और वह सामान या फिर ओबीसी कास्ट के किसी भी व्यक्ति को जमीन बेचता है तो उसके द्वारा बेची गई जमीन रजिस्ट्री मान्य नहीं होगी। ऐसी स्थिति में सरकार सेक्शन 57 के तहत सरकारी संपत्ति मैं उस संपत्ति को विलीन कर लेती है उस जमीन पर दोनों में से किसी का भी अधिकार नहीं रह जाता।

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